- डां गोविन्द सिंह और केपी सिंह की सक्रियता हुई कम
- विनोद उपाध्याय

राजनीति ऐसा क्षेत्र है, जिसमें कब कौन सा नेता फर्श से अर्श पर आ जाए और कब किस नेता की किस्मत ही बदल जाए। ऐसे कई सारे उदाहरण भरे पड़े हैं। ऐसा ही कुछ प्रदेश में कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं के साथ हो रहा है। दोनों नेता पहली बार विधानसभा का चुनाव क्या हारे एकदम से प्रदेश के राजनैतिक परिदृश्य से गायब ही हो गए हैं। यह वे दो चेहरे हैं, जो अपनी साफगोई के साथ ही लगातार अजेय रहने की वजह से उन विधायकों में शामिल थे, जो बेहद वरिष्ठ माने जाते हैं। बीता विधानसभा चुनाव हारे तो उसके बाद से वे न तो पार्टी के कार्यक्रमों में नजर आते हैं और न ही उनकी संगठन में पूछ परख होते दिख रही है। अहम बात यह है यह दोनों नेता एक ही अंचल ग्वालियर चंबल से आते हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं कांग्रेस की राजनीति में अपनी बेवाकी और साफगोई के लिए पूरे प्रदेश में पहचाने जाने वाले दो वरिष्ठ नेता डाक्टर गोविंद सिंह और केपी सिंह की। कांग्रेस सरकारों में मंत्री और संगठन में विभिन्न पदों पर रहे ये नेता आधा दर्जन से अधिक बार विधानसभा का चुनाव जीते पर एक हार ने उन्हें पूरी तरह से गुमनाम कर दिया है। वे अब सियासी फलक से पूरी तरह से ओझल से दिख रहे हैं। विजयपुर उपचुनाव का ऐलान होने के बाद इन नेताओं को लेकर सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म है। इन नेताओं की इस चुनाव में सक्रिय उपस्थिति नहीं दिख रही है। विजयपुर विधानसभा में उप चुनाव का ऐलान हो चुका है, लेकिन दोनों ही नेताओं को आखिर क्यों दूर रखा गया है या फिर वह स्वयं दूरी बनाए हुए हैं, इसको लेकर राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। यह दोनों नेता पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के समर्थक हैं और दोनों का ही राजनीति में खासा रुतबा भी है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह भिंड जिले की लहार विस से लगातार सात बार चुनाव जीतकर विस में पहुंचे और केपी सिंह शिवपुरी जिले की पिछोर विस से लगातार 6 बार चुनाव जीते थे। डॉ. गोविन्द सिंह नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद अपने विस में समय कम दे सके, जिसका परिणाम यह रहा कि उनको 2023 में हुए विसा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा, वहीं केपी सिंह को सीट बदलकर शिवपुरी विस भेजा गया, जिसके चलते उनको भी हार का सामना करना पड़ा। एक तरह से कांग्रेस के सालों से मजबूत किले बने दोनों दिग्गज उपचुनावी समर में कहीं न जर नहीं आ रहे हैं।
उप चुनाव की भी नहीं मिली जिम्मेदारी
विजयपुर में उप चुनाव का ऐलान हो चुका है। कांग्रेस के कई नेता वहां सक्रिय होकर लोकसभा का हिसाब- किताब करने के लिए उतावले नजर आ रहे हैं। विजयपुर के लिए पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह के अलावा राज्यसभा सांसद अशोक सिंह, पूर्व मंत्री लाखन सिंह यादव को जिम्मा दिया है, लेकिन अंचल की राजनीति में खासा दखल रखने वाले पूर्व नेता प्रतिपक्ष को वहां से दूर रखा गया है। कांग्रेस के कुछ नेताओं का तो कहना है कि पूर्व नेता प्रतिपक्ष श्योपुर जिले में खासा प्रभाव रखते हैं, ऐसे में उनको नजर अंदाज करना कांग्रेस के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसी तरह से केपी सिंह के भी अंचल में खासे समर्थक और प्रभाव है, लेकिन कांग्रेस दोनों ही दिग्गजों के अनुभवों का लाभ लेने से क्यों बच
रही है, उसको लेकर अब कई सवाल उठने लगे हैं।
गोविंद सिंह कर चुके है चुनाव न लड़ने की घोषणा
लहार विधानसभा सीट से लगातार सात चुनाव जीतने वाले गोविंद सिंह को इस बार हार का सामना करना पड़ा है। चुनाव में मिली हार के बाद वे अपने राजनीतिक जीवन को लेकर भी बड़ा ऐलान कर चुके हैं। उनके द्वारा अब आगे कोई चुनाव न लडऩे की बात कही जा चुकी है। दरअसल, चुनाव के बाद गोविंद सिंह ने धन्यवाद सभा का आयोजन किया था, जिसमें उनके द्वारा अपने राजनीतिक जीवन से संन्यास की घोषणा की जा चुकी है। गोविंद सिंह ने हा था कि अब वे कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे, अब ना तो वे नेता प्रतिपक्ष हैं ना पूर्व और भूतपूर्व विधायक हैं। अब वे सिर्फ जनता के लिए 1990 के पहले वाले डॉ गोविंद सिंह हैं। गोविंद सिंह ने कहा कि अब फैसला कर लिया है कि इस उम्र में कोई विधायक का चुनाव अब इस जीवन में नहीं लडऩा है। आगे जो भी चेहरा जनता उनके बीच से पार्टी के लिए चुनेगी वे उसका साथ देंगे। वे अंचल के बड़े नेताओं में माने जाते हैं और उनका अपना प्रभाव भी है।
संगठन में भी नहीं मिल रहा महत्व
विस चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष बदलकर जीतू पटवारी को बना दिया गया था। उसके बाद से ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एक तरह से दूरी बनाकर चल रहे हैं। दोनों दिग्गज नेताओं को शायद संगठन महत्व नहीं दे रहा है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह के मकान की जब लहार में नपाई की गई, उसके बाद जरूर कांग्रेस के दिग्गज लहार पहुंचे थे व भिंड में कलेक्टर के समक्ष प्रदर्शन कर उनको ज्ञापन दिया था। वहीं केपी सिंह ने भी राजनीतिक रूप से सक्रियता कम कर दी है।