
- 6 साल का कोर्स 12 साल में भी नहीं कर पा रहे पूरा
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में करीब 200 एमबीबीएस छात्र ऐसे हैं , जो विश्वविद्यालयों पर बोझ बने हुए हैं। कई छात्र तो ऐसे भी हैं जो कई सालों से फस्र्ट ईयर में ही हैं। हाल ये है कि करीब 6 साल का कोर्स 12 साल में भी नहीं हो पा रहा है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के नौ साल में पढ़ाई पूरी करने व दो बार में प्रोफेशनल एग्जाम पास नहीं करने पर बर्खास्तगी के फैसले से ऐसे छात्रों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। गौरतलब है कि मेडिकल यूनिवर्सिटी बनने के बाद बीयू से संबद्ध मेडिकल कॉलेज, डेंटल कॉलेज, आयुष और नर्सिंग कॉलेज मेडिकल यूनिवर्सिटी में शिफ्ट हो गए। लेकिन एमबीबीएस, बीडीएस समेत सभी कोर्सेस के छात्रों का बैकलॉग बीयू के पास है।
जानकारी के अनुसार बरकतउल्ला (बीयू) सहित प्रदेश के पारंपरिक विश्वविद्यालयों में एमबीबीएस के ऐसे 200 विद्यार्थी हैं ,जो 10-12 साल में भी पढ़ाई पूरी नहीं कर सके। लेकिन ऐसे लोगों को अब दिक्कत आएगी। मेडिकल यूनिवर्सिटी (एमयू) के रजिस्ट्रार डॉ. पुष्पराज सिंह बघेल ने बताया, नोटिफिकेशन 2023-24 में प्रवेश लेने वाले छात्रों पर लागू होगा। एमयू 2014 में बनी, पुराने विद्यार्थियों का जिम्मा पारंपरिक विवि का है।
नई गाइडलाइन में केवल 4 मौके
एनएमसी ने जारी नोटिफिकेशन में कहा है, प्रवेश की तारीख से 9 साल में एमबीबीएस पूरी करनी है। ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशंस 2023 में स्पष्ट है, फस्र्ट ईयर (फस्र्ट प्रोफेशनल एमबीबीएस) के लिए अधिकतम 4 प्रयास ही मिलेंगे। नियम सत्र 2023-24 पर लागू होगा। एमबीबीएस में अमूमन 6 साल लगते हैं। साढ़े चार साल पढ़ाई और 1 साल की इंटर्नशिप होती है। कोई सेमेस्टर पूरा न होने पर एग्जाम क्लीयर नहीं होता। कोई नियम न होने से सालों साल छात्र एक ही कक्षा में अटके रहते थे, लेकिन अब 9 वर्ष का समय तय होने पर दिक्कत बढ़ जाएगी।
7 विवि में 200 स्टूडेंट
बीयू में एमबीबीएस के ऐसे छात्रों की संख्या 56 हैं। इनमें सेकंड ईयर के 8, थर्ड ईयर के 20 और फोर्थ ईयर के 28 छात्र शामिल हैं। फाइनल ईयर में 2009-10 में प्रवेश लेने वाले छात्र भी हैं। देवी अहिल्याबाई विवि में भी इतने ही स्टूडेंट्स हैं। अन्य 7 विवि को मिलाकर विद्यार्थियों की संख्या 200 है।