
- भाजपा के लिए रणनीति बनाना हुई आसान
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। केन्द्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित लोकसभा चुनाव की तारीखों में मध्य प्रदेश की 29 सीटों पर चार चरणों में मतदान तय किया गया है। अहम बात यह है कि 2019 में भी प्रदेश में चार चरणों में मतदान हुआ था और भाजपा ने इसका रणनीतिक फायदा उठाते हुए 28 सीटों पर जीत हासिल की थी। तब कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी अपने ही बेहद मजबूत गढ़ में हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस सिर्फ छिंदवाड़ा सीट ही जीत सकी थी। प्रदेश में पहले चरण में 19 अप्रैल को छह सीट, दूसरे चरण में 26 अप्रैल को सात सीट, तीसरे चरण में सात मई आठ सीट और चौथे चरण में 13 मई को आठ सीटों पर वोटिंग होगी। भाजपा ने चुनावों की तारीख घोषित होने से पहले सभी 29 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। वहीं, इस मामले में पिछड़ी कांग्रेस का आंकड़ा 10 उम्मीदवारों की लिस्ट पर ही अटका है। तीन माह पहले विधानसभा चुनावों में जबरदस्त प्रदर्शन कर सत्ता में लौटी भाजपा के लिए यूं तो राह आसान लग रही है। हालांकि, हर चरण में एक-दो सीटों पर कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है। पहले चरण में भाजपा के लिए छिंदवाड़ा सीट मुश्किल है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ इस सीट से मैदान में हैं। भाजपा भी इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए पिछले दो वर्षों से जोर लगा रही है। दूसरे चरण में सतना लोकसभा सीट पर भी कांटे का मुकाबला हो सकता है। सांसद गणेश सिंह और कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा में मुकाबला है। गणेश सिंह तीन महीने पहले विधायकी का चुनाव कुशवाहा से हार चुके हैं। तीसरे चरण में भिंड और मुरैना सीटों पर मुकाबला कड़ा है। भिंड से कद्दावर दलित चेहरा फूल सिंह बरैया कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं। बरैया इस समय भांडेर से विधायक हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें हैं, जहां कांग्रेस और भाजपा ने चार-चार सीटें जीती हैं। राजगढ़ सीट भी भाजपा के लिए आसान नहीं रहने वाली। भाजपा ने रोडमल नागर पर फिर भरोसा जताया है। जबकि कांग्रेस प्रियव्रत सिंह को टिकट दे सकती हैं, जिन्हें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का करीबी माना जाता है।
इन सीटों पर होगा रोचक मुकाबला
रतलाम-झाबुआ, धार और खंडवा सीटों पर भी मुकाबला रोचक हैं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां अच्छा प्रदर्शन किया हैं। भाजपा ने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। लेकिन कांग्रेस को खंडवा और रतलाम-झाबुआ सीट पर उम्मीदवार घोषित करना है। जबलपुर लोकसभा सीट पर भाजपा की स्थिति पहले के मुकाबले थोड़ी कमजोर नजर आ रही है। पार्टी ने आशीष दुबे को टिकट दिया है। उनकी उम्मीदवारी पर पार्टी के भीतर ही विरोध शुरू हो गया है। यह सीट राकेश सिंह की हुआ करती थी, जो अब प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। ये सीट ब्राह्मण-ओबीसी बहुल सीट है। छिंदवाड़ा कमलनाथ का गढ़ है। भाजपा को यहां से लंबे अरसे से जीत की आस है। 2019 के चुनाव में भी कांग्रेस को केवल इसी सीट पर जीत हासिल हुई थी। भाजपा इस सीट पर जीत के लिए पिछले दो वर्षों से जमीन पर काम कर रही है। कांग्रेस से नकुलनाथ मैदान में हैं। जबकि भाजपा ने विवेक बंटी साहू को फिर प्रत्याशी बनाया है। मंडला लोकसभा सीट भाजपा का गढ़ कहा जाता है। लेकिन इस सीट पर रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है। आदिवासियों के लिए सुरक्षित मंडला सीट से भाजपा ने फग्गन सिंह कुलस्ते को टिकट दिया है।
यहां कांटे की होगी टक्कर…
चंबल क्षेत्र में आने वाली मुरैना लोकसभा सीट भाजपा का गढ़ रही है। इस सीट पर मुख्य रूप से ठाकुर और ब्राह्मण मतदाताओं के बीच ही लड़ाई होती है। जातिवाद के कारण ही इस सीट का रुझान अक्सर विपरीत दिशा में जाता है। सवर्ण वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। भाजपा ने इस बार इस सीट भाजपा ने शिवमंगल सिंह तोमर को टिकट दिया है। भिंड-दतिया लोकसभा सीट पर पिछले 35 सालों से बीजेपी का कब्जा है। लेकिन इस बार इस सीट पर कांटे का मुकाबला देखने को मिल सकता है। भाजपा ने यहां से संध्या राय को टिकट दिया है। जबकि कांग्रेस ने यहां से कद्दावर दलित चेहरे फूल सिंह बरैया को मैदान में उतारा है। बरैया वर्तमान में भिंड- दतिया लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली भांडेर विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक हैं। भिंड -दतिया लोकसभा सीट के अंतर्गत आठ विधानसभा सीटें हैं। इन आठ विधानसभा सीटों में से चार कांग्रेस और चार बीजेपी के पास हैं। राजगढ़ लोकसभा सीट एमपी की वीआईपी सीटों में से एक है। यहां से कांग्रेस नेता कभी दिग्विजय सिंह और फिर उनके भाई लक्ष्मण सिंह यहां से सांसद रह चुके हैं। इस सीट पर भाजपा के रोडमल नागर दो बार से सांसदी का चुनाव जीत रहे हैं। इस सीट पर ओबीसी, एससी निर्णायक भूमिका में हैं। कांग्रेस ने इस सीट से प्रियव्रत सिंह को टिकट दे सकती है। ऐसे में इस सीट पर मुकाबला रोचक हो जाएगा।
यहां नहीं है राह आसान
धार-महू लोकसभा सीट-एसटी के लिए आरक्षित है। इस सीट से भाजपा ने पूर्व सांसद सावित्री ठाकुर को फिर मैदान में उतारा है। इस सीट पर आदिवासी वोटर निर्णायक स्थिति में रहते हैं। इसके अलावा पाटीदार, ब्राह्मण, राजपूत और मुस्लिम वोटों का भी प्रभाव है। कांग्रेस ने यहां से राधेश्याम मुवेल को उम्मीदवार बनाया है। इससे मुकाबला रोचक हो गया है। निमाड़ क्षेत्र की खरगोन-बड़वानी सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। बीजेपी ने गजेंद्र पटेल पर भरोसा जताते हुए उन्हें दोबारा प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने यहां से सेल टैक्स विभाग से वीआरएस लेकर सक्रिय राजनीति में आए 42 वर्षीय युवा पोरलाल खरते को उम्मीदवार बनाया है। यहां आदिवासी वोटर निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। खंडवा लोकसभा सीट इस बार रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है। इस सीट पर भाजपा ने फिर से ज्ञानेश्वर पाटिल को मैदान में उतारा है। जबकि कांग्रेस की तरफ से पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता अरुण यादव के इस सीट पर लडऩे की चर्चा है। इस सीट पर एससी और एसटी वर्ग के मतदाता निर्णायक भूमिका अदा करते हैं।