
- भ्रष्टाचार की तिगड़ी कर रही है सालों से यह खेल …
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की छवि आमजन में भ्रष्टाचार के विभाग के रुप में बनी हुई है। इसकी वजह है इस विभाग के अफसरों की कार्यशैली। विभाग का शायद ही ऐसा कोई बड़ा प्रोजेक्ट हो जो कमियों, खामियों और भ्रष्टाचार की वजह से चर्चा में नही रहता हो, फिर भी विभाग के अफसर अपनी कार्यप्रणाली सुधारने की जगह खेला करने के नए-नए तरीके खोजने में पीछे नहीं रह रहे हैं। इसी तरह के भ्रष्टाचार का एक नया मामला सामने आया है, जिसमें विभाग के अफसर, बाबू और ठेकेदारों ने मिलकर बड़ा खेल कर रहे थे। इस तरह का खेल भोपाल संभाग क्रमांक- 1 के आॅफिस में कई सालों से किया जा रहा है। इस दफ्तर में पूरा खेल इंजीनियर, बाबू और ठेकेदारों द्वारा मिलकर करोड़ों की सुरक्षा गारंटी राशि (सिक्योरिटी डिपॉजिट) उन्हें वर्क आॅर्डर के बाद वापस करने के रुप में किया जा रहा है। संदेह तो यह भी जताया जा रहा है की इस तरह का खेल प्रदेश में अन्य विभाग के दफ्तरों में भी किया जा रहा होगा। दरअसल, लोक निर्माण विभाग में निर्माण व बिजली जैसे काम कराने के लिए ठेकों में ठेकेदार से पांच फीसदी राशि धरोहर राशि के रुप में जमा कराई जाने का नियम है। यह राशि वर्क आर्डर की राशि के पांच फीसदी होती है। इसके पीछे की वजह यह है कि अगर ठेकेदार द्वारा काम में गड़बड़ी की जाती है या फिर वह काम आधा अधूरा छोड़ देता ैहै, तो इस राशि को जप्त कर काम को पूरा कराया जा सके। यह राशि काम पूरा होने के बाद भी गारंटी अवधि तक विभाग के पास जमा रहती है। लेकिन भोपाल संभाग क्रमांक- 1 में वर्क आर्डर के साथ ही यह राशि ठेकेदार को लौटाने का खेल किया जा रहा है।
इस तरह हुआ खुलासा
इस मामले का खुलासा भी विभाग से नाराज चल रहे ठेकेदारों द्वारा ही किया गया है। दरअसल विभाग में कुछ ठेकेदारों की अफसरों से मिलकर मॉनोपाली चलाई जा रही है, जिसकी वजह से दूसरे ठेकेदारों को काम ही नहीं मिल पाता है। यही नहीं चहेते ठेकेदारों को छोड़ दिया जाए तो अन्य को काम मिल भी जाता है, तो उन्हें तरह -तरह से इतना प्रताड़ित किया जाता है कि वे बीच में ही काम छोड़ने पर मजबूर हो जाते हैं या फिर उनका भुगतान अटका दिया जाता है। इससे परेशान होकर कुछ ठेकेदारों द्वारा बिगत कुछ समय पहले इंजीनियर और बाबूओं द्वारा लेनदेन कर कुछ ठेकेदारों की एफडी वापस कर देने की शिकायतें लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू के अलावा मंत्री और ईएनसी आॅफिस में भी की गई थीं। इन्हीं शिकायतों के आधार पर अब जांच शुरू कर दी गई है। खास बात यह है कि शुरुआती जांच में यह शिकायतें सही पाई गई हैं। इन शिकायतों में सोनी इलेक्ट्रिकल्स, सागर एसोसिएट, विश्वकर्मा इन्फ्रास्ट्रक्चर और पलाश इलेक्ट्रिकल्स फर्म की एफडी वापस किए जाने के तथ्य सामने आए हैं।
एक पखवाड़े में मांगी जांच रिपोर्ट
मिली शिकायतों के आधार पर विभागीय मंत्री गोपाल भार्गव ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एक पखवाड़े के अंदर पूरी जांच रिपोर्ट मांगी है। दरअसल शिकायत के आधार पर हाल ही में इंजीनियर इन चीफ (ईएनसी) आॅफिस की सात सदस्यीय टीम ने एसई योगेन्द्र कुमार की अगुवाई में गठित टीम ने छापामार कार्रवाई कर दस्तावेज अपने कब्जे में लिए हैं। इनसे कई अन्य तरह के भी खुलासे होने की उम्मीद है। उधर, विभाग के अफसरों ने स्वीकार किया है कि प्रारंभिक दस्तावेजों की छानबीन में गड़बड़ियां सामने आई हैं।
वेतन में भी कर चुके हैं घोटाला
ऐसा नहीं है कि इस कार्यालय में यह पहला कोई घोटाला हुआ हो, बल्कि हद तो यह है कि पूर्व में वेतन के नाम पर भी बड़ा घोटाला किया जा चुका है। इसे कोरोना के समय में किया गया था। इस घोटाले के खुलासे के बाद अगर विभाग दोषियों पर कोई कार्रवाई कर देता तो शायद नया घोटाला होने से बच जाता, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। दरअसल इस कार्यालय में बाबू-कम्प्यूटर आॅपरेटर ढाई वर्ष से कर्मचारियों का अतिरिक्त वेतन निकाले जा रहे थे। करीब 70 कर्मचारियों का सवा करोड़ के आस-पास अतिरिक्त निकाला गया। खुलासे के बाद आॅपरेटर और कर्मचारियों से रिकवरी की जा रही है, लेकिन कार्रवाई अब तक किसी पर भी नहीं की गई है।