दो कारिंदों ने तीन अरब की सरकारी जमीन को कर डाला खुर्दबुर्द

367 एकड़ जमीन को रिकार्ड में बता दिया 25 लोगों की निजी  

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में राजस्व अमला किस तरह से सरकारी जमीनों को खुर्दबुर्द करने में पीछे नहीं रहता है, इसका बड़ा उदाहरण है सिंगरौली जिले का देउसर इलाका। यहां पर दो दशक पहले दो सरकारी कारिंदों ने मिलकर सरकार को तीन अरब रुपए से अधिक की जमीन खुर्दबुर्द कर सरकार को चूना लगा दिया। खास बात यह है कि इस मामले का खुलासा दो दशक बाद हुआ है। मामले की जांच हुई तो पता चला कि करीब 367 एकड़ सरकारी जमीन को दस्तावेजों में हेरा फेरी कर निजी  बता दिया गया है। यह पूरा गड़बड़ झाला तत्कालीन एसएलआर प्रभारी और पटवारी ने मिलकर अंजाम दिया है।
इस मामले में अब ईओडब्ल्यू भोपाल ने सभी आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है। इस पूरे मामले को कई सालों में अंजाम दिया गया है। मिली जानकारी के अनुसार सिंगरौली जिले के देवसर तहसील के ग्राम मझिगवां कीं सरकारी जमीन को साल 1998 से 2004 और 2007 से 2008 तक रिकॉर्ड में हेरा फेरी कर इसे अंजाम दिया गया है। इसके लिए इन दोनों ही सरकारी कर्मचारियों ने रिकॉर्ड को मिटाने के लिए कहीं सफेदा का उपयोग किया गया तो कहीं लिखावट को खरोंचा गया है। इसके बाद भी जब काम बनता नहीं दिखा तो दूसरे दस्तावेज लगाकर भी हेराफेरी की गई है। जांच में पता चला है कि इस जमीन को 25 लोगों के नाम पर कर दिया गया है। यह पूरा कारनामा तत्कालीन पटवारी सूर्यभान सिंह और तत्कालीन कानूनगो मुनेंद्र प्रसाद मिश्र ने मिलकर अंजाम दिया था। अहम बात यह है कि इस मामले के खुलासे के बाद जब आरोपियों को नोटिस दिए गए तो उनके द्वारा जवाब तक नहीं दिए गए।
आठ माह पूर्व भी पकड़ा जा चुका है एक फर्जीवाड़ा
करीब आठ महीने पहले भी 16 खसरों में काट पीट कर सरकार की 93.14 हेक्टेयर भूमि को उपेंद्र सिंह तत्कालीन तहसीलदार देवसर के भाई राजेंद्र सिंह एवं तत्कालीन अभिलेखकार प्रभारी के द्वारा प्रमोद कुमार मिश्रा और अन्य परिचित किसानों के नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज कर दी गई थी। मामले की जानकारी मिलने पर तहसील न्यायालय द्वारा प्रकरण दर्ज कर 27 दिसंबर को इस भूमि को सरकारी घोषित कर दिया गया था। इस संबंध में हितग्राही  किसानों ने न्यायालय देवसर में अपील की जिसे निरस्त कर दिया गया था। इस मामले में 36 आरोपियों पर ईओडब्ल्यू द्वारा प्रकरण दर्ज किया गया था।
दो दर्जन पर दर्ज हुआ मामला
सरकारी रिकॉर्ड में हेराफेरी की जांच के बाद दो हजार पेज की रिपोर्ट तैयार की गई है। इस जांच रिपोर्ट को भोपाल मुख्यालय भेजा गया है। इसके आधार पर ही एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए थे। मुख्यालय के निर्देश पर प्रभारी अभिलेखागार, सूर्यभान सिंह तत्काल पटवारी, मोहम्मद मुमताज, भगवानदास पटवा, अलाउद्दीन मियां, सवित्री, कोलेसिया सिंह , मुस्तकिन, अंजू, नारायण सिंह, बृजलाल, रंगदेव, ऋषिकांत, जमालुद्दीन, जाकिर हुसैन, अमृतलाल बैस, रामधारी सिंह, चिट्टी सिंह , सविता गोड़, अमय पटवा, सूर्यवीर सिंह, मोहम्मद गुलाम और अन्य व्यक्तियों पर मामला दर्ज कर लिया गया है।

Related Articles