स्वयंसेवक सम्हालेंगे चुनाव में भाजपा का मैदानी मोर्चा

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भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में अगले साल होने वाले विधानसभा के आम चुनाव को लेकर अब संघ भी तेजी से सक्रिय नजर आना शुरू हो गया है। संघ व भाजपा के बीच लगातार जारी बैठकों के बाद अब तक जो बात सामने आयी है उसके मुताबिक यह लगभग तय कर लिया गया है कि अगले विधानसभा चुनाव के समय प्रदेश में भाजपा के मैदानी चुनावी मोर्चा पर स्वयंसेवक तैनात किए जाएंगे।
इसके अलावा भाजपा व संघ के बीच लगातार जारी रहने वाली समन्वय बैठकों में कई अन्य तरह के फैसले भी लिए जाना हैं। उधर दो दिवसीय भोपाल प्रवास पर आए सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले के साथ कल प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा की चली लंबी  बैठक के बाद आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भी मुलाकात होने जा रही है। इस मुलाकात पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं। इसके पूर्व हाल ही में दो दिल्ली में और एक भोपाल में संघ व भाजपा के बीच मप्र को लेकर समन्वय बैठकें हो चुकी हैं। इन बैठकों में सरकार व संगठन के कई कदमों को लेकर संघ की नाराजगी की बात सामने आ चुकी है। सूबे में कांग्रेस की चुनावी तैयारियों व सरकार के खिलाफ एंटीइनकमवेंसी की संभावना को देखते हुए ही अब तय किया गया है कि संघ के सभी सहयोगी व अनुषांगिक संगठन इस बार चुनावी मैदान में मोर्चा सम्हालते हुए भाजपा की जीत का मार्ग प्रशस्त करने में मदद करेंगे। दरअसल यह पूरी कवायद वर्ष 2018 में आए चुनाव परिणामों की वजह से की जा रही है। यह बात अलग है कि तब भी संघ के स्व्यंसेवकों ने भाजपा की मदद की थी, लेकिन उस समय पूरी ताकत के साथ मैदानी मोर्चा नहीं सम्हाला था, जैसा की अब सम्हालने की तैयारी है। बीते चुनाव में भाजपा को कांग्रेस से कम सीटें मिली थीं, जिसकी वजह से भाजपा को 15 माह तक विपक्ष में बैठना पड़ा था। इससे सबक लेते हुए ही इस बार अभी से इस तरह का निर्णय कर लिया गया है। यही वजह है कि अभी से प्रदेश में समन्वय की कवायद तेज कर दी गई है। खासतौर पर संघ के अनुषांगिक संगठनों के साथ बेहतर तालमेल, संवाद और संपर्क का सिलसिला ज्यादा सघन किया जाने लगा है। बैठक में संघ की ओर से प्रदेश के नेताओं का ध्यान इस मुद्दे पर आकृष्ट करते हुए नाराजगी व्यक्त की गई थी। बीते सप्ताह दिल्ली में संघ के सह सर कार्यवाह अरुण कुमार की मौजूदगी में संपन्न कोर कमेटी की बैठक में इस बात को गंभीरता से रेखांकित किया गया कि प्रदेश की आदिवासी एवं दलित बहुल सीटों पर विशेष प्रयास किए जाने की जरूरत है।
संघ और सत्ता-संगठन को जो फीडबैक मिला है उसमें निचले स्तर तक सतत संपर्क के साथ सरकार की योजनाओं की ब्रांडिंग पर जोर दिए जाने का मशविरा दिया गया है। मप्र विधानसभा की 230 सीटों में से अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 47 और अनुसूचित जाति के लिए 35 सीटें आरक्षित हैं। इस तरह 82 सीटें आरक्षित हैं लेकिन कुल 100 से अधिक सीटों पर ये दोनों वर्ग निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
पूर्व की गलतियों से लिया सबक
चुनाव में मद्देनजर बीते चुनाव में हुई गलतियों से सबक लेकर भाजपा उनसे पूरी तरह से बचना चाहती है। दरअसल बीते विधानसभा चुनाव 2018 के नतीजों ने भाजपा को सबसे ज्यादा अजजा और अजा वर्ग की सीटों के  परिणामों से नुकसान हुआ था। भाजपा को 2013 की तुलना में केवल अजजा बहुल क्षेत्रों की करीब डेढ़ दर्जन सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था। इसी तरह अजा वर्ग की भी कुछ सीटें भी भाजपा हार गई थी। यही कारण रहा कि उसे विपक्ष में बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा था। हालांकि 15 महीने बाद राजनीतिक उथल-पुथल के बाद कमल नाथ सरकार गिर गई और भाजपा पुन: सत्ता में लौट आई। लेकिन संगठन ने पिछली गलतियों और कमियों को दुरूस्त करने के लिए अभी से काम शुरू कर दिया है।
मुख्यमंत्री की होगी मुलाकात
सूत्रों की मानें तो दोपहर बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले से मुलाकात प्रस्तावित है। इस दौरान सरकार के कामकाज के अलावा सरकार व संगठन में तालमेल को लेकर तो चर्चा होनी तय मानी ही जा रही है साथ ही हिन्दुत्व के मामलों पर भी बात हो सकती है। इसकेि अलावा सरकार में रिक्त पड़े पदों के अलावा निगम मंडलों में नियुक्तियों व कार्यकतार्ओं की सत्ता में भागीदारी पर भी चर्चा संभावित है।
यह अनुषांगिक संगठन होंगे सक्रिय
दरअसल संघ के आनुषांगिक संगठन के रुप में वनवासी कल्याण आश्रम, भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ, सहकार भारती, संस्कार भारती, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, स्वदेशी जागरण मंच, विद्या भारती और आरोग्य भारती अलग-अलग क्षेत्रों में काम करते हैं। इनका अपना नेटवर्क व प्रभाव भी है। इन संस्थाओं में बड़े पैमाने पर लोग काम करते हैं। इन सभी संगठनों के साथ भाजपा अब समन्वय करने का काम करेगी।

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