विक्रम की जगह विक्रमादित्य होगा उज्जैन के विवि का नाम

विक्रमादित्य
  • आरजीपीवी के कुलपति भी कहलाएंगे कुलगुरू
  • मप्र विधानसभा के मानसून सत्र में संशोधन विधेयक होंगे प्रस्तुत

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय का नाम संशोधित करके विक्रमादित्य किया जाएगा। इसकी तरह राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति भी कुलगुरू कहलाएंगे। इसके लिए 28 जुलाई से प्रारंभ हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र में विश्वविद्यालय और राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक प्रस्तुत करेगी। बैठक में संसदीय कार्य विभाग ने लंबित मामलों की रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके अनुसार, 11 जुलाई 2025 की स्थिति में 59 शून्यकाल का निराकरण किया जा चुका है और 79 लंबित हैं। इसी तरह फरवरी 2025 की स्थिति में 980 अपूर्ण उत्तर थे। 182 नए और इसमें जुडक़र 1,172 हो गए। इनमें से 271 का निराकरण कर दिया है लेकिन 901 लंबित हैं। इसमें सर्वाधिक कृषि, सामान्य प्रशासन और गृह से जुड़े हैं। इसे लेकर मुख्य सचिव ने अधिकारियों से कहा कि वे व्यक्तिगत रूप से इन्हें देखें और पूर्ण उत्तर विधानसभा को भेजे जाएं। लोक लेखा समितियों की कंडिकाओं का निराकरण भी समय पर करें। इस दौरान प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास दीपाली रस्तोगी ने ऐसे प्रश्नों का मुद्दा उठाया, जिनके उत्तर तैयार करने में हजारों पृष्ठ लग जाते हैं। अलग-अलग जिलों से जानकारी बुलाने पड़ती है। अन्य अधिकारियों ने यह बात दोहराई। इस पर मुख्य सचिव ने कहा कि जो जानकारी विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है, उसकी लिंक दी जा सकती है और बाकी दस्तावेज दे दिए जाएं। विधानसभा सचिवालय से भी इस संबंध में समन्वय बनाया जाए। 1,144 आश्वासन की नहीं हुई पूर्ति- बैठक में बताया गया कि वर्तमान में 1,144 आश्वासन की पूर्ति नहीं हुई है। इसमें फरवरी 2025 के पहले के 697 हैं। 665 नए प्राप्त हुए हैं। लंबित आश्वासनों में सर्वाधिक 267 नगरीय विकास एवं आवास विभाग के हैं। मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि जिनका निराकरण विभिन्न कारणों से संभव नहीं है, उनकी सूचना विधानसभा सचिवालय को देकर समाप्त कराए जाएं। जो संशोधन या नए विधेयक विभागों को प्रस्तुत करने हैं, उनके लिए अगले दो-तीन दिन में वरिष्ठ सचिव समिति की बैठक कराई जाए।

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