
- मध्यप्रदेश में जनजातियों का कैसे होगा विकास? …
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में जनजातियों के विकास के लिए सरकार पूरी तरह तत्पर दिखाई दे रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार लगातार योजनाएं बनाकर जनजातीय वर्ग के कल्याण पर फोकस किए हुए है। लेकिन जनजाति कल्याण विभाग की निष्क्रियता के कारण सरकार की मंशा पर पानी फिर रहा है। आलम यह है कि प्रदेश में जनजाति कल्याण विभाग आधा बजट भी खर्च नहीं कर पा रहा है। दरअसल, प्रदेश का जनजाति कल्याण विभाग जनजातियों की भाषा, कला और संस्कृति के शोध पर तो गंभीर है, लेकिन जनजातीय इलाकों में मूलभूत सुविधाओं, स्वास्थ्य और शिक्षा के मामले में पीछे है। इसका अंदाजा जनजातीय विकास के लिए केंद्र सरकार की ओर से मिले बजट को देखकर लगाया जा सकता है। पीवीटीजी के तहत 2314 गांवों में निवासरत विशेष पिछड़ी जनजाति के 5.51 लाख परिवारों के कल्याण को लेकर काम होते हैं।
2019-20 में भी इस मद में प्राप्त 7433.21 लाख में से 2188.11 लाख का ही उपयोग हो सका। जाहिर है ऐसे में विशेष पिछड़ा परिवारों के कल्याण को लेकर योजनाएं संचालित नहीं हो पा रहीं।
बजट का पूरा उपयोग नहीं
संभवत: योजनाओं पर कार्य नहीं होने का ही नतीजा है कि जनजातीय कार्य विभाग की वेबसाइट पर योजनाओं की जानकारी लेने पर सामग्री निर्माणाधीन लिखा दिख रहा है। अनुच्छेद 275 (1) के तहत जनजातीय इलाकों में आधारभूत सुविधाएं मुहैया करवाने, सुरक्षा देना, बेहतर स्वास्थ्य व शिक्षा, इनके शीघ्र विकास सहित विभिन्न कामों के लिए सहायता अनुदान के रूप में केंद्र बजट जारी करता है, जिसका पूरा उपयोग नहीं हो रहा है। जनजातीय अनुसंधान संस्थान को बतौर सहायता 2021-22 में प्राप्त 484.58 लाख का पूरा उपयोग कर लिया गया है। इसमें जनजातियों का मानवशास्त्रीय शोध अनुसंधान, विकास कार्यक मूल्यांकन अध्ययन, भाषा व संस्कृति पर शोध और विभिन्न कार्यशालाओं का संचालन शामिल हैं।
वर्तमान में यह है
25 जुलाई तक प्राप्त सूचनाओं के आधार पर वर्तमान में जनजाति कल्याण विभाग की स्थिति का आकलन किया जा सकता है। अनुसूचित जनजातियों के कल्याण को लेकर संविधान के अनुच्छेद 275 (1) के तहत केंद्र प्रायोजित पांच योजनाओं और प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन के तहत 2021-22 में 5319.10 लाख का बजट मिला, पर उपयोग नहीं हो पाया है। वहीं जनजातीय उप योजना को विशेष केंद्रीय सहायता के रूप में 2021 22 में 12268.76 लाख बजट आवंटित हुआ, लेकिन उपयोग नहीं किया गया। पीवीटीजी विकास में इस अवधि में प्राप्त 2888.69 लाख रुपए बजट भी खर्च नहीं हो पायाा। अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए मैट्रिक पूर्व और मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति की बजट राशि का भी उपयोग नहीं पाया। जनजाति कल्याण मंत्री मीना सिंह का कहना है कि केंद्र से राशि तो प्राप्त हो गई है। अब प्रदेश स्तर पर विस्तृत कार्ययोजना बनाकर शीघ्र राशि योजनानुसार जारी कर दी जाएगी।