
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। भाजपा में चल रहे बदलाव के दौर की वजह से प्रदेश में एक दर्जन के करीब दिग्गज नेताओं के टिकट अभी से खतरे में पड़ते दिखना शुरू हो गए हैं। इनमें मौजूदा मंत्री से लेकर संगठन में बेहद महत्वपूर्ण दायत्विों का निर्वाहन करने वाले नेता तक शामिल हैं। यही वजह है कि अभी से इस संभावना के चलते तो कुछ नेताओं ने अगला चुनाव नहीं लड़ने का अभी से ऐलान करना शुरू कर दिया है। दरअसल यह वे नेता हैं, जो 70 से अधिक बसंत देख चुके हैं। दरअसल भाजपा संगठन में अधिक से अधिक युवाओं को और खासतौर पर दूसरी पंत्ति के नेताओंं को आगे लाने की कवायद की जा रही है। इसकी वजह से हर चुनाव से ठीक पहले सत्तर साल से अधिक आयु के नेताओं को टिकट न देने की चर्चाएं जोर पकड़ने लगती हैं। इस बार इस तरह की चर्चाएं अभी भले ही शुरू नहीं हुई हैं , लेकिन अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए कई दिग्गज नेताओं ने अभी से चुनाव नहीं लड़ने की खबर फैलाना शुरू कर दी है। इन नेताओं में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डा सीताशरण शर्मा , पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन से लेकर विधायक नागेन्द्र सिंह तक का नाम जुड़ गया है। नागौद से विधायक नागेंद्र सिंह ने खुलकर ऐलान कर दिया कि अब वह चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगे। इसके एक हफ्ते पहले ही बालाघाट से विधायक गौरीशंकर बिसेन भी चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। इन नेताओं ने उम्र का हवाला देकर अब सक्रिय पॉलिटिक्स में नहीं रहने की बात कही है। परंतु, इससे उन अन्य नेताओं की मुसीबत बढ़ गई है। जो 75 या इसके आसपास तो हो गए हैं, पर चुनाव मैदान नहीं छोड़ना चाहते हैं।
ऐसे कई नेता तो अभी से अपना टिकट पक्का करने की जुगाड़ तक में लग गए हैं। अगर मौजूदा विधायकों की बात की जाए तो विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम, मंत्री गोपाल भार्गव, बिसाहू लाल सिंह, विधायक अजय विश्नोई , गोपी लाल जाटव, श्याम लाल द्विवेदी , राम लल्लू वैश्य, जय सिंह मरावी, महेन्द्र हार्डिया , पारस जैन और देवी लाल धाकड़ ऐसे विधायक हैं,जो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव तक सत्तर साल की उम्र पूरी कर लेंगे। उधर, कई ऐसे भी उम्रदराज नेता हैं , जो बीता चुनाव हारने के बाद भी इस बार फिर से चुनाव में उतरने से परहेज नहीं करना चाहते हैं। ऐसे नेताओं में उमाशकंर गुप्ता से लेकर पूव मंत्री रुस्तम सिंह तक का नाम शामिल है। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम अगले चुनाव में भी भाजपा प्रत्याशी होंगे। इसकी वजह है जब चुनव होंगे, वे तभी 70 की उम्र पूरी कर रहे होंगे। इसकी वजह से उनका टिकट तय माना जा रहा है। इसी तरह की स्थिति गोपाल भार्गव की भी रहने वाली है। वे अभी 70 साल की उम्र पूरी कर ही रहे हैं। इसके बाद भी यह दोनों नेता पूरी तरह से सक्रिय हैं।
कई उम्र दराज नेताओं के खाते में आ चुकी हार
पार्टियां भले ही नियम बनाती हैं, पर अंत में टिकट जिताऊ प्रत्याशी को ही दिया जाता है। पिछले चुनाव में भाजपा-कांग्रेस ने 70 या इससे अधिक उम्र वाले 9 नेताओं को टिकट दिए थे, लेकिन इसमें से 4 के खाते में ही जीत आ सकी थी। इनमें सर्वाधिक उम्र वाले मोती कश्यप (78) और कांग्रेस के सरताज सिंह (78) को चुनाव में हार मिली थी। जबकि भाजपा के तीन प्रत्याशी गुढ़ से नागेंद्र सिंह (76), नागौद से नागेंद्र सिंह (76) और रैगांव से जुगल किशोर बागरी (75) चुनाव जीत गए थे। कांग्रेस से सिर्फ एक प्रत्याशी कटंगी से तमलाल रघुजी सहारे (71) ही चुनाव जीतने में सफल रहे।
बेटी व भतीजे के लिए मागेंगे टिकट
गौरीशंकर बिसेन और नागेंद्र सिंह चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। अब बिसेन की राजनैतिक विरासत उनकी बेटी मौसम बिसेन संभालेंगी। पार्टी उनको टिकट देती है या नहीं , यह सब उस पर निर्भर करेगा। वहीं, दूसरी ओर 81 वर्षीय नागेंद्र सिंह नागौद का कहना है कि न तो वे चुनाव लड़ेंगे और न ही उनके दोनों बेटे राजनीति में आएंगे। उचेहरा में उनका भतीजा कृष्ण देव सिंह उनकी विधानसभा सीट का भावी उम्मीदवार होगा। दरअसल , नागेंद्र सिंह नागौद 80 के ऊपर हैं।
उम्रदराज नेता
कई ऐसे नेता भी हैं जो पिछले चुनाव में हार चुके हैं, लेकिन एक बार फिर अगले चुनाव के लिहाज से अपने क्षेत्रों में सक्रिय हैं। इन नेताओं में उमाशंकर गुप्ता, रामकृष्ण कुसमारिया, हिम्मत कोठारी और रुस्तम सिंह भी टिकट के लिए दावेदारी कर सकते हैं, लेकिन चुनाव तक यह सभी उम्र के मानदंडो पर खरा नहीं उतर पाएंगे। ऐसे में अब मप्र के दिग्गज नेताओं को चुनावी मैदान से बाहर होने का डर सताने लगा है। चुनाव आने पर पार्टी इनको रिटायर कर सकती है। मध्यप्रदेश भाजपा के उम्रदराज नेता सत्ता का मोह छोड़ पाएंगे या नहीं। यह तो भविष्य तय करेगा, लेकिन अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव का टिकट मिलना मुश्किल लग रहा है। हाल ही में विधानसभा के पूर्व स्पीकर सीतासरन शर्मा का एक बयान वायरल हुआ है। इसमें वे चुनाव नहीं लड़ने के सवाल पर कहते दिख रहे हैं कि वो बंद कमरे में कहते हैं।