आज फिर सरकार उठा रही है 5 हजार करोड़ का नया कर्ज

  • शिव सरकार की फ्री बीज की योजनाएं पड़ रही हैं सरकारी खजाने पर भारी
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भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम।
पुरानी शिवराज सरकार द्वारा शुरु की गईं फ्री बीज योजनाओं की वजह से सरकारी खजाने पर लगातार बोझ बढ़ता ही जा रहा है। पुरानी सरकारों में इन योजनाओं के लागू करने से आय वृद्धि के उपाय नहीं खोजे जाने की वजह से आय कम और व्यय अधिक की स्थिति बनी हुई है। इसकी वजह से सरकार को कर्ज पर कर्ज लेकर काम चलाना पड़ रहा है। इस हालत के चलते एक बार फिर से अब मोहन सरकार इस साल का अंतिम कर्ज साल के अंतिम दिन यानी की आज मंगलवार को 5 हजार करोड़ का कर्ज ले रही है।  यह साल का अंतिम कर्ज है। हाल में वित्त विभाग ने कर्ज लेने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को लेटर ऑफ विलिंगनेस (इच्छा पत्र) भेजा था, जिसे आरबीआई ने मंजूरी दे दी है। पिछले मंगलवार को सरकार ने 5 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। वर्तमान में मप्र सरकार पर 4 लाख करोड़ का कर्ज है। अधिकारियों का कहना है कि राज्य की वित्तीय स्थिति के आधार पर सरकार की लोन लेने की सीमा निर्धारित की गई है। उसी के दायरे में सरकार कर्ज  लेने जा रही है। मप्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष का पहला लोन लेने की प्रक्रिया एक अगस्त 2024 को शुरू की थी। सरकार ने अगस्त में 5-5 हजार करोड़ के 2 लोन, सितंबर में 5 हजार करोड़, नवंबर में 5 हजार करोड़ और पिछले सप्ताह 5 हजार करोड़ का लोन लिया था। अब सरकार वर्ष का अंतिम लोन 31 दिसंबर यानी की आज ले रही है। मप्र सरकार पर 31 मार्च 2024 की स्थिति में 3 लाख 75 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था। मंगलवार को 5 हजार करोड़ का लोन लेने के बाद प्रदेश सरकार पर कर्ज की राशि बढक़र 4 लाख 5 हजार करोड़ रुपए हो जाएगी। मप्र सरकार ने जुलाई में वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 3 लाख 65 हजार करोड़ रुपए से अधिक का बजट प्रस्तुत किया था।
यह है कर्ज लेने का फार्मूला
कोई भी राज्य अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का अधिकतम 3 प्रतिशत की सीमा तक ऋण ले सकता है। मप्र का सकल घरेलू उत्पाद करीब 15 लाख करोड़ रुपए है। इसी के अनुपात में मप्र सरकार की कर्ज लेने की सीमा निर्धारित की गई है। इस वित्तीय वर्ष 2024-25 में एमपी सरकार 65,000 करोड़ रुपये तक कर्ज ले सकती है। किसी भी राज्य सरकार को कर्ज लेने के लिए केंद्र से सहमति लेना जरूरी है।
230 करोड़ रुपए इन चीजों पर खर्च किए
नवंबर में बनी नई सरकार को 3.5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज विरासत में मिला था। वित्तीय तंगी के बावजूद, सरकार ने 230 करोड़ रुपए का विमान, मंत्रियों के लिए नई गाडिय़ां और उनके बंगलों के नवीनीकरण पर खर्च किया है। इस बीच मध्य प्रदेश के बढ़ते कर्ज पर चिंता जताई जा रही है। आरबीआई  के आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2025 तक राज्य का कुल कर्ज 4,80,976.0 करोड़ रुपए हो गया है।
नौवें स्थान पर है मध्य प्रदेश
कर्ज के मामले में मध्य प्रदेश देश में नौवें स्थान पर है। तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और गुजरात मध्य प्रदेश से आगे है।  इस महीने सरकार 10,000 करोड़ रुपए का कर्ज ले रही है। पहले ही 5000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया जा चुका है और 5000 करोड़ रुपए का और कर्ज लिया जा रहा है।
इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए लिया जा रहा कर्ज विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विपक्षी कांग्रेस ने सरकार को कर्ज लेने पर घेरा। सरकार का तर्क है कि कर्ज राज्य के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए लिया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि हर कर्ज के लिए केंद्र सरकार की सहमति ली जाती है। कर्ज का इस्तेमाल राज्य में उत्पादक विकास कार्यक्रमों और परियोजनाओं के लिए किया जाता है। यह मुख्य रूप से विकास योजनाओं की लागत वहन करता है।

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