- सोर्स शिफारिश पर नहीं मिलेगा इस बार टिकट
- गौरव चौहान

इस बार सत्ता पाने के लिए कांग्रेस अभी से पूरी ताकत लगा रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा चुनावी हार के लिए जिम्मेदार कमजोर कडिय़ों को तलाश कर उन्हें दूर करने का काम किया जा रहा है। इसमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण निर्णय उनके द्वारा टिकट वितरण को लेकर लिया गया है, जिसमें तय किया गया है कि इस बार सिर्फ उन पार्टी कार्यकर्ताओं को ही टिकट दिया जाएगा, जो पूरी तरह से गोपनीय तौर पर कराए जा रहे सर्वे में खरे उतरेंगे। इसमें देखा जाएगा कि पार्टी से टिकट की दावेदारी करने वाला सर्वे में भाजपा प्रत्याशी से टकरा सकने की क्षमता रखता है या नहीं।
इस मामले में बीते रोज कमलनाथ ने अपने बयान में स्पष्ट कर दिया है। माना जा रहा है कि अगर ऐसा होता है तो पार्टी के दावेदार कार्यकर्ताओं के साथ ही उन वरिष्ठ नेताओं को झटका लग सकता है, जो पार्टी नेतृत्व से अपने समर्थकों के लिए टिकट की पैरवी करने में लगे हुए हैं। दरअसल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कई ऐसे नेताओं को टिकट दिए थे, जो बड़े नेताओं की पसंद बने हुए थे। इनमें से अधिकांश नेता चुनाव हार गए थे, जिसकी वजह से कांग्रेस बहुमत से चंद सीट पीछे रहने को मजबूर हो गई थी। इनमें से कई नेता तो अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए थे। अगर कांग्रेस बीते चुनाव में सर्वे के फार्मूला और जीतने वाले उम्मीदवारों पर ही दांव लगाती तो कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिल जाता। बीते चुनाव में भारी एंटी इन्वेंसी, किसान कर्ज माफी, संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण, गौशाला निर्माण, बेरोजगारी भत्ता जैसे कई वादों वाले फैक्टर भी कांग्रेस के पक्ष में बने हुए थे। उस समय कांग्रेस के 114 विधायक निर्वाचित हुए थे। इनमें करीब दो दर्जन से अधिक विधायक तत्कालीन कांग्रेसी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की अनुशंसा पर टिकट पाने वाले शामिल थे। इसी तरह से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समर्थकों की संख्या लगभग 75 के आसपास थी। कुछ टिकट प्रदेश के अन्य वरिष्ठ नेताओं को स्वयं एवं उनके समर्थकों को भी दिए गए थे। इनमें पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी व अरुण यादव, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, राहुल, स्वयं के साथ कुछ समर्थकों को भी टिकट दिलवाने में सफल रहे थे। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने अपने बेटे विक्रांत भूरिया को टिकट दिलवाया था। टिकट पाने वाले तीनों बड़े नेता पचौरी, यादव और अजय सिंह चुनाव हार गए थे। हालांकि इनके समर्थक जरूर चुनाव जीते थे। इस दौरान कुछ राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने भी अपने खास लोगों को टिकट दिलवाए थे, लेकिन वे बुरी तरह से हार गए थे। इसके बाद सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत नहीं जुटा सकने पर टिकट वितरण को लेकर उन कार्यकर्ताओं ने सवाल खड़े किए थे, जिनके टिकट काटे गए थे। यही वजह है कि इस बार टिकट उन्हीं नेताओं को देना अभी से तय कर लिया गया है जो, भाजपा प्रत्याशियों को टक्कर देने में सक्षम माने जाएंगे। कमलनाथ जब से सर्वे से टिकट बांटे जाने की बात कह रहे हैं, तभी से सिफारशी नेता परेशान बने हुए हैं। कमलनाथ पहले ही कह चुके हैं कि टिकट उसे ही मिलेगी, जो जनता के साथ मिलकर काम कर रहा है। हमारे जमीनी कार्यकर्ताओं को ही टिकट दी जाएगी। किसी अन्य विधानसभा का व्यक्ति दूसरी विधानसभा में चुनाव नहीं लड़ पाएगा। कांग्रेस 2023 के विधानसभा चुनाव में इस रणनीति के साथ ही टिकट का वितरण करेगी। कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस का टिकट वितरण एकदम साफ सुथरा और पारदर्शी होगा। जमीनी कार्यकर्ताओं को भी टिकट मिलेगा किसी भी नेता की बैक डोर से एंट्री नहीं होगी।
भाजपाई बनेंगे कांग्रेसी
खास बात यह है कि इस दौरान कमलनाथ ने कहा कि कुछ भाजपा नेता जल्द ही कांग्रेस में आने वाले हैं। उनके इस बयान से उन नेताओं की धडक़ने बढ़ गई हैं, जो टिकट के दावेदार बने हुए हैं। इसकी वजह है प्रदेश में हुए उपचुनाव। उस समय कमलनाथ ने भाजपा से आने वाले कुछ नेताओं को उपचुनाव में टिकट थमा दिए थे।
सभा में कही सर्वे की बात
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने हाल ही में एक बार फिर से बड़वानी की सभा में कमलनाथ ने सर्वे के आधार पर ही टिकट दिए जाने की बात कही। उन्होंने कहा, जो भाजपा उम्मीदवार से बराबरी से लड़ने में सक्षम होगा, उसकी सूची भी मेरे पास आ चुकी है। भले ही कोई कितनी भी दावेदारी करे। अगर किसी को किसी टिकट पर आपत्ति है और वह जानना चाहता है कि उसे टिकट क्यों नहीं दिया गया है, तो वह हमारे पास आकर सर्वे रिपोर्ट देख सकता है।
सफल रह चुका है सर्वे का प्रयोग
कमलनाथ ने बीते साल हुए प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव में अपने सर्वे के आधार पर ही टिकट दिए थे। जिसमें कांग्रेस ने नगर निगम के चुनावों में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया था। वो अपना सर्वे सभी टिकट चाहने वालों के सामने रखकर सच्चाई से अवगत कराते हैं और फिर सबसे मिलकर सर्वे में आगे रहने वाले को जिताने की कसम खिलवा लेते हैं।