बिजली के लिए कचरे का बाहर से व्यापार

बिजली

– कूड़ा-करकट से जबलपुर हो रहा बीमार

– रोजाना लाखों खर्च कर भोपाल, यूपी, गुजरात से मंगवा रहे कचरा


भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।
जबलपुर इन दिनों मच्छर जनित बीमारियों से परेशान है। इसकी वजह यह है कि शहर में सड़क से लेकर खाली मैदानों में कूड़ा-करकट का अंबार लगा हुआ है। वहीं हैरानी की बात यह है कि जबलपुर में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट से बिजली बनाने के लिए बाहर से कचरा मंगाना पड़ रहा है। जानकारों का कहना है कि अगर नगर निगम प्रशासन पूरे शहर का कचरा संग्रहित करवा ले तो जरूरत से अधिक कचरा आसानी से उपलब्ध हो सकेगा।
जानकारी के अनुसार कठौंदा स्थित वेस्ट टू एनर्जी प्लांट दूसरे राज्यों से कचरा बुलवा रहा है। डेंगू, कोरोना संक्रमण के बीच बाहर से आने वाला कचरा अनलोडिंग के दौरान बड़ा खतरा तो बन ही सकता है साथ ही यह पैसों का अपव्यय भी है। प्रतिदिन 10 से 12 हाइवा में भरकर कचरा यूपी, गुजरात व भोपाल से आ रहा है, जिसके परिवहन में भारी खर्च हो
रहा है।
प्रतिदिन 650 टन कचरे की जरूरत
दरअसल कठौंदा में 2016 में एस्सेल कंपनी द्वारा वेस्ट टू एनर्जी प्लांट की स्थापना की गई थी, जिसके लिए नगर निगम से अनुबंध किया गया था कि प्रतिदिन 650 टन कचरा देगा। शहर से 450 टन कचरा तक परिवहन किया जाता रहा है। मगर विगत कुछ समय से इसकी मात्रा घटकर 300 टन रह गई। ऐसे में प्लांट में प्रतिदिन होने वाली 11.5 मेगावाट बिजली उत्पादन पर संकट गहरा गया। ऐसे में कंपनी ने बाहर से कचरा मंगवाना शुरू किया।
रोजाना 300 टन कचरा कलेक्शन
कंपनी डोर टू डोर कचरा कलेक्शन करीब 300 टन  कर रही है, जिसके लिए ननि उसे 2 लाख 27 हजार 500 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान करती है। वहीं, बाहर से कचरा बुलाने में उसे ढाई लाख रुपए प्रतिदिन भुगतान करना पड़ रहा है। बाहर से जो कचरा आ रहा है उसमें 15 से 20 टन कचरा गुजरात से आ रहा, कंपनी को 2 लाख रुपए प्रतिदिन भाड़ा लग रहा है। वहीं 2 से 3 टन कचरा भोपाल से आ रहा है और कंपनी को 25 हजार रुपए प्रतिदिन भाड़ा लग रहा है। जबकि 5 से 6 टन कचरा यूपी से आ रहा है और कंपनी को प्रतिदिन 40 हजार रुपए भाड़ा लग रहा है। वहीं 30 से 40 टन कचरा पुराना उपयोग हो रहा है।
ठोस नीति का अभाव
दरअसल, जबलपुर में जब से वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगा है उसके लिए कचरे की समस्या लगातार बनी हुई है। ठोस नीति के अभाव में आज तक पर्याप्त कचरे की व्यवस्था नहीं हो पाई है। गौरतलब है कि वेस्ट टू एनर्जी प्लांट की लागत 178 करोड़ है। 20 साल तक कंपनी प्लांट चलाकर लागत व मुनाफा निकालेगी। 2036 में प्लांट का संचालन नगर निगम के पास आ जाएगा। राज्य शासन ने इसके लिए 20 करोड़ रुपए अनुदान दिया है। प्लांट को प्रतिदिन 650 टन प्लांट को कचरा चाहिए। इस प्लांट में 11.5 मेगावाट बिजली प्रतिदिन बनती है।

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