भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। पुरानी और नई पेंशन स्कीम को लेकर जारी विवाद के बीच केन्द्र सरकार द्वारा देश भर के सरकारी कर्मचारियों के लिए लाई गई नर्ई पेंशन योजना यूपीएस यानि यूनीफाइड पेंशन स्कीम को लेकर प्रदेश के कई कर्मचारी संगठन आमने -सामने आ गए हैं। कुछ संगठन इसके पक्ष मे हैं, तो कुछ संगठन विरोध में खड़े हो गए हैं। दरअसल, विरोध में खड़े संगठनों का दावा है कि नई स्कीम से पूर्व के पेंशन प्लान में कर्मचारियों की पूंजी वापस आने की संभावना नहीं है। नतीजतन आंदोलन करना पड़ रहा है। इधर, इस आंदोलन को दूसरे संघों ने प्रायोजित बताते हुए विरोध करना शुरु कर दिया है। विरोध करने वाले संगठनों में मुख्य रुप से नेशनल मूवमेंट ओल्ड पेंशन स्कीम संगठन शामिल है। उसके द्वारा प्रदेश के साथ ही देश व्यापी आंदोलन शुरु कर दिया गया है। प्रदेश में शिक्षा सहित कई विभागों के कर्मचारी नई पेंशन स्कीम के विरोध में काली पट्टी बांधकर काम कर रहे हैं। इस संगठन के प्रवक्ता हीरानंद नरवरिया का आरोप है कि देश भर के करोड़ों कर्मचारियों की पुरानी पेंशन की मांग को नजरअंदाज कर सरकार द्वारा यूनीफाइड पेंशन स्कीम लागू किए जाने से कर्मचारी सहमत नहीं हैं। दरअसल उनका कहना है कि नौकरी के दौरान स्कीम के तहत लाखों रुपए जमा होंगे , जो बाद में वापस ही नहीं मिलेंगे। उन्होंने बताया कि यूनाईटेड पेंशन स्कीम में भी एनपीएस की तरह कर्मचारी का 10 फीसदी और सरकार की ओर से बड़े पैमाने पर राशि जमा होती है। सेवानिवृत्ति पर कर्मचारियों को उसकी एवं शासन की जमा राशि का भुगतान भी नहीं किया जाएगा। इस स्कीम में अनेक कर्मचारी विरोधी प्रावधान किए गए हैं।
अटल सरकार में बंद की गई थी पुरानी पेंशन
शुरुआती दौर से चली आ रही पेंशन व्यवस्था को वर्ष 2004 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में बंद कर दिया गया था। उसकी जगह एनपीएस (न्यू पेंशन स्कीम) लाई गई थी। जिसमें 10 फीसदी राशि की कटौती कर्मचारी की वेतन से और वेतन का 14 प्रतिशत अंशदान सरकार जमा करती थी। इसके बाद से कर्मचारी नाराज चल रहे हैं। कर्मचारियों का आरोप रहा है कि नई पेंशन स्कीम में वृद्धावस्था के दौरान कोई सुरक्षित भविष्य नहीं है। नतीजतन पुरानी पेंशन शुरू की जाए। इसी मांग के बीच सरकार ने नया रास्ता निकालते हुए यूनीफाइड पेंशन प्लान लागू किया है।
यह आंदोलन पूरी तरह से प्रायोजित: श्रीवास्तव
मप्र राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत श्रीवास्तव का कहना है कि यूनीफाइड पेंशन सकीम को लेकर जो आंदोलन शुरू किया गया। वह पूरी तरह से प्रायोजित हैं। उन्होंने कहा कि आंदोलन करने वालों को पहले नीति के बिंदुओं का बारीकी से अध्ययन करना चाहिए। पहले 33 साल की सेवा में पेंशन का लाभ मिलता था। अब नई नीति में 25 वर्ष की सेवा उपरांत ही फायदा होगा। उन्होंने बताया कि नई स्कीम में पुरानी की तरह 50 फीसदी लाभ मिलेगा। दस वर्ष में कोई दिवंगत होता है तो उसको भी मिनिमम पेंशन मिलेगी। हेमंत सीधा आरोप लगाते हैं कि जिन लोगों ने आंदोलन का रास्ता अपनाया है। वह राजनैतिक इशारे पर हो रहा है।
इसलिए है संशय की स्थिति
2005 के बाद भर्ती कर्मचारियों के लिए पेंशन योजना लागू की गई है। इसमें दस फीसदी राशि कर्मचारी की कटती है और 14 प्रतिशत अंशदान सरकार मिलाती है। इस मामले में कर्मचारियों का कहना है कि कई संवर्गों को इस स्कीम में रिटायरमेंट के बाद महंगाई के इस दौर में मात्र चार से पांच हजार रुपए ही मिल पाएंगे। वही ओल्ड पेंशन स्कीम में कर्मचारी के रिटायरमेंट के दौरान अंतिम वेतन का पचास फीसदी पेंशन के रूप में मिलता है। अब केन्द्र सरकार यूनिफाइड पेंशन स्कीम लाई है।
10/09/2024
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