
- नियमितीकरण के लिए 2.50 लाख कर्मचारियों के लिए नए नियम
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में संविदा कर्मचारियों के लिए विभागों की ओर से की जाने वाली सीधी भर्ती में नियम बना दिए हैं। अब संविदा कर्मचारियों को सरकारी नौकरी में आने के लिए लिखित परीक्षा देनी होगी। इसमें भी 50 फीसदी से अधिक अंक आने पर ही उन्हें नियुक्ति होगी। सामान्य प्रशासन की ओर से तैयार किए गए इन नियमों के अनुसार, सभी विभाग अपने यहां तृतीय श्रेणी की भर्तियों में इसका पालन करेंगे। गौरतलब है कि प्रदेश के 25 से ज्यादा विभागों में करीब 2.50 लाख संविदा कर्मचारी काम कर रहे हैं। इन कर्मचारियों पर अब दोहरी परीक्षा का दबाव है। ये वही कर्मचारी हैं जो 15 साल पहले विभागीय परीक्षा देकर संविदा पदों पर भर्ती हुए थे, लेकिन अब सरकार ने नियमित भर्तियों में उनके लिए 20 प्रतिशत आरक्षण तो रखा है, पर शर्त जोड़ी है-व्यापमं की परीक्षा में कम से कम 50 प्रतिशत अंक लाने होंगे, तभी नियमितीकरण होगा। इस नियम के विरोध में 15 नवंबर को मध्य प्रदेश संविदा संयुक्त संघर्ष मंच के तत्वाधान में 24 योजनाओं परियोजनाओं के संविदा कर्मचारियों द्वारा संयुक्त रूप से प्रदेश स्तरीय धरना प्रदर्शन किया जाएगा उसी क्रम में 2 नवंबर को बिजली विभाग के संविदा कर्मचारी भोपाल में आंदोलन कर रहे हैं।
बिना परीक्षा नियमित करने की मांग
उधर, कर्मचारियों का कहना है कि 50 साल पार कर चुके कर्मियों को अब फिर से परीक्षा में बैठाना अनुचित है। उनका तर्क है कि जब हमने पहले ही परीक्षा पास कर ली थी और वर्षों से सेवा दे रहे हैं, तो अब नई पीढ़ी के उम्मीदवारों से प्रतिस्पर्धा क्यों? खासतौर पर डिप्लोमा और डिग्रीधारी सब इंजीनियर नई परीक्षा की कटऑफ में पिछड़ रहे हैं। इधर, ऊर्जा विभाग की तीनों डिस्कॉम कंपनियों (मध्यक्षेत्र, पूर्व और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियों) ने नए सेटअप में संविदा पद खत्म कर दिए हैं। करीब 5 हजार संविदा कर्मचारी अब नियमित श्रेणी में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें भी बिना परीक्षा सीधे नियमित किया जाए, क्योंकि संविदा पदों का अस्तित्व अब विभाग में बचा ही नहीं है। गौरतलब है कि प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग समेत कई विभागों में काम कर रहे करीब 6000 संविदा कर्मचारियों को पिछले चार महीनों से वेतन नहीं मिला है। इनमें वे कर्मचारी शामिल हैं जो मनरेगा, वाटरशेड मिशन, एनआरएलएम, सोशल ऑडिट और स्वच्छ भारत मिशन जैसी केंद्र प्रवर्तित योजनाओं में काम कर रहे हैं। वेतन न मिलने की वजह विभाग में लागू किया गया नया स्पर्श सॉफ्टवेयर है। इसमें केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के मुताबिक कार्यवाही की जा रही है, लेकिन तकनीकी कारणों से कर्मचारियों का वेतन आहरण (सैलरी रिलीज) अटक गर्या है। इधर, मध्यप्रदेश ग्रामीण सडक़ प्राधिकरण में स्थिति अलग है। यहां 1500 सब इंजीनियर समेत अन्य कर्मचारियों को नियमित वेतन मिल रहा है, क्योंकि उनका भुगतान स्थापना व्यय (स्टेट हेड) से होता है। इस फंड में केंद्र का कोई अंश नहीं होने के कारण भुगतान प्रक्रिया प्रभावित नहीं हुई है।
