मंत्रियों की मनमानी के चलते सावधान रहने का समय

भाजपा
  • भाजपा को सत्ता में बैठे नेताओं के बयान व आचरण पर नजर रखने के साथ ही कड़ी निगरानी की जरूरत भी है…

    भोपाल/राघवेंद्र सिंह/बिच्छू डॉट कॉम। वैसे तो कोरोना काल है और इसकी आड़ में सब सावधान के बाद विश्राम के मूड में ज्यादा हैं। मगर ये अलाली सत्तानशी नेताओं में अनुशासनहीनता के रूप में सिर चढ़ कर बोल रही है। मंत्रियों के बीच कर्कशतापूर्ण संवाद कैबिनेट की बैठक से शुरू हो कर सड़क पर बेशर्मी तक जा रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जिस शालीनता, सहजता और सादगी के लिए जाने जाते हैं उनके मंत्रीगण तनिक भी अनुसरण करें तो शायद न तो सरकार-संगठन के साथ सियासत करने वालों को अपयश का शिकार न होना पड़े। पिछले दिनों कुछ ऐसी घटनाएं हुईं जिनसे सत्तानशीं नेताओं को नशामुक्ति की दरकार ज्यादा महसूस हुई। लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं है। बचाव में कहा जा सकता है कि कोई करे भी क्या… पूरे कुंए में ही भांग घुली हुई है। विंध्य के दौरे पर गए एक प्रभारी मंत्री विजय शाह इस बात पर खासे खफा हैं कि उनके प्रवास के दौरान रेलवे स्टेशन पर इस्तकबाल के लिए न तो कलेक्टर-एसपी थे और सत्कार के लिए पलक पांवड़े बिछाए हाथों में हारफूल लिए कार्यकर्ताओं की भीड़ थी न दरख्वास्त लिए मजलूम जनता। उनके कहने का आशय था कि कलेक्टर-एसपी पोस्टिंग के लिए निवेदन करने वाले अफसर भी कहां हैं..?  गोया कि कलेक्टर-एसपी न होकर वे माननीय मंत्री जी की शान में भीड़ जुटाने वाले कार्यकर्ता हों। गंभीर मामला है कि मंत्री के बेलगाम होने का और उनके इस आचरण पर सत्ता संगठन की तरफ से कोई नोटिस न लेना और भी ज्यादा चिंता में डालने वाला है।
    ऐसे ही कैबिनेट की बैठक में मंत्री यशोधरा राजे और उनका दो मंत्रियों के साथ लगातार दो बार विवाद होना राजनीति में गिरावट का खतरनाक संकेत है। एक बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपनी उपस्थिति में मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर व राजे के बीच बहस को शांत करा दिया था। लेकिन दूसरी बार कैबिनेट की बैठक के पूर्व राजे और अरविंद भदौरिया के बीच भी तीखा संवाद हुआ। यह इत्तफाक है कि दोनों ही दफा ग्वालियर-चम्बल के मंत्री ही विवादों में आए। इसके पीछे भाजपा की आंतरिक राजनीति है या फिर मंत्रियों के बीच लंबे समय से पनप रही कटुता जो बहस के रूप में सामने आई। लेकिन असहमतियों का स्तर चिंतनीय था।
    एक अन्य मंत्री उषा ठाकुर ने चर्चित बात कह डाली कि वे सेल्फी खिंचवाने वाले पार्टी फंड के लिए सौ रुपए लेंगी। ऐसा वे समय बचाने के लिए कर रही है।  इसके पहले भी वे कुछ बयानों के लिए सुर्खियों में रही हैं। मसलन, उन्होंने हाथ जोड़ कर प्रार्थना की थी कि पीएम फंड के लिए कोरोना वैक्सीन के हरेक दो डोज के लिए  250- 250 रुपए देने चाहिए। कोरोना के खात्मे के लिए एयरपोर्ट पर पूजा करने वाली उषा जी खुद के मास्क नहीं लगाने पर कहती हैं कि वे रोज गोबर के कंडे पर हवन करती हैं, शंख बजाती हैं और हनुमान चालीसा का पाठ करती है। इससे उनकी रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है।
    भाजपा को अपने संगठन के साथ सत्ता में बैठे नेताओं के बयान व आचरण पर नजर रखने के साथ कड़ी निगरानी की जरूरत भी है। दरअसल एक मंत्री पर पांच लाख की रकम की डिमांड करने का आॅडियो भी खूब चर्चाओं में है। जिन सज्जन से मांग की गई वे संघ से जुड़े बताए जाते हैं।
    भाजपा ऑफिस की व्यवस्था में सुधार…
    प्रदेश भाजपा ऑफिस के प्रबंधन में सुधार के संकेत हैं। कार्यालय में आने वाले कार्यकर्ताओं को पूर्व की भांति आत्मीयता और सहयोग की नीति पर काम किया जा रहा है। इसके पीछे प्रदेश संगठन मंत्री सुहास भगत और अध्यक्ष वीडी शर्मा के निर्देश भी अहम है। लगता है आने वाले दिनों में ऑफिस में कार्यकर्ताओं की आवाजाही में इजाफा देखने को मिलेगा।
    कांग्रेस में कमलनाथ को लेकर संशय
    मप्र कांग्रेस में पीसीसी चीफ कमलनाथ को लेकर संशय बना हुआ है। पिछले दिनों एक अफवाह पंख लगा कर उड़ी जिसमें नाथ को कांग्रेस का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाने वाला है। लेकिन इसे कांग्रेस में शरारत के रूप में ही देखा गया। पंजाब चुनाव के चलते कांग्रेस ऐसा कोई निर्णय करेगी कठिन लगता है। दरअसल कमलनाथ प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी की हत्या के बाद 1984 की हिंसा में आरोपी हैं। बहरहाल नाथ की पीसीसी से विदाई के मुन्तजिर नेताओं के लिए अभी इंतजार की घड़ियां समाप्त नहीं हुई हैं।

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