
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का असर दो दर्जन उन जिलों पर खासतौर पर पड़ा है जो पहले ग्रामीण विकास के लिए चलाई जाने वाली सरकारी योजनाओं में लगातार आगे चल रहे थे , लेकिन अब वे पीछे हो गए हैं। यही वजह है कि इस बार बीते माह की तुलना में ए प्लस ग्रेड पाने वाले 16 जिलों की जगह संख्या इस बार महज पांच तक ही सीमित रह गई है।
यह स्थिति एक माह की अवधि में बनी है। इसकी जो वजह बताई जा रही है उसके मुताबिक पंचायत चुनाव प्रक्रिया में कर्मचारी और अधिकारियों की तैनाती है। इसकी वजह से नवम्बर माह की ग्रेडिंग रिपोर्ट में पीएम आवास योजना और मनरेगा जैसे काम बेहद प्रभावित हुए हैं। दरअसल पहली बार नवम्बर माह में जनपद पंचायतों के परफॉर्मेंस को पहली बार जोड़ते हुए जिलों की ग्रेडिंग की गई है। इसमें रतलाम, अलीराजपुर, टीकगमढ़ और शिवपुरी जिले सर्वाधिक फिसड्डी साबित हुए हैं। इसी तरह से 21 जिलों को सी ग्रेड में स्थान मिला है।
शहरी इलाके रहे अप्रभावित
रिपोर्ट से पता चला है कि शहरी इलाकों में ग्रामीण योजनाओं के क्रियान्वयन पर चुनाव प्रक्रिया के बाद भी विपरीत असर नहीं पड़ा है। यही कारण है कि भोपाल, इंदौर और ग्वालियर जैसे शहरी जिलों को ए प्लस ग्रेड मिला है। चौकाने वाली बात यह सामने आयी है कि इस ग्रेड में छतरपुर के अलावा डिंडौरी जैसा ग्रामीण बाहुल्य जिले भी स्थान बनाने में सफल रहे हैं। भोपाल ने पिछले माह के नम्बर एक रहे इंदौर को पीछे करते हुए पहला स्थान बनाया है। जिलों द्वारा जनपदों की ग्रेडिंग के लिए अंक दिए गए। इसके आधार पर जिलों की ओवरऑल ग्रेडिंग की गई। इसके लिए दो अंक रखे गए। खास बात यह है कि फिसड्डी साबित हुए जिलों में शामिल टीकमगढ़ जिले का काम नरेगा, आवास व हेल्पलाइन में बेहद खराब रहा है तो वहीं शिवपुरी जिला नरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, सीएम हेल्पलाइन में फिसड्डी पाया गया है।
रैंक में हुआ उलटफेर
इस बार भी रैंक में भारी उलटफेर देखने को मिला है। यही वजह है कि अक्टूबर में 8 वें स्थान पर रहा ग्वालियर इस बार तीसरे नंबर पर आ गया है, जबकि शाजापुर जिला 12वें स्थान से छठवें, उज्जैन जिला 10वें स्थान से 7 वें, भिंड जिला 22 वें से 16वें और आगर मालवा 7 वें से 6 वें स्थान पर आ गया है। इसके उलट आगे रहने वाले सिवनी, नीमच, छिंदवाड़ा और बालाघाट जिले रैंक में इस बार पिछड़ गए हैं।