भाजपा में नहीं थम रहे विरोध के स्वर

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  • कई सीटों पर टिकट के दावेदारों ने खोला मोर्चा

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रत्याशियों की पहली सूची जारी होने के बाद से ही भाजपा में टिकट कटने से नाराज चल रहे दावेदारों के शुरु हुए विरोधी स्वर शांत होने का नाम नहीं ले रहे हैं। यह बात अलग है कि अब तक टिकट कटने से नाराज दावेदारों से प्रदेश स्तर से या फिर कहें कि किसी भी बड़े नेता ने बात कर उन्हें शांत कराने का प्र्रयास भी नहीं किया है। यही वजह है कि अब मुखर होकर नाराजगी दिखाने वाले नेताओं की संख्या  कम होने की जगह बढ़ गई है। टिकट की पहली सूची जारी होने के बाद ऐसे नेताओं की संख्या पहले आधा दर्जन थी, जो अब बढक़र आठ तक पहुंच गई है। गुना की चाचौड़ा, सागर की बंडा, छतरपुर की महाराजपुर और छतरपुर, डिंडोरी की शाहपुरा सीटें ऐसी हैं, जहां पर तो यह कलह खुलकर सामने आ चुकी हैं। अगर पार्टी द्वारा इन नाराज नेताओं को जल्द ही नहीं मनाया गया तो एक बार फिर से बीते चुनाव की तरह ही स्थिति बन सकती है। इस सूची को लेकर पार्टी के नेताओं से लेकर कार्यकर्ता तक अचंभित हैं। इसकी वजह है इसमें कई वे नेता हैं, जो बीते चुनाव में न केवल खुद हारे हैं , बल्कि उनकी वजह से पार्टी को आसपास की सीटों तक को गंवाना पड़ा है। बुंदेलखंड के छतरपुर सीट को लेकर वहां संगठन के पूर्व जिलाध्यक्ष रहे पुष्पेंद्र प्रताप सिंह गुड्डू के समर्थक सडक़ों पर दिखाई दिए । वे पुष्पेंद्र की पत्नी पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष रही अर्चना सिंह की जगह पूर्व मंत्री ललिता यादव को टिकट दिए जाने से नाराज दिखे। इसी तरह भिंड जिले की गोहद विधानसभा सीट से पूर्व मंत्री लालसिंह आर्य की टिकट पक्की होते ही पूर्व विधायक रघुवीर जाटव के समर्थकों की नाराजगी ऐसी हो गई थी कि वे पार्टी तक छोड़ने की तैयारी में लग गए थे , लेकिन इस मामले में श्रीमंत ने बात की तब कहीं जाकर मामला शांत हो पाया। जाटव इस मामले में कह चुके हैं कि समर्थकों का गुस्सा होना स्वाभाविक है, लेकिन वे सभी को बैठाकर समझा रहे हैं। वे भी पार्टी के फैसले का स्वागत करते हैं और चुनाव में हम सब मिलकर पार्टी को चुनाव जिताने के लिए काम करेंगे।
सीट को लेकर धुर्वे भी नाराज
पार्टी ने पूर्व मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे को पार्टी ने शाहपुरा से प्रत्याशी घोषित किया है। वे इस बार डिंडोरी से टिकट चाह रहे थे। इसके लिए उनके द्वारा लगातार तैयारी भी की जा रही थी। वे अब कह रहे हैं कि पार्टी हाईकमान से बात की जाएगी। चाचौड़ा से पूर्व विधायक ममता मीणा यहां से घोषित प्रत्याशी प्रियंका मीणा के विरुद्ध मोर्चा खुलकर खेल चुकी हैं। उन्होंने 21 अगस्त को कार्यकर्ताओं की मीटिंग बुलाई है। यहां से पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह विधायक हैं। पूर्व विधायक ममता मीणा का कहना है कि कार्यकर्ताओं की रायशुमारी नहीं हुई। मंडल अध्यक्षों से भी नहीं पूछा गया। जिनको (प्रियंका मीणा) टिकट दिया गया है, वे जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हारी, देवर भी हारे। ऊपर से टिकट हो गया। यह फॉर्मूला नहीं चलेगा। कार्यकर्ता जो कहेंगे, वही करूंगी।
रावत के बेटे का तंज  
मुरैना की सबलगढ़ सीट पर भाजपा के प्रदेश महामंत्री रणवीर सिंह रावत के बेटे आदित्य ने सोशल मीडिया पर लिखा- पहले 2018, फिर राज्यसभा चुनाव, अब फिर नजरअंदाज । आदित्य ने ट्वीट कर लिखा कि 20 साल पार्टी के लिए दिन रात एक कर दिया, इसके बाद भी हम में योग्यता नहीं दिखी। आदित्य ने अपने इस पोस्ट को केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं को टैग कर अपलोड किया था।  सोशल मीडिया पर, पोस्ट सामने आते ही हडक़ंप मच गया। बाद में पोस्ट डिलीट कर दी गई। इसी तरह से सोनकच्छ सीट से पूर्व विधायक रहे राजेंद्र वर्मा ने कहा- पार्टी ने अन्याय किया। 23 हजार से हारे पूर्व मंत्री लाल सिंह के साथ बाकी हारे हुए लोगों को टिकट दिया तो मेरे साथ क्या दिक्कत थी। पांच बार के सांसद पिता फूलचंद वर्मा ने पं. दीनदयाल जी के साथ काम किया।
पूर्व मंत्री डॉ. रामकृष्ण  कुसमरिया भी भडक़े
2018 में भाजपा से बागी होकर दमोह और पथरिया से निर्दलीय चुनाव लड़े डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया (81) को इस बार भी पार्टी ने टिकट नहीं दिया है। उन्होंने पथरिया से टिकट मांगा था, लेकिन पार्टी ने पूर्व विधायक लखन पटेल को दोबारा टिकट दिया है। कुसमरिया ने 2018 में पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया व लखन पटेल को हराने में भूमिका निभाई थी। कुसमरिया का कहना है कि पार्टी में 4-6 उम्रदराज नेता हैं जो जीत सकते हैं, उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। वैसे भी मप्र में भाजपा की स्थिति वर्तमान में ठीक नहीं है।

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