प्रदेश में वाहन मालिक और एसी वाले भी गरीब

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। गरीबी रेखा से नीचे वालों के लिए संचालित सरकार की तमाम तरह की योजनाओं का लाभ लेने के लिए इस सूची में वे लोग भी शामिल हैं, जिनके पास अपने खुद के वाहन तो हैं ही साथ ही घरों में एसी , फ्रिज और तमाम तरह की विलासिता की वस्तुएं भी मौजूद  हैं। उनकी आय भी एक मध्यम वर्गीय परिवार के बराबर है। इस पूरी गड़बड़ी को अंजाम दिया गया है, सरकारी अमले के साथ मिलकर। इससे सरकार को आर्थिक चपत तो लग ही रही है साथ ही प्रदेश की बदनामी भी हो रही है। दरअसल सरकार का नियम है कि गरीबी रेखा की सूची में उसका ही नाम दर्ज किया जाएगा, जिसकी हर माह की आय 522 रुपए प्रति व्यक्ति से अधिक नहीं होगी। अगर भोपाल की ही इस सूची को देखें तो शहर की 58 फीसदी से अधिक आबादी गरीबी रेखा के दायरे में है। एक अनुमान के मुताबिक भोपाल की आबादी 27 लाख से अधिक है, लेकिन यहां राशन लेने वाले परिवारों की संख्या 3 लाख 41 हजार 881 है। इनमें सदस्यों की संख्या मिलाएं तो 14 लाख 59 हजार 548 से अधिक हो जाती है। इसकी वजह सरकारी सिस्टम में बैठे अफसरों द्वारा बेधडक़ ऐसे लोगों के नाम बिना सर्वे दर्ज किया जाना हैं, जिन्हें बीपीएल सूची में नाम दर्ज कराने की पात्रता ही नहीं है। सरकार इन्हें हर महीने करीब 13 करोड़ से अधिक का मुफ्त राशन बांट रही है। हद तो यह है कि कई व्यक्ति तो गरीबी रेखा का राशन लेने के लिए स्वयं के चार पहिया वाहनों तक से आते हैं। यह वे लोग हैं, जो अपनी आय छिपाकर गरीबों का हक तो मार ही रहे हैं, साथ ही सरकारी खजाने पर भी भार बढ़ा रहे हैं। अगर वास्तविक सर्वे कराकर सूची बनाई जाए तो बामुश्किल गरीबों की संख्या दस फीसदी तक ही रह जाएगी।
दो दर्जन श्रेणियों के लोगों को मिलता है राशन
खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत पात्र परिवारों में अन्त्योदय अन्न योजना के परिवारों  के साथ-साथ प्राथमिकता परिवार के रूप में 24 श्रेणियों को शामिल किया है। इन श्रेणियों में समस्त बीपीएल परिवार शामिल हैं। इसके अलावा 23 अन्य श्रेणियों के गैर-बीपीएल परिवारों को भी शामिल किया है। करीब दो साल पहले डोर-टू-डोर सर्वे में अकेले भोपाल में ही करीब 50 हजार अपात्र लोगों के नाम बीपीएल सूची में पाए गए थे, जिन्हें काट दिया गया था। ये खुद को गरीब बताकर सस्ता अनाज ले रहे थे। हालांकि दो साल बाद एक बार फिर आंकड़ा 3 लाख 41 हजार के पार पहुंच गया।
बिजली बिल और बैंक खातों से ही खुल जाएगी पोल
गरीबी रेखा में शामिल लोगों के बिजली बिल, बैंक खातों की डिटेल और परिवहन विभाग से अगर पंजीकृत वाहनों की ही जानकारी लेकर सूची में दर्ज नामों से मिला ली जाए तो वास्तविकता सामने आ जाएगी। अहम बात यह है कि इसमें कई ऐसे लोग भी शामिल हैं, जो सालभर में लाखों रुपए अकेले सरकार से कई कामों के एवज में बैंक खातों में राशि का भुगतान लेते हैं।

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