टिकिट क्राइटेरिया पर दिल्ली में लगेगी मुहर

 विधानसभा

– प्रदेश भाजपा के बड़े नेता भी होंगे शामिल

भोपाल/हरीश फतेह चंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। यह साल देश के लिए चुनावी साल रहने वाला है। इसकी वजह है इस वर्ष प्रदेश के नौ राज्यों में विधानसभा के चुनाव होना। इनमें मप्र भी शामिल है। यही वजह है कि इस चुनाव को लेकर भाजपा में केन्द्रीय स्तर पर अभी से मंथन का दौर शुरू हो गया है। भाजपा की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 16 जनवरी से दिल्ली में होने जा रही है। इस बैठक में पार्टी की चुनावी रणनीति और टिकट वितरण के फार्मूले पर विचार किया जाना तय है। बैठक में मध्यप्रदेश के शीर्ष भाजपा नेताओं को भी शामिल होना है।  इस बैठक में पूरी तरह राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों पर फोकस रहने वाला है। इसमें मप्र भी शामिल है। गुजरात चुनाव में टिकट वितरण के जिस फार्मूले पर बम्पर जीत मिली, भाजपा उसे अब अन्य राज्यों में भी लागू करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। माना जा रहा है कि इस फार्मूला को मप्र में भी पूरी तरह से लागू किया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो प्रदेश के कई मौजूदा विधायकों के  टिकट पर संकट खड़ा होना तय है। इस संभावना की वजह से सूबे के कई नेताओं की धड़कने बड़ी हुई हैं। दरअसल भाजपा के लिए मध्यप्रदेश सबसे अहम राज्य माना जाता है। इसकी अपनी वजहें भी हैं। दरअसल इसकी वजह है प्रदेश का संगठन। भाजपा व संघ की कर्मभूमि वाले इस प्रदेश के मॉडल को कई अन्य राज्यों में भी पार्टी ने लागू किया है। इसकी वजह से ही राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में मध्यप्रदेश पर खास फोकस रहने की पूरी संभावना है। इसके अलावा यह वो प्रदेश है जहां पर कांग्रेस बेहद कठिन चुनौती देते हुए प्रतीत हो रही है। पार्टी के आला नेता जानते हैं कि अगर मप्र में कांग्रेस की वापसी हो जाती है तो उसे ऑक्सीजन मिल जाएगी, जिसे पार्टी होने नहीं देना चाहती है। माना जा रहा है कि इस बैठक में इस वजह से चुनावी रोड मैप तैयार किया जाएगा। इसकी झलक बैठक में पेश होने वाले राजनीतिक प्रस्ताव में दिख जाएगी। इस चुनाव में भाजपा का पूरा जोर केन्द्र और राज्य की फ्लैगशिप योजनाओं को जन जन तक पहुंचाकर हितग्राहियों को पार्टी से जोड़ने पर है। बीते लंबे समय से पार्टी इस पर काम कर रही है। यही वजह है राष्ट्रीय कार्यसमिति बैठक में प्रदेश संगठन से इस मामले में पूरी जानकारी मांगी गई है। इसके साथ ही पार्टी का युवाओं को जोड़ने े और सोशल मीडिया का अधिकाधिक उपयोग की भी योजना है। इसकी वजह है पार्टी के बड़े नेता पहले ही साफ कर चुके हैं कि अगला चुनाव सोशल मीडिया कैम्पेन के आधार पर ही लड़ा जाना है। लिहाजा चुनाव से पहले हर विधानसभा क्षेत्र में साइबर योद्धा तैनात किए जा रहे हैं। इसके लिए भाजपा द्वारा बाकायदा प्रशिक्षण कार्यक्रम भी संचालित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम की समीक्षा करने के साथ ही इसे और अधिक कारगर बनाने पर भी मंथन किया जाएगा। राष्ट्रीय कार्यसमिति के बाद ही प्रदेशों की एवं जिलों की कार्यकारिणी आयोजित कर लिए गए फैसलों का निचले स्तर पर क्रियान्वयन तय किया जाएगा। दरअसल राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक के पन्द्रह दिन के अंदर ही भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति और फिर इतने ही समय में जिला और उसके बाद मंडल की कार्यसमिति बैठकें आयोजित करना पार्टी संविधान के अनुसार जरूरी है।
युवाओं पर रहेगा जोर
माना जा रहा है कि मप्र के साथ ही हिंदी भाषी प्रदेशों में बढ़ती युवा मतदाताओं की संख्या को देखते हुए इस बार पार्टी युवाओं पर भी खासा जोर लगा रही है। यही वजह है कि केन्द्र के साथ ही इन राज्यों में बढ़े पैमाने पर सरकारी नौकरियां निकाली जा रही हैं। इसके अलावा इन्य कई तरह की स्वरोजगार योजनाएं भी लागू की जा रही हैं। इन पर तो चर्चा हागी ही साथ ही और क्या कदम उठाए जा सकते हैं। इस पर भी विचार विमर्श किया जाएगा। दरअसल भाजपा जानती है कि उसे बीते दो लोकसभा के अलावा उप्र व गुजरात में भी बड़ी संख्या में युवाओं का साथ मिला है , जिसकी वजह से ही इन दोनों ही  राज्यों में पार्टी की फिर से सरकारें बन सकी हैं।
आदिवासी वोट बैंक पर भी फोकस
भाजपा ने अपना वोट शेयर 51 फीसदी करने के लिए पूरे देश में संगठनात्मक अभियान चला रखा है। इसके लिए पिछले एक साल से आदिवासी वोटों पर खास फोकस किया जा रहा है। मध्यप्रदेश में भी आदिवासी वोट बैंक के लिए प्रदेश सरकार और संगठन भी लंबे समय से अभियान चला रहा है। इस अभियान पर भी बैठक में चर्चा होगी और इस वर्ग के लिए चुनाव से पहले के नए कार्यक्रम भी तय किए जाएंगे।
क्षेत्रीय और जातीय संतुलन पर भी हो सकता है फैसला
बताया जा रहा है कि बैठक में मप्र के चुनावी हिसाब से क्षेत्रीय और जातिगत समीकरण पर भी चर्चा कर फैसला लिया जा सकता है। दरअसल अभी शिवराज कैबिनेट में ग्वालियर-चंबल से 9,मालवा से 8, निमाड़ से 2, मध्य क्षेत्र से 3, बुंदेलखंड से 4, विंध्य क्षेत्र से 3 और महाकौशल क्षेत्र से एक मंत्री है। माना जा रहा है कि क्षेत्रीय संतुलन बनाने के लए ग्वालियर- चंबल और मालवा से संख्या कम करके महाकौशल व विंध्य क्षेत्र का प्रतिनिधित्व सरकार में बढ़ाकर संतुलित किया जाएगा। इसी तरह से अभी शिवराज कैबिनेट के 30 मंत्रियों में से सबसे ज्यादा 10 मंत्री क्षत्रिय हैं। मुख्यमंत्री सहित 8 मंत्री यानी 27 प्रतिशत मंत्री ओबीसी से। तीन एससी और चार एसटी वर्ग से हैं। दो मंत्री 2 ब्राह्मण हैं। इसकी वजह से माना जा रहा है कि क्षत्रिय मंत्रियों की संख्या को कम करके एससी व एसटी व ब्राह्मण मंत्रियों की संख्या बढ़ाकर सभी वर्गों को खुश किया जाएगा।

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