- लगातार हार रही कांग्रेस को मिली बड़ी राहत, बढ़ेगा उत्साह
- विनोद उपाध्याय

प्रदेश की दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणामों का प्रदेश सरकार पर कोई असर नहीं पडऩा था, लेकिन फिर भी इन उपचुनावों पर सभी की निगाहें लगी हुई थीं। इसकी वजह थी एक सीट पर दलबदल कर भाजपा में आकर मंत्री बने रामनिवास का चुनाव लडऩा तो दूसरी विधानसभा सीट प्रदेश के लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह की होना। अहम बात यह है कि इस बार दोनों ही सीटों पर कांग्रेस ने ऐसा दम दिखाया है कि भाजपा के रणनीतिकारों से लेकर सभी छोटे बड़े नेता भौचक रह गए हैं। कांग्रेस ने विजयपुर में सरकार के मंत्री को हरा दिया तो बुधनी में भी भाजपा को मुश्किल में डाले रखा। इससे जहां भाजपा के कई नेताओं को बड़ा झटका लगा है, तो वहीं कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी का पद सुरक्षित हो गया है। विजयपुर की सीट उनके लिए संजीवनी से कम नहीं मानी जा रही है। वजह है इससे पटवारी की कुर्सी जाने का खतरा टल गया है। अनुमान लगाया जा रहा था कि अगर उपचुनाव में दोनों सीटों में कांग्रेस को हार मिली तो जीतू पटवारी को अध्यक्ष पद से हटाया दिया जाएगा। गौरतलब है कि पटवारी के अध्यक्ष बनने के बाद यह प्रदेश में कांग्रेस की पहली जीत है।
राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ेगी पूछ-परख
पटवारी के नेतृत्व क्षमता पर लगातार सवाल खड़े हो रहे थे। यह सवाल कोई और नहीं बल्कि पार्टी के ही कई बड़े नेता कर रहे थे। कई नेताओं ने तो उनको अनुभवहीन तक कह दिया था। अब यह जीत जीतू पटवारी के लिए संजीवनी की तरह काम करेगी। जहां उनकी राष्ट्रीय स्तर पर पूछ-परख बढ़ जाएगी। वहीं, प्रदेश स्तर पर भी नेताओं को जीतू पटवारी पर विश्वास बढ़ सकता है। दरअसल, लगातार चुनाव हार रही कांग्रेस को एक जीत की तलाश लंबे समय से थी। कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद लोकसभा चुनाव में खाता नहीं खुलने और उसके बाद छिंदवाड़ा की अमरवाड़ा उपचुनाव में मिली हार के बाद पार्टी में काफी निराशा छाई हुई थी।
बुधनी में भी दिखा दम
बुधनी उपचुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बाद भी राहत है। पिछली बार एक लाख से ज्यादा वोटों से जीतने वाली बीजेपी को कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार पटेल ने रमाकांत भार्गव को कांटे की टक्कर दी है। भार्गव महज 13901 वोटों से जीत दर्ज की है। 2023 में शिवराज सिंह चौहान यहां से एक लाख 4 हजार 974 वोटों से जीते थे। इस चुनाव में पूर्व सीएम शिवराज सिंह और सीएम डॉ. मोहन यादव ने पूरी ताकत लगाई थी। इस सीट पर भी जीतू पटवारी ने पूरी ताकत लगाई, लेकिन बूथ मैनेजमेंट के दम पर भाजपा को कांटे की टक्कर दी। पटवारी की टिफिन पार्टी काफी चर्चा में रही। दरअसल पटवारी चुनाव की घोषणा से पहले ही यहां के कार्यकर्ताओं के साथ टिफिन पार्टी करते रहे जिसका असर वोटिंग में देखने को मिला।
जैसे को तैसे से दी हार
दरअसल विजयपुर उपचुनाव में भाजपा ने जहां कांग्रेस के दलबदलू नेता रामनिवास रावत को टिकट दिया था, तो पटवारी ने भी इसी रणनीति पर काम करते हुए पूर्व भाजपा नेता मुकेश मल्होत्रा को प्रत्याशी बनाकर यह मात दी है। कांग्रेस की इस जीत के अपने मायने हैं। इससे पटवारी का कद बड़ा है तो भाजपा के कई बड़े माने जाने वाले नेताओं की हकीकत सामने आ गई है। यह वे नेता है जो अपने-अपने इलाकों में ही प्रदेश के साथ देश में पार्टी के बड़े नेताओं शुमार होते हैं।
विजयपुर में डाला था डेरा
पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने विजयपुर विधानसभा उपचुनाव जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया था। उन्होंने चुनाव की तारीख की घोषणा होने से पहले ही क्षेत्र का दौर शुरू कर दिया था और बूथ स्तर पर कार्यकर्ता से मुलाकात की और उनमें विश्वास पैदा किया। जीतू पटवारी ने जनता को यह बताने में सफलता हासिल की है कि रामनिवास रावत ने कांग्रेस पार्टी से गद्दारी की है और सत्ता के लालच में आकर बीजेपी ज्वाइन की है। जीतू पटवारी लगातार आम जनता से जुड़े और उनकी समस्याओं को सुना। यही वजह रही कि विजयपुर की जनता ने भी भरपूर सहयोग किया और एक बार फिर से कांग्रेस ने अपने गढ़ में विजय हासिल की है। इससे यह साबित हो गया कि विजयपुर कांग्रेस का गढ़ है ना कि किसी व्यक्ति का । अब देखना होगा कि कांग्रेस के नाराज नेता जीतू पटवारी पर विश्वास जता पाते हैं या नहीं।