
- महामारी के खिलाफ शिव ‘राज’ का शंखनाद
जिद नाम है उस हौसले का जिसमें नामुमकिन को मुमकिन बनाने का जुनून हो। बिरले ही होते हैं ऐसे जिद्दी लोग और उनके मजबूत इरादों के सामने दुनिया घुटने टेकने को मजबूर होती है। ऐसे ही मजबूत इरादों वाले लोगों में मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम शुमार है। कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर को कंट्रोल कर अपने मैनेजमेंट का लोहा मनवा चुके शिवराज ने महामारी के खिलाफ शंखनाद करते हुए योग दिवस 21 जून को वैक्सीनेशन का महाअभियान चलाकर एक की दिन में 16 लाख 95 हजार से अधिक लोगों को टीका लगवाकर महा रिकॉर्ड बनाया है। इससे मप्र दुनियाभर के लिए रोल मॉडल बन गया है। अब शिवराज ने अक्टूबर तक मप्र में टोटल वैक्सीनेशन का टारगेट तय किया है।
विनोद कुमार उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। अक्टूबर तक कोरोना की तीसरी लहर के अलर्ट के बाद अब मप्र सरकार ने अपना पूरा फोकस अधिक से अधिक लोगों के वैक्सीनेशन पर कर दिया है। विश्व योग दिवस और वैक्सीनेशन महाअभियान के संयोग पर मप्र में 16 लाख 95 हजार से अधिक लोगों का टीकाकरण करवाकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह साबित कर दिया है कि उनके लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है। वह जो कहते हैं उसे करके दिखाते हैं। टीकाकरण महाअभियान ने उस पर एक बार फिर मुहर लगा दी है। महामारी का खतरा अभी टला नहीं है। दूसरी लहर की भयावहता कम भर हुई है। अब ज्यादा चिंता तीसरी लहर के खतरे को लेकर है। इसलिए हर स्तर पर पुख्ता तैयारियों की जरूरत है। टीकाकरण इनमें सबसे प्रमुख है। अब तक के शोधों से यह सामने आया भी है कि टीका लगने के बाद संक्रमण से काफी हद तक बचाव हो जाता है। इसीलिए टीकाकरण पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। केंद्र सरकार ने रोजाना एक करोड़ लोगों को टीके लगाने का लक्ष्य रखा है। निश्चित रूप से उसमें मप्र का योगदान उल्लेखनीय रहने वाला है। देश में टीकाकरण अभियान रफ्तार पकडऩे लगा है। 21 जून को 85 लाख 15 हजार लोगों को टीका लगाने से यह भी साबित हो गया कि हम चाहें तो टीकाकरण की अपेक्षित रफ्तार हासिल सकते हैं और दिसंबर तक अधिकतम आबादी को टीका लगा सकते हैं। लेकिन ऐसा हो कैसे पाएगा, यह सवाल अभी भी है। अब तक का अनुभव यही है कि ऐसे अभियानों की शुरुआत तो जोरशोर से हो जाती है, पर धीरे-धीरे सब कुछ पुराने ढर्रे पर लौटता दिखने लगता है। इस बात को मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भलीभांति जानते हैं। इसलिए उन्होंने ऐलान किया है कि केंद्र से प्रदेश को वैक्सीन के जितने डोज मिलेंगे, उन्हें उसी दिन लगाने की कोशिश की जाएगी। साथ ही उन्होंने 1, 2 और 3 जुलाई को एक बार फिर से टीकाकरण का महाअभियान चलाने की घोषणा की है।
सरकार ने किए थे भरपूर इंतजाम
मप्र में रिकॉर्ड टीकाकरण के लिए सरकार ने प्रचार, प्रसार तो किया ही था, साथ ही वैक्सीनेशन सेटंर्स पर लोगों के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई थी। वैक्सीनेशन कराने आए लोगों के अनुभव रिकॉर्ड किए और सोशल मीडिया के माध्यम से इसका प्रचार किया। वैक्सीनेशन के लिए आने वाले लोगों का अधिकारियों द्वारा कई केंद्रों पर टीका लगाकर स्वागत किया गया। राज्य सरकार के सभी मंत्री भी अपने क्षेत्रों में थे ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोगों को टीकाकरण के लिए उत्साहित किया जा सके। मख्यमंत्री ने भी टीका लेने वाले लोगों को शपथ दिलाई कि वह दूसरे लोगों को भी वैक्सीनेशन के लिए प्रेरित करेंगे। उन्होंने कुछ बच्चों को भी सम्मानित किया। इन बच्चों ने अपने बड़ों को वैक्सीनेशन के लिए मनाया था। इसके साथ ही वृद्धों और दिव्यांगों के लिए टीकाकरण की खास व्यवस्था की गई थी। इसके साथ ही नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी सरीखे लोगों ने सोशल मीडिया पर जनता से टीकाकरण कराने की अपील की। राज्य सरकार द्वारा गांव, तहसील और जिला स्तर पर गठित क्राइसिस मैनेजमेंट कमिटियों ने भी वैक्सीनेशन में अहम भूमिका निभाई। जिसके कारण कृषि कर्मण अवार्ड, पौधारोपण, स्वच्छता में शीर्ष और फसलों की रिकॉर्ड पैदावार के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खाते में कोरोना टीकाकरण की भी एक और उपलब्धि जुड़ गई है। एक दिन में सर्वाधिक टीकाकरण में मप्र ने देश में शीर्ष स्थान हासिल किया है।
21 जून को शुरू हुए विशेष महाअभियान में एक दिन में पूरे प्रदेश में 16.95 लाख से ज्यादा लोगों को कोरोना टीका लगाया गया, जो लक्ष्य से 69 फीसदी ज्यादा है। वहीं पंजाब, दिल्ली, और राजस्थान जैसे उन गैर एनडीए शासित राज्यों ने खास उपलब्धि हासिल नहीं की, जो टीकाकरण में देरी के लिए केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाते रहे हैं। टीकाकरण महाअभियान में रिकॉर्ड बनाने वाले मध्य प्रदेश ने अन्य राज्य सरकारों के लिए जनभागीदारी द्वारा जन उत्सव का नया मॉडल प्रस्तुत किया है। इसकी सबसे खास बात यह है कि सरकार इसमें व्यवस्था जुटाने और संसाधन उपलब्ध करवाने की भूमिका में रही और फिर समाज को आगे कर उसकी सफलता का जिम्मा सौंप दिया। दरअसल, अपने 15 साल से अधिक के मुख्यमंत्रित्व काल में शिवराज ने जनहित के कई अभियानों को सरकारी आयोजन के टैग से बाहर निकालकर जन उत्सव बनाया है, जिससे ये सफल भी रहे हैं। कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण की अनिवार्यता को सख्ती से लागू करने के बजाय शिवराज ने इसे उत्सव का स्वरूप देकर पूरे देश, विशेषकर उन राज्यों को संदेश दिया है जो टीकाकरण को लेकर अब भी उदासीन बने हुए हैं। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच यह संदेश महत्वपूर्ण है। शिवराज ने टीकाकरण के लिए खुद मोर्चा संभाला तो सरकारी अमले को चुस्त-दुरूस्त करने के साथ समाज के सभी वर्गों का साथ भी लिया। सभी पंथ अनुयायियों को प्रेरित करने के लिए उनके धर्मगुरुओं की मदद ली तो मीडिया, सामाजिक संस्थाओं और विभिन्न संगठनों की भूमिका भी तय की। नतीजा रहा कि तय लक्ष्य से ज्यादा परिणाम मिले।
चुनाव सा माहौल, मतदान जैसा नजारा
वैक्सीनेशन के लिए सरकार ने ऐसा वातावरण निर्मित किया था, जिससे चुनाव सा माहौल बन गया था और वैक्सीनेशन सेंटर्स पर मतदान जैसा नजार दिखा। पूरे प्रदेश में एक उत्सव का माहौल बन गया। वैक्सीनेशन सेंटर सजाए गए, रंगोली, पोस्टर्स के माध्यम से लोगों को प्रेरित किया गया। वैक्सीनेशन के लिए लोगों को पीले चावल देकर आमंत्रित किया गया। कुछ लोगों ने वैक्सीन के नाम पर जो भ्रम फैलाया था उसे दूर किया गया। लोग स्वयं वैक्सीनेशन सेंटर पर चले आए। उत्साह ऐसा कि वृद्धजन और दिव्यांगों ने भी स्वयं टीका लगवाकर इस टीकाकरण अभियान को सफल बनाने में अपना योगदान दिया। दरअसल मतदान केंद्रों की जगह वैक्सीनेशन सेंटर खुले थे। पोलिंग पार्टी की जगह वैक्सीनेशन टीमें मोर्चे पर थीं। मतदाता की जगह आमजन वैक्सीन लगवाने पहुंच रहे थे। आंकड़े भी देर रात तक उसी तरह बढ़ते रहे, जैसे मतदान के बाद देर रात तक वोटिंग प्रतिशत बढ़ता है।
दरअसल, मप्र के कई ग्रामीण इलाकों में वैक्सीन को लेकर अफवाह की खबरें आ रही थीं। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने वैक्सीन महाअभियान को उत्सव का रूप दिया। मंत्री से लेकर संतरी तक की टीम इसे सफल बनाने में जुट गई। साथ ही आम लोगों की सहभागिता भी बढ़ाई गई। सीएम शिवराज सिंह चौहान वैक्सीन अभियान से पहले अपने ट्विटर हैंडल से आम लोगों की अपील शेयर करने लगे। इसका भी बड़ा इम्पैक्ट हुआ है। टीकाकरण केंद्रों को सजाया गया। आकर्षक होनों की वजह से युवाओं का रूझान बढ़ा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दतिया जिले के ग्राम परासरी में महाअभियान शुरू किया। यहां 8 हजार लोगों को वैक्सीन लगाने का टारगेट था, जबकि 10092 को टीका लगा। यानी 126 प्रतिशत वैक्सीनेशन हुआ। इसके बाद शिवराज भोपाल के अन्ना नगर और सीहोर जिले के नसरुल्लागंज के पीपलानी और सिराली गांव में गए। प्रदेश में 5.71 करोड़ की आबादी को वैक्सीनेट करने का लक्ष्य है। इनमें से 1.67 करोड़ लोग वैक्सीनेट हो चुके हैं। अब बचे हुए 4.04 करोड़ लोगों को टीका लगना है। इस हिसाब से यदि रोज 7 लाख लोगों को टीका लगे तो 58 दिन में प्रदेश का टारगेट पूरा हो जाएगा। राज्य की 60 फीसदी को टीका लगाने के लिए सरकार को केवल 25 दिन लगेंगे।
जन-भागीदारी ने बनाया कीर्तिमान
मप्र ने जिस तरह जन भागीदारी से कोरोना को कंट्रोल किया है, उसी तरह टीकाकरण का कीर्तिमान बनाया है। इस कीर्तिमान की आधारशीला 16 जून को तब रखी गई जब शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। मुलाकात के बाद उन्होंने ऐलान किया कि मप्र 21 जून को वैक्सीन महाअभियान चलाया जाएगा। भोपाल लौटने के बाद शिवराज ने इसकी तैयारी शुरू कर दी। सबसे पहले भोपाल में अधिकारियों के साथ मीटिंग की। उसके बाद सभी अधिकारियों को ग्राउंड लेवल पर वैक्सीन महाअभियान को लेकर निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस अभियान को सफल बनाने के लिए हर लोगों से मदद मांग रहे थे। धर्म गुरु, समाजसेवी और कारोबारी भी इसे सफल बनाने में आगे आ गए। इंदौर से लेकर भोपाल तक में होटल, रेस्टोरेंट और मॉल टीका लगवाने वाले लोगों को ऑफर देने लगे। इसका फायदा यह हुआ कि इंदौर में लोग जमकर टीकाकरण केंद्रों तक पहुंचे और टीका लगवाया है। वैक्सीन महाअभियान के तहत एक दिन में 10 लाख से अधिक टीका लगवाने का लक्ष्य रखा गया था। इसके लिए मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रियों और अधिकारियों की फौज को मैदान में उतार दिया था। टीका लगवाने के लिए मंत्री अपने क्षेत्रों में जाकर लोगों से अपील कर रहे थे कि टीका लगवाए। साथ ही उनका भ्रम दूर कर रहे थे। इसके अलावा अधिकारियों ने गांवों का रुख किया, जहां कई तरह की अफवाहें थीं। अधिकारियों ने गांव-गांव में जाकर लोगों को समझाया कि टीका लगवाना क्यों जरूरी है। कोरोना रूपी संकट ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है। हमारी प्राथमिकता कोरोना पर विजय प्राप्त करना है। कोरोना बहरूपिया है, जो अपना रूप बदलता रहता है।
खुद मुख्यमंत्री कहते हैं कि मप्र की इस उपलब्धि के पीछे जन-भागीदारी मॉडल है जिसमें समाज-सेवी, डॉक्टर, कलाकार, पुलिस, प्रशासन, अधिकारी, कर्मचारी, सांसद, मंत्री, विधायक, पंच-सरपंच, मेयर, जन-प्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक और नगर पालिका के अधिकारी-कर्मचारी सभी का सक्रिय सहयोग मिला। मप्र में 21 जून जितना टीकाकरण हुआ है अगर उसकी आबादी के हिसाब से तुलना की जाए तो विश्व के 223 देशों में से 75 देश ऐसे हैं जिनकी आबादी टीकाकरण से कम है। यानि इन देशों से तुलना की जाए तो मप्र ऐसा राज्य बन चुका है , जहां पर एक ही दिन में उनकी आबादी के बराबर टीकाकरण किया गया है। इनमें कई देश तो ऐसे हैं जिनकी आबादी से कई गुना अधिक वैक्सीनेशन एक ही दिन में हुआ है। इन देशों में ब्रुनेई, सूरीनाम, गिनी, भूटान, गुयाना, साइप्रस, फिजी, स्विट्जरलैंड त्रिनिदाद, मालटा , मालदीव आदि शामिल हैं।
विरोधियों ने भी दिया साथ
इस महाअभियान में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने विरोधियों का भी साथ लिया है। पूर्व सीएम कमलनाथ ने भी लोगों से टीका लगवाने के लिए अपील की। इसके साथ ही पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने भी सरकार का साथ दिया था। सभी की भागीदारी से सीएम शिवराज सिंह चौहान इस अभियान को अंजाम तक पहुंचाने में सफल रहे हैं। कहते हैं कि जो व्यक्ति आलोचना और विरोध की परवाह न कर कर्म को प्रधानता देता है, उसे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। इसका मौजूदा दौर में सबसे बड़ा उदाहरण हैं मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान। उनकी इसी कार्यशैली की वजह से आज मप्र उन राज्यों में शामिल है, जिसमें अब गिनेचुने ही कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं।
दरअसल, प्रदेश में जब भी विषम स्थिति निर्मित हुई है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सबसे मदद मांगने में झिझक नहीं की है। इसी का परिणाम है कि वैक्सीनेशन को प्रोत्साहित करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और अरुण यादव ने जहां वैक्सीनेशन का समर्थन करते हुए लोगों को प्रेरित करने वाले ट्वीट किए तो वहीं इस मामले में शिवराज सिंह चौहान भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने इस प्रोत्साहन वाले ट्वीट पर धन्यवाद का ट्वीट कर सकारात्मक संदेश दिया। इस सुखद जुगलबंदी का ही परिणाम है कि मप्र ने एक दिन में 16 लाख 73 हजार 858 लोगों को वैक्सीनेट करने का नया रिकार्ड बना डाला। इस टीकाकरण की खास बात यह रही कि जिन जिलों को पिछड़ा, आदिवासी और पिछड़ा वर्ग बाहुल्य माना जाता है उन जिलों में लोगों ने ऐसा उत्साह दिखाया कि वहां टीकाकरण लक्ष्य से दोगुना तक हुआ है। इसके लिए आनन-फानन में प्रशासन को वैक्सीन भिजवाने की व्यवस्था करनी पड़ी। मप्र ऐसा राज्य है जो तीसरी लहर को बेअसर साबित करने के लिए अभी से पूरी तरह से वैक्सीनेशन पर जोर लगा रहा है। अब प्रदेश में 1 जुलाई को भी इसी तरह का अभियान चलाकर वैक्सीनेट करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। माना जा रहा है कि पहले ही वैक्सीनेशन उत्सव में रिकॉर्ड तोड़ सफलता मिलने के बाद अब प्रदेश सरकार द्वारा तय किए गए दस लाख की जगह उसे डेढ़ गुना तक किया जा सकता है। दरअसल कोरोना पर काबू पाने का सबसे बेहतर उपाय वैक्सीनेशन ही है। वैक्सीनेशन के रिकॉर्ड बनने की वजह से ही अब केंद्र सरकार एक जुलाई से पहले प्रदेश को 25 लाख डोज देने जा रही है।
70 प्रतिशत युवा वर्ग की रही भागीदारी
कोरोना से सुरक्षा के लिए मप्र में 21 जून को चलाए गए टीकाकरण महाअभियान में 16 लाख 95 हजार 592 लोगों ने वैक्सीन लगवाकर सुरक्षा कवच प्राप्त किया। इसमें से 16 लाख 12 हजार 629 लोगों ने वैक्सीन की प्रथम डोज और 82 हजार 963 ने वैक्सीन की दूसरी डोज लगवाई। एक दिन में हुए कुल वैक्सीनेशन में 18 से 45 वर्ग के युवाओं की सर्वाधिक भागीदारी 70 प्रतिशत रही। टीकाकरण महाअभियान में 60 वर्ष से अधिक आयु के एक लाख 22 हजार 186 लोगों ने टीकाकरण करवाया। इनमें से 74 हजार 404 ने वैक्सीन का प्रथम डोज और 47 हजार 782 ने दूसरी डोज लगवाई। इसी प्रकार 45 से 60 वर्ष के आयु वर्ग में 2 लाख 68 हजार 717 ने वैक्सीनेशन करवाया। इनमें 2 लाख 46 हजार 365 ने वैक्सीन की प्रथम डोज और 22 हजार 352 ने दूसरी डोज लगवाई। अभियान में 18 वर्ष से 45 आयु वर्ग के 12 लाख 98 हजार 670 युवाओं ने वैक्सीनेशन करवाया। इसमें 12 लाख 91 हजार 237 युवाओं को वैक्सीन का प्रथम डोज और 7,433 को दूसरा डोज लगाया गया। इसके अतिरिक्त 2400 हेल्थ वर्कर्स और 3619 फ्रंट लाइन वर्कर्स का भी वैक्सीनेशन हुआ।
कोरोना की संभावित तीसरी लहर के आने के पूर्व मप्र सरकार ने माह अक्टूबर तक सम्पूर्ण मप्र में पात्र लोगों का टीकाकरण पूरा कराने का लक्ष्य रखा गया। मुख्यमंत्री के अनुसार अक्टूबर तक प्रदेश में 5 करोड़ 49 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जाना है। हमारा प्रयास है कि जल्द से जल्द यह लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाए। एक, दो और तीन जुलाई को पुन: संपूर्ण प्रदेश में सघन टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून का वैक्सीनेशन अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर संचालित किया गया। इस अभियान से जन-सामान्य के मन में टीकाकरण को लेकर बने भ्रम और भय को दूर करने में भी मदद मिली है। लोगों में वैक्सीनेशन के विरोध की प्रवृत्ति भी कम हुई है। अब वैक्सीनेशन अभियान में नगरीय निकाय और पंचायतें प्रतिस्पर्धा की भावना से काम करें, इससे प्रदेश में वैक्सीनेशन को गति मिलेगी। संक्रमण की संभावना वाले क्षेत्रों और सीमावर्ती जिलों में टीकाकरण पर विशेष ध्यान दिया जाए।
सर्वाधिक वैक्सीन लगाने में इंदौर प्रथम, भोपाल द्वितीय
प्रदेश में 16 लाख 95 हजार 592 व्यक्तियों का टीकाकरण हुआ। देश में कुल 85 लाख 96 हजार 807 व्यक्तियों को टीका लगाया गया। देश में 21 जून को लगे कुल टीकों में से लगभग 20 प्रतिशत टीके मध्यप्रदेश में लगे। महाअभियान में 21 जून को प्रदेश में 14 हजार 855 सेशन सम्पन्न हुए। सभी जिलों ने अपना लक्ष्य प्राप्त किया और लक्ष्य के विरूद्ध संपूर्ण प्रदेश की उपलब्धि 130 प्रतिशत रही। महाअभियान के अंतर्गत इंदौर जिले में 2 लाख 21 हजार 628 वैक्सीन लगाई गई, जो प्रदेश में सर्वाधिक है। द्वितीय स्थान पर रहे भोपाल में 1 लाख 52 हजार 205, तृतीय स्थान पर रहे उज्जैन में 1 लाख 01 हजार 956, ग्वालियर में 71 हजार 940 तथा जबलपुर में 66 हजार 468 वैक्सीन लगाई गई। लक्ष्य के विरूद्ध सर्वाधिक उपलब्धि वाले जिलों में खंडवा में 212 प्रतिशत, छिन्दवाड़ा में 205 प्रतिशत, राजगढ़ में 175 प्रतिशत, उज्जैन में 175 प्रतिशत और अनूपपुर में 167 प्रतिशत उपलब्धि दर्ज की गई। प्रदेश में 18 वर्ष से अधिक आयु के 5 करोड़ 49 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जाना है। अब तक 1 करोड़ 46 लाख लोगों को प्रथम डोज लगाई जा चुकी है। प्रस्तुतिकरण में टीकाकरण अभियान की आगामी योजना की जानकारी भी दी गई।
इंदौर के बाद सबसे ज्यादा 1.37 लाख खुराक भोपाल जिले में लगाई गई। उज्जैन में करीब एक लाख खुराक दी गई। ग्वालियर, जबलपुर और धार जैसे पांच अन्य जिलों में 50,000 से अधिक खुराक दी गई। मध्य प्रदेश ने सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश द्वारा किए गए टीकाकरण से दोगुनी संख्या में लोगों को वैक्सीनेट किया। मध्य प्रदेश ने वैक्सीनेशन के लिए खास स्टेट लेवल कंट्रोल रूम बनाया था। इसके साथ ही 8,000 से अधिक टीकाकरण केंद्र भी शुरू किए गए थे। मुख्यमंत्री ने सोमवार को तीन जिलों दतिया, भोपाल और सीहोर के टीकाकरण केन्द्रों का दौरा किया। वह बीते एक हफ्ते से लोगों को टीकाकरण के लिए प्रेरित करने के लिए वर्चुअल संवाद भी कर रहे हैं। राज्य में वैक्सीनेशन के मुद्दे पर अधिकारियों के साथ सीएम की अध्यक्षता में खूब बैठकें भी हुईं।
21 जून को जिलों में टीकाकरण
जिले कुल डोज
आगर 6485
अलीराजपुर 6961
अनूपपुर 10001
अशोकनगर 9057
बालाघाट 30998
बड़वानी 20691
बैतूल 17272
भिंड 19975
भोपाल 152205
बुरहानपुर 23750
छतरपुर 27100
छिन्दवाड़ा 37314
दमोह 11292
दतिया 10439
देवास 40489
धार 57093
डिंडोरी 7763
गुना 19795
ग्वालियर 71940
हरदा 9594
होशंगाबाद 16260
इंदौर 223628
जबलपुर 66468
झाबुआ 8084
कटनी 18566
खंडवा 31755
खरगोन 18203
मंडला 11436
मंदसौर 31897
मुरैना 27847
नरसिंहपुर 12409
नीमच 24576
पन्ना10607
रायसेन 40981
राजगढ़ 52303
रतलाम 36848
रीवा 37560
सागर 34217
सतना 22495
सीहोर 48406
सिवनी 24930
शहडोल 44374
शाजापुर 12112
श्योपुर 7907
शिवपुरी 32795
सीधी 12080
सिंगरोली 22710
टीकमगढ़ 20497
उज्जैन 103986
उमरिया 7204
विदिशा 42237
कुल 1695592
तीसरी लहर से लडऩे की तैयारी
मप्र में तीसरी लहर से लडऩे के लिए वैक्सीनेशन के साथ ही अन्य तैयारियों को अमलीजामा पहनाया जा रहा है। विशेषज्ञों ने अगले 4 से 6 सप्ताह में तीसरी लहर आने की आशंका जताई है। इसमें बच्चे चपेट में आ सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक कोरोना काल में प्रदेश में 53 हजार से ज्यादा बच्चे संक्रमित हो चुके हैं। इसमें से 10 साल तक के बच्चों की संख्या 17 हजार 363 बच्चे हैं। लिहाजा कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन संकट को देखते हुए प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में 1 हजार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर स्थापित किए जाएंगे। 94 ऑक्सीजन प्लांट बनवाए जा रहे हैं। मप्र में 595 मीट्रिक टन निजी क्षमता के अलावा सरकारी अस्पतालों में 323 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) भंडारण क्षमता है। सरकार उन व्यक्तियों को भी अनुदान दे रही है जो राज्य में ऑक्सीजन प्लांट लगा चाहते हैं। प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों के लिए 4500 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर अभी से पहुंचा दिए हैं। इसमें से 2500 केंद्र सरकार ने भेजे हैं।
सरकारी दावे के अनुसार मंडला, डिंडोरी, बालाघाट, सिवनी एवं नरसिंहपुर जिले में ऑक्सीजन कोविड केयर सेंटर बनाए जाएंगे। इनमें मंडला और बालाघाट में 100 बेड, डिंडौरी में 50 बेड, सिवनी में 60 बेड तथा नरसिंहपुर में 40 बेड के सेंटर बनाए जा रहे हैं। इन पर ऑक्सीजन लाइन की सुविधा के अलावा हर बेड पर अधिक क्षमता के ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर रहेंगे। कुल 50 वेंटीलेटर्स भी लगेंगे। तीसरी लहर की आशंका से पहले प्रदेश भर के कोविड अस्पतालों में बेड और आईसीयू वार्डों की संख्या बढ़ाई जा रही है। 13 मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों में पहले चरण में 1267 बेड बढ़ाए जा रहे हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने बताया प्रदेश में हवा में से ऑक्सीजन तैयार करने वाले 112 प्रेशर स्विंग एड्जॉर्पशन (पीएसए) प्लांट स्थापित हो रहे हैं। सरकार ने 61 करोड़ रुपए का बजट जिलों को आवंटित किए हैं। ये प्लांट 15 अगस्त तक शुरू होने का टारगेट है। कई जिलों में ढांचा तैयार हो गया है लेकिन बिजली कनेक्शन नहीं हो पा रहा है। ये प्लांट देवास, धार, मंडला, होशंगाबाद, पन्ना, दमोह, छतरपुर, सीधी, भिंड, राजगढ़ एवं शाजापुर में लग रहे हैं।