
- मानसून के रूठने और बारिश नहीं होने की वजह से खेतों में सोयाबीन, धान और मक्का की फसलें दम तोड़ने लगी है
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में मानसून की बेरुखी से किसानों की चिंता बढ़ गई है। अन्नदाता को अब बेशब्री से बारिश का इंतजार है। खेतों में सोयाबीन, धान और मक्का की फसलें दम तोड़ने लगी है। सूत्रों की माने तो मानसून के रूठने और बारिश नहीं होने की वजह से प्रदेश में करीब ढाई दर्जनजिलों की हालत खराब बताई जा रही है। यदि जल्द ही बारिश शुरू नहीं हुई तो किसानों को फसल सूखने से भारी नुकसान होगा कुछ जिलों में किसानों ने सोयाबीन की फसल सूखने पर मक्का की बुवाई कर दी थी। अब वह भी सूखने लगी है। ऐसे में किसानों की चिंता और बढ़ गई है। यही नहीं प्रदेश में लगभग सभी जिलों में मानसून की बारिश नहीं होने की वजह से खरीफ फसलों की बुवाई भी पिछड़ गई है। ज्ञात हो कि इस वर्ष मानसून करीब एक सप्ताह पहले ही मध्यप्रदेश में प्रवेश कर गया था, किंतु कुछ दिनों की बारिश के बाद ही आसमान से बादल गायब हो गए। प्रदेश में जिन फसलों की बुवाई अब तक हुई है उनमें सोयाबीन, धान, ज्वार, मक्का, अरहर, उड़द, मूंगफली, तिल और कपास की बुवाई की गई है।
दलहनी और तिलहनी फसलों की बुवाई
मध्यप्रदेश में अधिकांश जिलों में प्रमुख तिलहनी फसल सोयाबीन और दलहनी फसल अरहर, उड़द की बोवनी की गई है। इसमें सोयाबीन की फसल 41.86 लाख हेक्टेयर में कर ली गई है जबकि इसके लिए 61.65 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है। दूसरी प्रमुख खरीफ फसल धान की बोनी अब तक 14.71 हेक्टेयर में हुई है जो पिछले वर्ष इस समय तक 18 लाख हेक्टेयर से ज्यादा में हो गई थी। इसी तरह प्रदेश में अब तक मक्का 13.80 लाख हेक्टेयर में बोई जा चुकी है। वहीं अरहर तीन लाख हेक्टेयर में, उड़द 8.44 लाख हेक्टेयर में, मूंगफली 1.80 लाख हेक्टेयर में और तिल एक लाख हेक्टेयर में तथा कपास की बुवाई पांच लाख हैक्टेयर से अधिक क्षेत्र में की जा चुकी है। बता दें कि किसानों ने बाकी फसलों की बुवाई बारिश नहीं होने की वजह से नहीं की है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार अब तक कुल खाद्यान फसलें 29.93 लाख हेक्टेयर में कुल में बोई जा चुकी हैं, दलहनी फसलें 12.40 लाख हेक्टेयर में तथा कुल तिलहनी फसलें 44 लाख हेक्टेयर में बोई गई है।
इस साल ठीक नहीं है सोयाबीन की स्थिति
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष सोयाबीन की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है। अब तक प्रदेश में कुल करीब 41.80 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई हुई है। यह लक्ष्य का सिर्फ 68 फीसदी है। पिछले वर्ष इस अवधि में सोयाबीन की फसल 51.17 लाख हेक्टेयर में बोई गई थी। प्रदेश में कुल खरीफ फसलों की बोनी 92.58 लाख हेक्टेयर में हो गई। यह 149 लाख हेक्टेयर के करीब 62 फीसदी है। जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में खरीफ फसलें 99.19 लाख हेक्टेयर में बोई जा चुकी थी। वहीं इस बार अब तक 41.86 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोई गई है।
बारिश की आस ने बढ़ाई अन्नदाता की चिंताएं
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के कई किसानों ने मानसून के इंतजार में अब तक बोवनी नहीं की है। वहीं जिन किसानों ने बोवनी कर दी थी, वे अब आसमान की ओर टकटकी निगाहों से बारिश का इंतजार कर रहे हैं। सोयाबीन धान और मक्का लगभग सूखने की कगार पर है। यदि जल्द ही बारिश का दौर शुरू नहीं हुआ तो बोई हुई फसलें सूख जाएंगी। ऐसे में किसानों को नुकसान होगा। यही वजह है कि किसानों की चिंताएं बारिश की आस ने और बढ़ा दी है।