
- विकास की राशि से सरकार ने चुकता कर दिया पौने पांच सौ करोड़ का बिजली बिल…
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में दो साल से अधिक का समय हो चुका है , लेकिन पंचायत चुनाव नहीं कराए गए हैं। इसका ग्रामीणों को दोहरा नुकसान उठाना पड़ा है। हालात यह है की विकास कामों के लिए केन्द्र सें मिलने वाली राशि तो डेढ़ साल से मिल ही नहीं है , वहीं प्रदेश सरकार ने भी मूलभूत सुविधाओं के लिए स्टांप ड्यूटी से मिली करीब पौने पांच सौ करोड़ की राशि भी विकास कामों में खर्च करने की जगह बिजली के बिलों के भुगतान में कर दिया। अब पंचायत चुनाव की घंटी लगभग बज चुकी है, सो मंत्रियों से लेकर विधायकों तक को अपने इलाकों के ग्रामीण इलाकों की समस्याएं नजर आनी शुरू हो गई हैं। यही वजह है की अब विभाग में तमाम जनप्रतिनिधियों की कामों को लेकर हजारो ंचिट्ठियां पहुंच रही हैं। इनमें छोटे से लेकर कई तरह के बड़े काम कराने का आग्रह किया जा रहा है , लेकिन विभाग के पास इसके लिए बजट ही नहीं है, लिहाजा यह पत्र फाइलों की शोभा बड़ा रहे हैं। यही नहीं केन्द्र से15वें वित्त आयोग से मिलने वाली 4500 करोड़ रुपए की ग्रांट भी नहीं मिली है। इसकी वजह है प्रदेश में पंचायतों के चुनाव न हीं करानाहै। उल्लेखनीय है की दरअसल ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग को 15वें वित्त आयोग से हर साल लगभग 3 हजार करोड़ की राशि पंचायतों के विकास के लिए मदद के रुप में दी जाती है। बीते साल कोरोना की अवधि में वर्ष 2021-22 की राशि में से आधी ग्रांट के 1472 करोड़ रुपए की पहली किस्त मिल चुकी थी , लेकिन जब दूसरी किस्त की बार आयी तो उसे रोक दिया गया। इसके बाद से लगतार प्रदेश की सरकार रोकी गई ग्रांट की राशि पाने के लिए प्रयासरत रही , लेकिन उसे सफलता नहीं मिल सकी। इसके लिए कई बार पत्र भी लिखे गए हैं। अब तक इस वर्ष 2022-23 के लिए भी पंचायत चुनाव न होने की वजह से प्रदेश को इस मद में एक भी रुपया नहीं मिला है। यह राशि 3 हजार करोड़ है। इसके बाद भी प्रदेश सरकार ने ग्राम पंचायतों में निर्माण कार्यों के लिए विभाग को 500 करोड़ रुपए स्टांप ड्यूटी पर मिले थे, जिसमें से 467 करोड़ का बिजली का बिल भर दिया गया है, जिसकी वजह से गांवों में सड़क, नाली, सफाई, पानी जैसे मूल काम अटके पड़े हैं।
एक अरब का लगा सरचार्ज भी
प्रदेश की 23 हजार पंचायतों के भवन, स्ट्रीट लाइट और वॉटर वर्क्स के करोड़ों के बिजली बिल लंबे समय से बकाया होने की वजह से पंचायतों की बिजली कनेक्शन काटना शुरू कर दिए गए थे, जिसकी वजह से शासन को पंजीयन विभाग में स्टाम्प ड्यूटी पर लगने वाले पंचायत सेस से मिली राशि से बिजली का बिल भरने का निर्णय लेना पड़ा। विभाग द्वारा बिजली का बिल भरने के बाद शेष बची 37 करोड़ राशि का भी उपयोग नहीं किया जा सका , जिसकी वजह से वह राशि लैप्स हो गई। बिल न भरने की वजह से शासन को पंचायतों के बकाया बिल पर 100 करोड़ रुपए का तो सरचार्ज तक भुगतान करना पड़ा है।