
- बड़ी संख्या में भर्ती करने की योजना पर किया जा रहा काम
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। सिमी का गढ़ रह चुका मप्र अब पीएफआई के निशाने पर बना हुआ है। पीएफआई संगठन मप्र में अपनी गहरी पैठ बढ़ाने की योजना पर काम कर रहा है। उसकी योजना शुरूआत में करीब दो दर्जन जिलों में संगठन खड़ा कर उसे मजबूती प्रदान करने की है। इसके लिए वह कई तरह की गतिविधियों का गुपचुप संचालन कर रहा है। यह खुलासा हुआ है इस संगठन के कई पदाधिकारियों के पकड़े जाने के बाद।
बीते रोज ही प्रदेश के आतंकवाद निरोधी दस्ता एमपी एटीएस ने पापुलर फ्रंट आॅफ इंडिया पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष अब्दुल करीम समेत संगठन के चार पदाधिकारियों को एनआईए की सूचना के तहत हिरासत में लिया है। इन चारों पर आतंकी गतिविधियों का संचालन करने और टेरर फंडिंग करने जैसे गंभीर आरोप हैं। दरअसल इस पीएफआई संगठन के कर्ताधर्ताओं ने संगठन के विस्तार के लिए करीब दो दर्जन जिलों पर फोकस करना शुरू कर दिया था। इन जिलों में अपना कुनवा बढ़ाने की उनकी योजना थी। इसके लिए उनके द्वारा संगठन में युवाओं की भी भर्ती की जानी थी।
दरअसल प्रदेश में सिमी हो या फिर पीएफआई इनकी गतिविधियां सर्वाधिक इंदौर समेत उज्जैन, खंडवा, बुरहानपुर आदि जिलों में रहती हैं। इसमें अब एक नया नाम श्योपुर का भी जुड़ रहा है। एनआईए की सूचना पर एटीएस ने पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष अब्दुल करीम बेकरीवाला, संगठन के पदाधिकारी अब्दुल जावेद समेत तीन पदाधिकारियों को इंदौर से तो उनके चौथे पदाधिकारी जमील को उज्जैन से हिरासत में लिया है। इन सभी को बुधवार गुरुवार की दरमियानी देर रात उनके घरों से हिरासत में लिया गया है। चारों संदिग्ध इंदौर के सदर बाजार, छिपा बाखल और उज्जैन के कोतवाली इलाके में रहते हैं। हिरासत में लिए गए पीएफआई के पदाधिकारियों के पास से कई तरह के संदिग्ध और भड़काऊ दस्तावेज भी बरामद हुए हैं। इससे पता चला है कि वे अपने संगठन विस्तार के लिए युवाओं की भर्ती का अभियान चला रहे थे। उनके पास से फंड जुटाने के लिए छपवाया गया रसीद कट्टा और नाम-पते लिखने वाला फार्म भी बरामद हुआ है। शुरुआती जांच में पता चला कि पीएफआई प्रदेश के कई जिलों में अपनी गतिविधियां संचालित करने की योजना पर तेजी से काम कर रहा था। दरअसल पीएफआई लंबे समय से इंदौर, उज्जैन और खंडवा में सक्रिय है जिसकी वजह से इन जिलों में उसका संगठन सर्वाधिक मजबूत माना जाता है। दरअसल यह जिले पहले भी सिमी के केन्द्र रह चुके हैं, जिसका फायदा इस संगठन को मिला है। इस संगठन द्वारा बीते कुछ समय से श्योपुर और बुरहानपुर में भी तेजी से काम किए जाने की भी जानकारी सामने आ रही है। इस संगठन का फिलहाल रतलाम, खरगोन और बड़वानी पर खास फोकस था। जांच से जुड़े अफसरों की माने तो हाल ही के कुछ दिनों में पीएफआई की गतिविधियां तेज हो गई थीं। एनआईए के मुताबिक पीएफआई को विदेशों से फंडिंग की जानकारी मिल रही थी, जिसकी वजह से इस मामले में ईडी को भी शामिल किया गया है। इस राशि का उपयोग संगठन द्वारा प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में टेरर फंडिंग के रुप में की जा रही है। इसके बाद ही यह कार्रवाई की गई है।
सूत्रों का कहना है कि आतंकी गतिविधियों को बए़ावा देने के लिए पीएफआई के पदाधिकारी प्रदेश में युवाओं की भर्ती में लगे हुए थे, जिसके लिए उनके द्वारा छोटे-छोटे कार्यक्रमों के बहाने युवाओं को चिन्हित कर उन्हें आर्थिक मदद का लालच दिया जाता है। इसमें संगठन में शामिल होने वाले नए लोगों को 7 से 10 हजार रुपए प्रतिमाह तक का भुगतान करने की बात सामने आ रही है। कई लोगों को तो यह राशि 50 हजार रुपए तक मासिक दिए जाने की बात कही जा रही है। फिलहाल इस पूरे मामले में पूछताछ की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है, बल्कि संदेह के आधार पर उनसे पूछताछ की जा रही है।
इंदौर में पहले भी हो चुकी है कार्रवाई
पीएफआई का इंदौर के जिस भवन में दफ्तर है, उसमें जिम भी संचालित होता है। सुबह जांच एजेंसी के अधिकारी जिम से लेकर दफ्तर तक के सीसीटीवी फुटेज भी साथ ले गए हैं। इंदौर में इससे पहले भी कई बार पीएफ आई पर कार्रवाई हो चुकी है। एक साल पहले मुस्लिम युवाओं को भड़काने का मामला सामने आया था। तब इंदौर की पंढरीनाथ और सर्राफा थाना पुलिस ने कार्रवाई की थी। उस समय प्रशासन ने पीएफआई के अब्दुल रऊफ को जिला बदर किया था और जाहिद पठान पर रासुका भी लगाई थी।