जल्द मिलने वाली है दो हाई स्पीड कॉरिडोर की सौगात

  • दोनों मार्गों पर होगी एक्सीडेंट फ्री यात्रा

गौरव चौहान
मप्र में कई बड़े कॉरिडोर बनाए जाने की योजना है। इनके माध्यम से देश के प्रमुख शहरों और राज्यों को सीधा जोड़ा जाएगा। इसी कड़ी में प्रदेश में 2 हाईस्पीड कॉरिडोर बनाए जाएंगे। हाई स्पीड कॉरिडोर की सडक़ें बिल्कुल सीधी होती हैं, जिनमें गति के साथ कोई समझौता नहीं किया जाता। कॉरिडोर को स्पीड सेंसर, जीपीएस ट्रैकर जैसी सुविधाओं के साथ एक्सीडेंट फ्री बनाने पर जोर दिया जाता है। इसके लिए कॉरिडोर को दोनों ओर से कवर किया जाता है, ताकि सडक़ों पर वाहन तो सरपट दौड़ते रहें लेकिन दुर्घटना भी न हो।
गौरतलब है कि मप्र की भौगोलिक स्थिति देश के चारों कोनों को जोडऩे में अहम भूमिका निभा रही है। रोड इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में देश के बीचो-बीच बसे मध्य प्रदेश की प्रगति के नए पायदान जुड़ रहे हैं। जल्द ही एमपी के लिए दो हाई स्पीड कॉरिडोर की सौगात मिल सकती है। जो मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विकास की रफ्तार बढ़ाने का काम करेंगे। खास बात ये है कि महाकौशल सेतु की भूमिका निभाते हुए बुंदेलखंड के जरिए मप्र और छत्तीसगढ़ की राजधानी जोड़ने का काम करेगा। ये 8 लेन हाई स्पीड कॉरिडोर होगा, जो यूपी के यमुना एक्सप्रेस वे की तरह बनाया जाएगा।
रायपुर और नागपुर की दूरी होगी कम
इसके अलावा नेशनल हाईवे 44 के जरिए रायपुर और नागपुर को हाईस्पीड कॉरिडोर से जोड़ा जाएगा। फिलहाल रायपुर से नागपुर के बीच में 400 किमी की दूरी है। इस नए हाई स्पीड कॉरिडोर के कारण करीब 150 किमी दूरी कम हो सकती है। बालाघाट से नया रास्ता बनने के कारण करीब 145 किमी दूरी कम हो रही है। इस तरह से रायपुर और नागपुर के बीच की दूरी करीब 255 किमी रह जाएगी। हाई स्पीड कॉरिडोर एकदम सीधा होता है, जिसके कारण वाहनों की रफ्तार एक जैसी बनी रहती है। इसके अलावा सडक़ दुर्घटनाओं से बचाने और यातायात सुचारू रखने के लिए इस पर अत्याधुनिक हाइटेक सुविधाएं होती है। जिनमें स्पीड सेंसर, जीपीएस ट्रैकर जैसी सुविधाएं होती है। हाईस्पीड कॉरुडोर दोनों तरफ से बंद रहता है। किसी तरह से दाए बाए तरफ से वाहन आने की संभावना नहीं होती है और बेरोकटोक वाहन अपनी रफ्तार में दौड़ते हैं। प्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह का कहना है कि फिलहाल दोनों प्रस्तावों पर डीपीआर पर काम चल रहा है और मौजूदा प्रस्ताव के अलावा वैकल्पिक प्रस्ताव पर भी विचार किया जा रहा है। जल्द ही दोनों हाई स्पीड कॉरिडोर का डीपीआर अंतिम रूप से तैयार कर केंद्र सरकार को भेज दिया जाएगा।
डीपीआर बनाने में जुटी सरकार
जानकारी के अनुसार फिलहाल मध्य प्रदेश सरकार इसके डीपीआर बनाने में जुटी है। एक जबलपुर से नौरादेही टाइगर रिजर्व से रायसेन होते हुए भोपाल तक जाएगा। दूसरा लखनादौन से रायपुर तक जाएगा। जो रायपुर और नागपुर को जोड़ने का काम करेगा। इन दोनों हाई स्पीड कॉरिडोर पर 17 हजार करोड़ खर्च आने की संभावना है। मध्य प्रदेश की संस्कारधानी के नाम से जाने जाना वाला जबलपुर का नजारा 2027 में कुछ अलग नजर आएगा। दरअसल, विजन-2047 के तहत जबलपुर से भोपाल के लिए ग्रीनफील्ड हाई स्पीड कॉरिडोर की योजना पर मध्य प्रदेश सरकार और एनएचएआई काम कर रही है। इसके तहत जबलपुर से भोपाल के लिए शानदार 8 लेन रोड बनायी जाएगी। जिसकी लागत 7 से 8 हजार करोड़ तक हो सकती है। फिलहाल जिस डीपीआर पर मंथन चल रहा है, उसके तहत ये सडक़ तेंदूखेड़ा से होते हुए नौरादेही टाइगर रिजर्व से रायसेन से जुड़ेगी और जबलपुर-भोपाल के बीच दूरी कम हो जाएगी। हालांकि अगर टाइगर रिजर्व के कारण कोई परेशानी आती है, तो दूसरे विकल्प खोजे जा सकते हैं। फिलहाल प्रस्ताव ये है कि वनक्षेत्र से गुजरने की स्थिति में यह ग्रीन फील्ड कॉरिडोर होगा। खास बात ये है कि फिलहाल जबलपुर-भोपाल सफर के लिए औबेदुल्लागंज से होते हुए ये दूरी करीब साढ़े तीन सौ किमी पड़ती है। इस ग्रीन फील्ड हाईस्पीड कॉरिडोर के कारण ये करीब 250 किमी दूरी बचेगी।

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