
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। दमोह उपचुनाव के बाद अब भाजपा के लिए वे चारों सीटें मुसीबत बनी हुई हैं, जिनमें कुछ समय बाद उपचुनाव होने हैं। इन चारों उपचुनाव वाली सीटों को लेकर संघ और खुफिया विभाग को अब तक जीत का पूरा विश्वास नहीं है। इसकी वजह से इन चारों ही सीटों को इस वजह से डेंजर जोन में मानकर कदम उठाए जाने शुरू कर दिए गए हैं।
इसकी वजह से ही भाजपा द्वारा लगातार इन चारों ही सीटों पर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास शुरू कर दिया गया है। फिलहाल इन चारों सीटों को लेकर भाजपा की दमोह की हार के बाद भी जीत को लेकर भाजपा के साथ ही संघ में चिंताए बनी हुई हैं। खास बात यह है कि इन चारों में से दो सीटें तो ऐसी हैं जिन पर भाजपा के पास ऐसा कार्यकर्ता और नेता तक नहीं है जो विपक्षी उम्मीदवार को चुनौती देने की ताकत रखता हो। यह जानकारी खुफिया विभाग की एक रिपोर्ट में दी गई है।
फिलहाल एक लोकसभा और तीनों विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर भाजपा में सर्वे और रायशुमारी का काम किया जा रहा है। इस बीच भाजपा के पास तमाम जगहों से जो फीडबैक मिल रहा है उससे उसके रणनीतिकारों की चिंताएं बढ़ी हुई हैं। इसमें बताया गया है कि खंडवा लोकसभा सीट पर अधिक दावेदार होने की वजह से असंतोष से निपटना आसान नहीं होगा। लगभग इसी तरह की स्थिति रैगांव विधानसभा सीट पर भी बताई जा रही है। इस सीट पर पार्टी की पूर्व विधायक जुगल किशोर बागरी के परिवार के कई सदस्यों की दावेदारी भी मुश्किल बनी हुई है। खुफिया सूत्रों ने यह सीट भी खतरे में बताई है।
इसकी वजह है टिकट के दावेदारों का प्रभाव जीत के अनुकूल न होना। इन सब में अब तक पृथ्वीपुर सीट सर्वाधिक डेंजर जोन में बनी हुई है। दरअसल इस सीट पर बीते आम विस चुनाव में भाजपा द्वारा तत्कालीन जिलाध्यक्ष अभय प्रताप सिंह को चुनावी मैदान में उतारा गया था, लेकिन वे चौथे स्थान पर ही रह गए थे। खास बात यह है कि इस सीट पर सपा दूसरे स्थान पर रही थी। इसकी अपनी वजह भी रही है। पार्टी द्वारा तमाम वरिष्ठ और योग्य नेताओं को दरकिनार कर पहले जिला संगठन की कमान अभय को दी गई और फिर उन्हें टिकट भी थमा दिया गया। इस सीट की खास बात यह रही है कि अभय प्रताप सिंह खुद के लिए भी सजातीय मत हासिल करने में नाकाम रहे। दरअसल यह सीट पूरी तरह से यादव बाहुल्य है। इस सीट पर अब सपा उम्मीदवार रह चुके शिशुपाल सिंह यादव सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। भाजपा भी उन्हें उम्मीदवार बनाने की संभावनाओं पर काम कर रही है। खास बात यह है कि उपचुनाव की तैयारियों को लेकर इस बार सत्ता और संगठन के लोगों को एक साथ जिम्मेदारी देकर उनसे फीडबैक लिया जा रहा है। अपने दौरे के बाद इन नेताओं ने जो रिपोर्ट प्रदेश संगठन को दी है, उससे भाजपा की चिंताएं बड़ी हुई हैं। पृथ्वीपुर और जोबट में पार्टी को पिछली बार की तरह इस बार भी कठिन चुनौतियों वाली स्थितियां बताई गई हैं। यह बात अलग है कि संगठन व सत्ता द्वारा अभी इन सीटों पर सक्रियता बढ़ाने से पार्टी की मौजूदा स्थितियों में सुधार हो सकता है। यह बात अलग है कि इन चारों सीटों पर अब संघ भी सक्रियता बढ़ा रहा है, जिससे की भाजपा की राह को आसान किया जा सके।
दो दिन तक फिर चलेगा मंथन का दौर
हाल ही में सत्ता व संगठन की हुई बैठक के बाद अब एक बार फिर से संगठन दो दिनों तक उपचुनाव की तैयारी को लेकर मंथन बैठक करने जा रहा है। इस बैठक में भी उपचुनाव क्षेत्र के प्रभार वाले मंत्रियों, सांसद, विधायक और संगठन नेताओं को बुलाया जा रहा है। इस दौरान एक बार फिर से प्रदेश अध्यक्ष ने अब तक क्षेत्र में किए गए दौरों का फीडबैक लेकर आने को कहा है।
तो विजयवर्गीय पर लगाया जा सकता है दांव
खुफिया सूत्र भाजपा का गढ़ कही जाने वाली खंडवा सीट को भी डेंजर जोन में बता रहे हैं। इस बीच खंडवा में दावेदारों के बीच चल रही बड़ी खींचतान के बीच भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय को टिकट देने पर भी अब मंथन किया जा रहा है। कहा तो यह भी जा रहा है खंडवा के दौरे के समय प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा को भी इसी तरह का फीडबैक मिला है। खंडवा से पूर्व सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्ष सिंह, पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस और पूर्व सांसद कृष्णमुरारी मोघे टिकट के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं। इनके अलावा पूर्व मेयर सुभाष कोठारी और राजेश डोंगरे भी इसी लाइन में लगे हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेताओं के बीच जारी इस शीत युद्ध को समाप्त करने के लिए बीच के रास्ते के रुप में पार्टी विजयवर्गीय को प्रत्याशी बना सकती है। वहीं जोबट में फिलहाल माधौ सिंह डाबर, नागर सिंह चौहान, इंदर सिंह और भुदू पचाया अपनी दावेदारी संगठन नेताओं के सामने लगातार कर रहे हैं।
कांग्रेस की भी सर्वे रिपोर्ट तैयार
उधर, कांग्रेस भी पूरी तरह से चुनावी तैयारी में लग चुकी है। उसके द्वारा भी सर्वे कराया गया है। इस सर्वे की रिपोर्ट कमलनाथ तक पहुंच गई है। खंडवा लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस में टिकट के लिए मचे घमासान के बीच बेहतर प्रत्याशी चयन को लेकर कांग्रेस का सर्वे पूरा हो गया है। साथ ही सर्वे रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के पास पहुंच गई है। इस सर्वे रिपोर्ट में चार नाम दावेदारों के रुप में सामने आए हैं। इनमें पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव का नाम प्रमुख रुप से शामिल है। उनके अलावा यहां से निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा की पत्नी जयश्री ठाकुर, विधायक झूमा सोलंकी और बड़वाह से विधायक सचिन बिरला के नाम शामिल हैं। इनमें सबसे अधिक मजबूत दावेदार अरुण यादव को बताया गया है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि यादव का प्रत्याशी बनना तय है। यही वजह है कि वे इन दिनों अपने विधायक भाई के साथ इलाके में सक्रिय बने हुए हैं। हाल में अरुण यादव दिल्ली में कमलनाथ, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा और पूर्व प्रभारी महासचिव मोहन प्रकाश के साथ मुलाकात कर चुके हैं। गौरतलब है कि मार्च में भाजपा सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के निधन के बाद से खंडवा लोकसभा सीट खाली है।
पृथ्वीपुर में दो रणनीति पर काम कर रही भाजपा
पृथ्वीपुर उपचुनाव में पार्टी की जीत की संभावनाओं को लेकर पार्टी दो तरह की रणनीति पर एक साथ काम कर रही है। इनमें पहली रणनीति के तहत बीता चुनाव समाजवादी पार्टी से लड़कर दूसरे स्थान पर रहे शिशुपाल यादव को भाजपा में लाकर प्रत्याशी बनाने की है तो दूसरी, कांग्रेस के लगभग संभावित उम्मीदवार बृजेन्द्र सिंह राठौर के पुत्र को भाजपा में लाकर उन्हें प्रत्याशी बनाने के प्रयास शामिल हैं। इस सीट पर कराए गए सर्वे में शिशुपाल यादव के अलावा पूर्व मंत्री सुनील नायक के चचेरे भाई गणेशी नायक और प्रदेश के पूर्व राज्यपाल रहे रामनरेश यादव की बहू रोशनी यादव का भी नाम दावेदारों के रुप में शामिल है।
2 सितंबर को हो जाएंगे छह माह पूरे
आगामी 2 सितंबर को खंडवा लोकसभा सीट को खाली हुए छह माह पूरे हो जाएंगे। सांसद नंदकुमार सिंह चौहान का निधन गत 2 मार्च को हुआ था, तब से यह सीट खाली है। नियमानुसार लोकसभा या विधानसभा सीट छह माह से अधिक समय तक खाली नहीं रह सकती। सीट खाली होने की तारीख से वहां छह महीने के अंदर चुनाव कराना जरूरी है, लेकिन कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर अब तक चुनाव आयोग ने उपचुनाव का कार्यक्रम घोषित नहीं किया है।