
- कलेक्टर कॉन्फ्रेंस में मंथन के 33 दिन बाद कार्रवाई विवरण जारी
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। कलेक्टर कॉन्फ्रेंस के बाद कमिश्नर, आइजी-डीआइजी, कलेक्टर-एसपी और जिला पंचायत सीईओ जैसे सभी बड़े अफसरों को पहली बार 78 बिंदुओं का बड़ा अल्टीमेटम जारी किया है। इसमें कहा है, उनके कार्यक्षेत्र में एक भी अवैध कॉलोनी नहीं बननी चाहिए। नर्मदा किनारे सीवेज ट्रीटमेंट से जुड़ी सभी परियोजनाएं तय समय में पूरा करें। केंद्र के मिशन कर्मयोगी अभियान के तहत खुद का और 100 त्न शासकीय सेवकों का पंजीयन कराएं, प्रशिक्षण लेने और दिलाने से न चूकें। जमीन से जुड़े मामलों का समय पर निराकरण कराएं। केंद्र व राज्य की परियोजनाओं के लिए जमीन उपलब्ध कराने में देरी बर्दाश्त नहीं होगी। सीएम हेल्पलाइन समेत अन्य माध्यमों पर आने वाली शिकायतें लंबित न रहें। कलेक्टरों को दतरों से निकलकर मैदानों में जाने के निर्देश दिए गए। कहा, लोगों के बीच समय गुजारें। उनकी मुश्किलों को समझकर दूर करें। बता दें, कॉन्फ्रेंस 7 से 8 अक्टूबर को भोपाल में हुई थी। सीएम डॉ. मोहन यादव ने अध्यक्षता की थी। सीएस अनुराग जैन भी मौजूद थे।
अफसरों को दिए अल्टीमेटम में यह खास
– खाद-बीज की कालाबाजारी रोकें। नरवाई जलाने पर कार्रवाई।
– ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के एमओयू जमीन पर उतारें
– बंद हो चुकीं औ?द्योगिक इकाइयां व मिलों की जमीनों का उपयोग हो।
– उद्यानिकी फसलों का रकबा बढ़ाएं, गुलाब की खेती कराएं।
– दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए नई समितियां व नए मार्ग बनवाएं।
– कुपोषण जड़ से खत्म करने के प्लान पर ठीक से काम हो।
– यातायात सुधारें, हवा की गुणवत्ता अच्छी हो, मेट्रोपॉलिटन में तेजी लाएं।
– स्कूल-आंगनबाडिय़ों व अन्य शैक्षणिक संस्थाओं का निरीक्षण करें।
– छात्रवृत्ति का भुगतान समय पर हो। शैक्षणिक कार्यों में नई तकनीक का उपयोग करें।
– नर्मदा किनारे विकास परियोजनाएं जल्द पूरी करें।
– नल-जल योजना के काम पूरा करें गर्मी में लोगों को दिक्कत न हो।
– वन अधिकार प्रकरणों का निराकरण समय पर किया जाए, अतिक्रमण की घटनाएं न हो।
– शहर की संकरी सडक़ों को चौड़ा कर मूवमेंट के अलग से प्लान बने।
– नक्सली घटनाओं पर पूर्ण विराम लगाने के प्रयास।
– एसटी-एससी वर्ग के खिलाफ आपराधिक मामलों में नियंत्रण लाएं।
– नशे के कारोबार पर कार्रवाई। जिलों में नई घटना न आए।
– कॉलेज-स्कूलों में सुरक्षा व्यवस्था पुता होनी चाहिए।
– विजन डॉक्यूमेंट-2047 के तहत पहले 5 साल की कार्ययोजना जमीन पर उतारने में कसर न रहे।
– स्थानीय जनप्रतिनिधियों से संवाद ठीक करें।
