तबादले करें या जनसेवा… नेता व कर्मचारी उलझन में

कर्मचारी

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में 46 निकायों में चल रहे चुनावों के बीच अब प्रदेश में तबादलों के मौसम ने भी दस्तक दे दी है। इस बीच भाजपा संगठन ने जनसेवा के लिए डेढ़ माह का कार्यक्रम भी तय कर दिया है। जिसमें सभी विधायकों, मंत्रियों व संगठन के पदाधिकारियों को पूरी तरह से सक्रिय रहने को कहा गया है। एक साथ तीन-तीन मोर्चा पर सक्रिय रहने की मजबूरी ने सूबे के मंत्रियों को मुश्किल में डाल दिया है।
वे अब समझ नहीं पा रहे हैं कि किस काम को किस तरह से पूरी प्राथमिकता के साथ करें और किस काम में कितना और कब समय दें। दरअसल संगठन ने जिस समय को जनसेवा के लिए चुना है उसी अवधि के बीच 19 दिनों के लिए प्रदेश सरकार ने तबादलों पर लगी रोक भी हटायी है।  इसके तहत 17 सितंबर से लेकर 5 अक्टूबर तक के बीच तबादले किए जा सकेंगे।  इसके लिए कुल 19 दिन का समय दिया गया है।  इस अवधि में आवेदन करने से लेकर तबादले के आदेश भी जारी होना है, जबकि 17 सितंबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन से लेकर 31 अक्टूबर तक के बीच विशेष अभियान चलाकर केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाने का भी काम किया जाना है। इसके लिए मंत्रियों को जिलों का प्रभार दिया गया है। उन्हें हर हाल में इन जिलों का दौरा कर अभियान की मानिटरिंग करनी है।
इन दोनों अभियानों को लेकर मंत्रियों से लेकर अधिकारियों व कर्मचारियों तक में पसोपेश की स्थिति बन गई है। दरअसल मंत्री इन दिनों में अगर जिलों के दौरों पर जाते हैं तो जो कार्यकर्ता उनसे मिलकर ताबदलों के लिए आवेदन लेकर आते हैं, तो उनसे मुलाकात नहीं हो पाएगी, जिससे उनमें नाराजगी बढ़ेगी और नहीं जाते हैं तो संगठन की नाराजगी झेलनी होगी। यही नहीं तबादलों के मौसम के बीच अफसरों से लेकर कर्मचारियों तक के समाने भी इसी तरह से मुसीबत खड़ी हो गई है। वे इन कार्यक्रमों में शामिल हों या फिर अपनी मनपंसद पदस्थापना के लिए नेताओं के दर पर जाएं। अगर कार्यक्रमों से गायब रहेंगे तो उन्हें भाजपा संगठन के साथ ही सरकार की नाराजगी भी झेलनी पड़ेगी। दरअसल प्रदेश के सभी 52 जिलों में शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में चलाए जाने वाले मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान में कुल 33 हितग्राही मूलक योजनाओं की सूची जिलों के कलेक्टरों व जिला पंचायत के सीईओ को सौंपी गई है। उनके इस अभियान के तहत ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत व शहरी क्षेत्र में नगर परिषद, नगर पालिका व नगर निगमों में शत प्रतिशत सेचुरेशन के लक्ष्य को प्राप्त करने का निर्णय लिया गया है। सरकार चाहती है कि इस अभियान में प्रदेश भर में लोगों को केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल जाए। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों के लिए जिपं सीईओ व शहरी क्षेत्रों के लिए आयुक्त नगर पालिक निगम, अपर कलेक्टर व मुख्य नगरपालिका अधिकारी नोडल अधिकारी के रूप में कार्य करेंगे। यह सभी कार्रवाई सीएम हेल्पलाइन पोर्टल के जरिए किया जाना है।
अधिकारी व कर्मचारी भी पसोपेश में
एक तरफ तबादले पर रोक हटाई गई है। लगभग प्रत्येक जिले में तबादले होना है। पिछले दो साल से लोग अपनी पारिवारिक व अन्य जरूरतों को देखते हुए अधिकारी व कर्मचारी तबादले के लिए तहसील, जिले से लेकर प्रदेश स्तर पर चक्कर लगा रहे है। इसी बीच इन अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी  इस अभियान में भी लगा दी गई है। ऐसे में उनकी समझ आ रहा है कि वे कैसे काम करें? खासकर जिन अधिकारियों का अपना तबादला कराना है, उनकी आवेदन करने से लेकर उसकी अपडेट स्थिति पता करने के लिए मंत्रियों से लेकर अफसरों के बंगले का चक्कर लगाना मजबूरी है। यही नहीं उन्हें इस दौरान तबादला तय करने के लिए भी जुगाड़ करना है, वे इसकी तैयारी भी करने में लगे हुए हैं।  इसकी वजह है कि वे जानते हैं कि अगर तबादले के मामले में जरा सी भी चूक हुई तो मामला अगले साल या फिर आने के वर्षों के लिए टलना तय है।
मंत्रियों के लिए बड़ी चुनौती
सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री का कहना है कि उनके सामने तबादले में दी गई छूट मुसीबत है। मंत्रियों को दो से लेकर चार जिलों की योजनाओं के क्रियान्वयन की मॉनिटरिंग करने का जिम्मा है। इसके लिए जिलों का दौरा करना होगा। प्रभार के जिलों में उक्त अवधि में कम से कम उन्हें दो बार हर हाल में दौरा करना है। दौरे में शासकीय कर्मचारी से लेकर उनके परिजन तक योजनाओं की बात करने के बजाय तबादले की बात करते हैं। वे आखिर में किसे मना करें। इस तरह की व्यावहारिक दिक्कतें उनके लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है। यदि तबादले की अवधि बढ़ाई जाती है तो यह समय प्रतिकूल है।

Related Articles