
- एक छोड़ सभी योजनाओें में पीछे बना हुआ है सतना जिला
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। सूबे की सरकार ने पंचायतों की आय वृद्धि के लिए उन्हें अपने-अपने क्षेत्रों में तमाम तरह के कर वसूली के अधिकार दिए हुए हैं, लेकिन अफसरों की लापरवाही से कई जिलों की पंचायतों में करों की वसूली ही नहीं की जा रही है। इसकी वजह से पंचायतों को आय न होने की वजह से विकास के काम नहीं हो पा रहे हैं। सरकार द्वारा पंचायातों को जल, स्वच्छता और प्रॉपर्टी टैक्स वसूलने के अधिकार दिए गए हैं। प्रदेश में करीब 23 हजार ग्राम पंचायतें हैं। इस मामले में जब प्रदेश स्तर पर समीक्षा की गई तो पाया गया कि दो दर्जन जिले दिए गए लक्ष्य में फिसड्डी बने हुए हैं। यही नहीं विभिन्न ग्रामीण योजनाओं के अन्तर्गत मंजूर किए गए लाखों की संख्या में कामों में भी तेजी नहीं आ पा रही है। इसमें भी खास बात यह है कि एक दर्जन जिले तो ऐसे हैं, जो बीते डेढ़ साल से लगातार अन्य जिलों से पीछे ही चल रहे हैं। समीक्षा में पाया गया है कि प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतें महज 16 प्रतिशत तक ही संपत्ति कर की वसूली कर पा रही हैं। जबकि स्वच्छता कर वसूलने का प्रतिशत 17 है। यही नहीं विभाग की संचालित 9 प्रमुख योजनाओं के क्रियान्वयन में अधिकांश जिले बी से डी श्रेणी के ग्रेड में पाए गए हैं। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्राथमिकता में शामिल अमृत सरोवर के तहत हर जिले में पानी का जलस्तर बढ़ाने के लिए 75 सरोवर बनाए जाने हैं, लेकिन इसमें भी कई जिले बेहद धीमी गति से काम कर रहे हैं।
सबसे बुरे हाल सतना जिले में
प्रदेश का सतना जिला बीते डेढ़ साल से लगतार पीछे बना हुआ है। मार्च माह की ग्रेडिंग रिपोर्ट में सतना जिला विभाग की लगभग सभी योजनाओं और कार्यक्रमों के संचालन में पीछे पाया गया है। जिले को सिर्फ सीएम हेल्पलाइन में ए ग्रेड मिला है, लेकिन नरेगा, पीएम आवास, एमडीएम और पंचायत के कामों में उसो बी से डी ग्रेड मिला है। इस जिले को मनरेगा में रोजगार दिलाने, समय पर भुगतान, वर्क मैनेजमेंट और प्लानिंग में 48 वें स्थान पर रखा गया है। स्वच्छ भारत मिशन में सतना 39वें स्थान पर है। पीएम आवास में 31वें नम्बर, प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण अभियान में सतना 47वां और पंचायतराज मामले में 50वें स्थान पर है। हद तो यह है कि जिले में इस स्थिति के बाद भी कई इंजीनियरों को काम तक नहीं दिया गया है जबकि जिले में इंजीनियर के कुल 69 पद हैं इनमें 44 उपयंत्री ही पदस्थ हैं। करीब 25 पद खाली है। इस बाद भी अनिल पांडेय, अतुल सिंह और मीना अग्रवाल चार माह से बिना काम के बैठे हैं। तीन अन्य उपयंत्री तीन-तीन माह के मेडिकल अवकाश पर चल रहे हैं। इसी तरह से इन मामलों में सबसे बुरी स्थिति सीधी की है। उसे अंतिम स्थान मिला है।
11 जिलों को 9 योजनाओं में मिला ए ग्रेड
विभाग द्वारा जारी ग्रेडिंग रिपोर्ट में ए प्लस ग्रेड पाने जिलों में भोपाल, इंदौर, अशोकनगर, बालाघाट,छतरपुर, विदिशा, नर्मदापुरम, जबलपुर, खरगौन, मुरैना और उज्जैन शामिल है। इस बार सबसे पीछे रहने वाले मुरैना जिले ने परफॉर्मेंस में बेहतर सुधार किया है। अगर स्वच्छ भारत मिशन की बात की जाए तो प्रदेश के सतना, विदिशा, उमरिया, उज्जैन, टीकमगढ़, सिंगरौली और सीधी जिले फिसड्डी बने हुए हैं। इन जिलों में व्यक्तिगत शौचालय निर्माण, सामुदायिक स्वच्छता परिसर, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और तरल अपशिष्ट प्रबंधन में संतोषप्रद काम नहीं पाया गया है।
इन जिलों को बी और सी ग्रेड
अनूपपुर, मंडला, राजगढ़, रतलाम, शाजापुर, अलिराजपुर, खंडवा, सागर,धार, नीमच, छिंदवाड़ा, सिवनी, शहडोल, उमरिया, आगर मालवा, रायसेन, श्योपुर, सीहोर, सिंगरौली, सतना, हरदा, सीधी और बड़वानी।