बजट सत्र में मिल सकता है विस को उपाध्यक्ष

बजट सत्र

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष का पद पांच साल से लगातार खाली चल रहा है। इस पद पर कई नेताओं की नजर लगी हुई है। प्रदेश में परंपरा रही है यह पद विपक्षी दल को देने की, लेकिन इस परंपरा को कमलनाथ सरकार में तोड़ दिया गया था। उस समय कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने उपाध्यक्ष पद भाजपा को देने की जगह अपने ही खाते से हिना कांवरे को उपाध्यक्ष बनाया दिया गया था। बाद में सरकार गिरी तो पद रिक्त हो गया, लेकिन उसके बाद से यह पद रिक्त चल रहा है। अब माना जा रहा है कि बजट सत्र में भाजपा सरकार इस पद को भर सकती है।
इस बार भाजपा कमलनाथ के पद चिन्हों पर चलते हुए इसे अपने ही पास रखेगी। माना जा रहा है कि उपाध्यक्ष पद किसी ऐसे नेता को दिया जाएगा जो वरिष्ठ होने के साथ ही संसदीय विशेषज्ञ हो। हालांकि इस पद को लेकर कांगेेस अपनी भी दावेदारी जाता रही है। लेकिन भाजपा उसके दावे को पहले ही खारिज कर चुकी है। दरअसल, कमल नाथ सरकार गिरने के बाद वर्ष 2020 में बनी शिवराज सरकार में उपाध्यक्ष का पद नहीं भरा गया। इसके बाद मोहन सरकार को भी एक वर्ष से अधिक का समय हो गया है, लेकिन उपाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की जा सकी है। उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे भी विधानसभा उपाध्यक्ष के रिक्त पद पर नियुक्ति को लेकर विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिख चुके हैं। हेमंत कटारे ने उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को देने की मांग की है। कटारे की इस मांग से भाजपा सहमत नहीं है। इसकी वजह भी कांग्रेस ही है। अब कमलनाथ द्वारा तोड़ी गई यह पंरपरा उसे ही भारी पड़ रही है। वर्ष 1962 में विपक्ष के विधायक नर्मदा प्रसाद श्रीवास्तव को विधानसभा उपाध्यक्ष बनाने के साथ इसकी शुरू हुई थी। यह पद हमेशा से विपक्ष के पास रहा है, लेकिन राजनीतिक विचारधारा में भिन्नता के चलते विधानसभा के उपाध्यक्ष का पद पांच साल से खाली है।
यह रह चुके हैं उपाध्यक्ष
वर्ष 1956 में मध्य प्रदेश गठन के बाद से विधानसभा में उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को न देने की आम परंपरा थी। वर्ष 1962 में पहली बार विरोधी दल की ओर से नर्मदा प्रसाद श्रीवास्तव उपाध्यक्ष चुने गए। 1964 में भी वे पुन: उपाध्यक्ष बने। तीन मार्च 1990 तक किसी विपक्षी विधायक को उपाध्यक्ष का पद नहीं दिया गया। भाजपा सरकार में पहली बार तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने विधानसभा का उपाध्यक्ष पद विपक्षी दल कांग्रेस को सौंपा। कांग्रेस विधायक श्रीनिवास तिवारी 23 मार्च, 1990 से 15 दिसंबर, 1992 तक उपाध्यक्ष रहे। परंपरा का पालन करते  हुए ततत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की सरकार में विपक्षी दल भाजपा के भेरुलाल पाटीदार 28 दिसंबर, 1993 से एक दिसंबर, 1998 तक उपाध्यक्ष रहे। इसके बाद के कार्यकाल में भाजपा के ईश्वरदास रोहाणी 11 फरवरी, 1999 से पांच दिसंबर, 2003 तक उपाध्यक्ष रहे। इसके बाद प्रदेश में भाजपा की सरकार रही। इस दौरान विपक्षी दल कांग्रेस के हजारीलाल रघुवंशी 18 दिसंबर, 2003 से 11 दिसंबर, 2008 तक फिर हरवंश सिंह 13 जनवरी, 2009 से 14 मई, 2013 तक, इसके बाद राजेंद्र सिंह 10 जनवरी, 2014 से 13 दिसंबर, 2018 तक उपाध्यक्ष रहे।

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