
- पेनलेस वैक्सीनेशन के नाम पर मुनाफाखोरी …
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। छोटे बच्चों को कई तरह की बीमारियों से बचाव के लिए लगने वाले टीके निजी अस्पतालों के लिए मुनाफ का घंधा बन गया है। यही नहीं मुनाफाखोरी के लिए निजी अस्पताल बच्चों की सेहत से खिलवाड़ करने से भी नहीं चुक रहे हैं। जहां 9 तरह की बीमारियों से बचाव के लिए सरकार बच्चों को मुफ्त में 8 टीके लगाती है, लेकिन निजी क्लिनिक पर शिशु रोग विशेषज्ञ 14 तरह के टीके लगा रहे हैं। हालांकि परेशानी टीकों से नहीं है, क्योंकि इनसे बच्चों को अन्य बीमारियों से भी बचाव में मदद मिलती है। दिक्कत इनके नाम पर हो रही मुनाफाखोरी से है।
डॉक्टर तीन से पांच गुना कीमत पर ये टीके लगा रहे हैं। डॉक्टर सीधे कंपनियों से खरीद कर क्लिनिक पर रख रहे हैं, जबकि कानूनी तौर पर उन्हें दवा बेचने का अधिकार ही नहीं है। पीडियाट्रिक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. संजय रावत का कहना है कि ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 के प्रावधानों के तहत, दवा बेचने के लिए लाइसेंस लेना जरूरी है। डॉक्टर भी सिर्फ आपात स्थितियों के लिए जीवन रक्षक दवाएं रख सकते हैं। उन्हें मेडिसिन बेचने, उसका बिल आदि देने का अधिकार नहीं है।
5 गुना तक वसूली
मुनाफाखोरी के कारण बच्चों का टीकाकरण निजी क्लिनिक में 50 से 70 हजार रुपए तक जा पहुंचा है। बाजार में इनकी कीमत बमुश्किल 10 से 15 हजार है। निजी वैक्सीनेशन पर नियंत्रण नहीं होने से कहीं 100 रुपए की वैक्सीन के 800, तो 500 की वैक्सीन के 4000 तक वसूले जा रहे हैं। दवा व्यापारियों के अनुसार, सरकारी टीकाकरण के बावजूद निजी क्लिनिक में वैक्सीनेशन पर सालाना 100 करोड़ से ज्यादा खर्च हो रहे हैं। डॉ. अजय दोषी बताते हैं कि 700 रुपए की पेंटा वैक्सीन पेनलेस हो तो 3000 में पड़ती है। इसमें दर्द, बुखार नहीं होता। डॉ. अनुराग मित्तल कहते हैं कि सामान्य वैक्सीनेशन 28 से 30 हजार का होता है, पेनलेस 40000 में पड़ता है।
टीका खरीदी-मूल्य डॉक्टर वसूल रहे
वेरीसिला 1200-1500 2400
रोटावायरस 250-350 1800
हेपेटाइटिस-ए 800-1200 2200
टाइफाइड 100-700 2200
हेपेटाइटिस-बी 35-200 800
एमएमआर 100-150 700
स्वाइन फ्लू 800-900 1900
काला बुखार 500-2000 4950
सर्वाइकल कैंसर 2100-2300 3500
निमोनिया 1100-2800 3800
इनफ्लुएंजा 7000-7500 10,500