प्रदेश में दो नए कॉरिडोर से 700 नए उद्योगों का होगा रास्ता साफ

कॉरिडोर

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर अगर नेशनल इंडस्ट्रियल कॉरिडोर डेवलपमेंट कारपोरेशन की स्वीकृति की मुहर लगती है तो फिर प्रदेश में लगभग सात सौ नए उद्योगों का रास्ता साफ हो जाएगा। प्रस्ताव राज्य सरकार द्वारा लंबे समय पहले केन्द्र सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को भेजा गया था, जिस पर  केंद्र सरकार की सैद्धांतिक सहमति मिल चुकी है, लेकिन अंतिम फैसला कारपोरेशन को ही लेना है। यह प्रस्ताव मुंबई-वाराणसी और इंदौर-विशाखापटनम के बीच इंडस्ट्रियल कॉरीडोर को बनाने से संबंधित है। इन दोनों ही कॉरीडोर का बड़ा हिस्सा मध्यप्रदेश से होकर गुजरेगा। इसकी वजह से मप्र सरकार द्वारा इसके लिए जमीन दी जाना है। यह कॉरिडोर प्रदेश के विंध्य, महाकौशल, मालवा और भोपाल के आसपास के इलाके से होकर निकलेगा जिसका फायदा इन अंचलों को मिलना तय है। इसकी वजह से प्रदेश सरकार ने करीब दो लाख बेरोजगारों को रोजगार देने का लक्ष्य भी तय कर लिया है। सूत्रों की मानें तो इन कॉरिडोर को लेकर दो दौर की बैठक भी हो चुकी है। अब इस प्रस्ताव पर अंतिम फैसला लेने के लिए नेशनल इंडस्ट्रियल कॉरिडोर डेवलपमेंट कारपोरेशन की जल्दी बैठक होने जा रही है। इस मामले में पहले ही केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा सैद्धांतिक सहमति दे दिए जाने की वजह से माना जा रहा है कि कारपोरेशन की मंजूरी भी मिलना तय है। इसके बाद अगली बैठक में इसके लिए राशि जुटाने पर फैसला किए जाने की भी संभावना है। इस बनने वाले कॉरिडोर निर्माण में राज्य सरकार की भी हिस्सेदारी रहने वाली है, जिसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा मुफ्त में जमीन दी जाएगी। इसी जमीन को मप्र की हिस्सेदारी के रूप में देखा जाएगा। इसकी वजह से प्रदेश सरकार को जमीन अधिग्रहण के लिए केंद्रीय मद से राशि का आवंटन नहीं मिलेगा। इसकी वजह से ही अब प्रदेश सरकार कॉरीडोर और उसके आसपास उद्योगों की स्थापना के लिए भी  लैंड बैंक बनाने की तैयारी कर रही है। सूत्रों की माने तो इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा रीवा जिले के गुढ़ इलाके में 300 एकड़ जमीन भी चिन्हित की जा चुकी है। इसके अलावा सतना जिले में भी कुछ जमीन चिन्हित की जा चुकी है। अगर अधिकारियों की मानें तो केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद जमीनों का अधिग्रहण शुरू कर दिया जाएगा।
कॉरीडोर में आएंगे यह क्षेत्र
मुंबई-वाराणसी कॉरीडोर के दायरे में  रीवा, जबलपुर, सिंगरौली, कटनी, बोरगांव, मंडीदीप, मोहासा-बाबई और सीहोर औद्योगिक क्षेत्र आएंगे। इस कॉरीडोर मे16000 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा। इसके माध्यम से सत्तर हजार लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य तय किया गया है। इस नए कॉरीडोर के बनने से लगभग 200 बड़े और मध्यम उद्योगों की स्थापना का भी लक्ष्य रखा गया है। इसी तरह से चार से पांच औद्योगिक नोड्स मध्यप्रदेश में मुंबई और वाराणसी औद्योगिक कॉरीडोर के साथ विकसित किए जा सकते हैं। इनमें  मिनरल्स, सीमेंट, फूड प्रोसेसिंग, मेटल, नान मेटल, रिन्यूएबल एनर्जी, डिफेंस और लॉजिस्टिक सेक्टर संभावित हैं।
इंदौर-विशाखापट्नम कॉरीडोर में आएंगे यह क्षेत्र
इस  कॉरीडोर के दायरे में मनेरी, बरोगांव, मंडीदीप, सीहोर, देवास, इलेक्ट्रिानिक्स कॉप्लेक्स इंदौर, रेडीमेड गारमेंट पार्क, राऊ, पीथमपुर आएंगे। इस कॉरीडोर पर 60000 करोड़ रुपए का निवेश किया जाना है। इसके जरिए 1,25000 युवाओं को रोजगार देने का लक्ष्य है। नए कॉरीडोर के के आसपास लगभग 500 बड़े और मध्यम उद्योगों की स्थापना का लक्ष्य तय किया गया है। यह उद्योग एग्रीकल्चर एंड फूड प्रोसेसिंग, मेटल, नान मेटल एंड फेरोअलायज, फार्मास्युटिकल, आटो एंड आटो कंपोनेट्स, हैवी इंजीनियरिंग और डिफेंस सेक्टर के संभावित होंगे।
विकसित किए जाएंगे तीन-तीन औद्योगिक पार्क
भोपाल और इंदौर में तीन-तीन औद्योगिक पार्क अलग से विकसित किए जाएंगे। एक औद्योगिक पार्क जबलपुर में विकसित किया जाएगा। इस इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट के 2022 में पूरा होने का लक्ष्य तय किया गया है। भोपाल में औद्योगिक पार्क बैरसिया, औद्योगिक पार्क आष्टा (झिलेल) और आईटी पार्क भोपाल शामिल है। सातों प्रोजेक्ट 1414 करोड़ की लागत से पूरे होंगे और 50 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। इसमें 32,900 करोड़ रुपए का निवेश आने की उम्मीद है। दो हजार हेक्टेयर जमीन का उपयोग किए जाने की संभावना है।

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