प्रदेश में दो हजार साल पुराने मानव निर्मित जल स्रोत मिले

बांधवगढ़ नेशनल पार्क

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पुरातत्व सर्वे से हुए कई तरह के खुलासे…

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। बाघों के रहवास के रूप में प्रसिद्ध बांधवगढ़ नेशनल पार्क अब जल्द ही पुरातत्वविदों के आकर्षण का केन्द्र बन जाएगा। इसकी  वजह है यहां पर दो हजार पुराने मानव निर्मित जल स्रोत सहित कई तरह की पुरातात्विक धरोहरों का मिलना। यह हजारों साल पुराने अवशेष अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैं। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा जारी खोज में यहां पर 1500 साल पुरानी रॉक पेंटिंग और 1800 साल से 2000 साल पुराने मानव निर्मित जलस्रोत मिले हैं। कहा जा रहा है कि बांधवगढ़ नेशनल पार्क में 2000 साल पहले के समाज के अवशेष हैं। यहां 9वीं सदी के मंदिर और बौद्ध मठ मिले हैं। यह सभी ऐतिहासिक धरोहर 175 वर्ग किलोमीटर इलाके में मिले हैं। ये सभी अवशेष दो हजार साल पुराने हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने यहां पर 26 मंदिर, 26 गुफाएं, 2 मठ, 2 स्तूप, 24 अभिलेख, 46 कलाकृतियां और 19 जल संरचनाएं खोजी हैं। इसके लिए जारी सर्वे का काम हाल ही में 30 जून को समाप्त हुआ है। एएसआई ने 85 साल बाद यहां खोज की है। जबलपुर सर्कल के अधीक्षण पुरातत्वविद् शिवकांत वाजपेयी के नेतृत्व में यहां पर जारी सर्वे में 1400 साल पुरानी बुद्ध, अवलोकितेश्वर और बौद्ध देवता तारा की मूर्तियां मिली हैं। ये मूर्तियां टाइगर रिजर्व के धमोखर बफर क्षेत्र में पाई गईं। यह जगह भोपाल से करीब 480 किमी दूरी पर है। यह तीनों मूर्तियां बौद्ध धर्म के तंत्रायन संप्रदाय से संबंधित हैं, जो महायान का एक उप-संप्रदाय है। स्थानीय लोग देवताओं को खैर माई के रूप में पूजते थे। अधीक्षण पुरातत्वविद् शिवकांत वाजपेयी के मुताबिक हम अभी मूर्तियों का अध्ययन कर रहे हैं , लेकिन हमारा अनुमान है कि मूर्तियां कम से कम छठी और सातवीं शताब्दी जितनी पुरानी हैं। दरअसल, इस साल मई में एक आधुनिक समाज, शैल कला और दो पूर्ण विकसित स्तूपों के अवशेष मिले थे।  पिछले साल भी कई बौद्ध गुफाओं और संरचनाओं की खोज यहां की गई थी, जिनमें दूसरी-तीसरी शताब्दी का एक मन्नत स्तूप और उसी अवधि के बौद्ध स्तंभ के टुकड़े शामिल थे, जो महाराष्ट्र में बेडसे गुफाओं और चैत्य स्तंभों के समान थे।
गुफाओं से कुछ किमी की दूरी पर मिलीं मूर्तियां
वाजपेयी के मुताबिक जिस स्थान पर मूर्तियां मिलीं, वह स्थान मिली गुफाओं से छह-सात किमी दूर है। बफर क्षेत्र के स्थानीय लोग मूर्तियों के संबंध में एक मिथक को याद करते हुए वे बताते हैं कि उनके कुछ पूर्वज एक सपने के बाद इसे ऊपरी तरफ से लाए थे। इसे उस क्षेत्र से लाया गया था, जहां पहले गुफाएं थीं। यह बांधवगढ़ किले के पास है। अन्य साक्ष्य के रूप में, जैसे मन्नत गुफाओं के आसपास  पूर्ण विकसित स्तूप भी पाए गए हैं।

Related Articles