
- एम्स, हमीदिया और जेपी की ओपीडी में दो दिन में पहुंचे करीब 12 हजार मरीज
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। राजधानी भोपाल में बदलते मौसम के कारण इन्फ्लुएंजा, एडेनो और रेस्पिरेट्री सिंसीशियल वायरस ने युवा, बुजुर्ग और बच्चे की सेहत पर अटैक कर दिया है। एक साथ तीन वायरस के एक्टिव होने के कारण एम्स, हमीदिया और जेपी अस्पताल में दो दिन में 12 हजार से ज्यादा मरीज पहुंचे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि यह सामान्य बुखार या मौसमी वायरल नहीं है, बल्कि एक साथ तीन-तीन वायरस का अटैक हो रहा है। यही कारण है कि वायरस से रिकवर होने में 10 से 12 दिन लग रहे हैं। भोपाल में मौसम अचानक करवट बदल रहा है। कभी तेज बारिश, कभी कड़ी धूप और फिर उमस। इस वजह से लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है। सामान्य दिनों में जहां एक हजार करीब मरीज आते थे, अब यह संख्या 1500 से 1800 तक पहुंच गई है। इनमें ज्यादातर वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण से पीडि़त हैं। करीब सात से आठ प्रतिशत मरीजों को गंभीर हालत में भर्ती करना पड़ रहा है। इनमें सांस लेने में तकलीफ और फेफड़ों का इंफेक्शन देखने को मिल रहा है। मौसम के बार-बार बदलने के कारण ह्यूमन राइनोवायरस और ई-कोलाई बैक्टीरिया भी सक्रिय है, जो वयस्क मरीजों को प्रभावित कर रहे हैं। ज्यादातर मरीज एक से दो हफ्ते में सामान्य दवाओं से ठीक हो जाते हैं, लेकिन मरीजों को सावधानी बरतना बेहद जरूरी है।
बच्चों में आरएसवी वायरस एक्टिव
इस समय रेस्पीरेट्री सिंसेशियल वायरस सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण देता है, लेकिन छोटे बच्चों में यह निमोनिया और ब्रोंक्योलाइटिस का कारण बन सकता है। यह वायरस बच्चों को ज्यादा प्रभावित करता है, लेकिन कमजोर इम्यूनिटी वाले बुजुर्ग और दिल या अस्थमा के मरीज भी इसके शिकार हो सकते हैं।
इस समय रेस्पीरेट्री सिंसेशियल वायरस सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण देता है, लेकिन छोटे बच्चों में यह निमोनिया और ब्रोंक्योलाइटिस का कारण बन सकता है। यह वायरस बच्चों को ज्यादा प्रभावित करता है, लेकिन कमजोर इम्यूनिटी वाले बुजुर्ग और दिल या अस्थमा के मरीज भी इसके शिकार हो सकते हैं।
इन वायरसों ने बढ़ाई मुसीबत
रेस्पिरेट्री सिसीशियल वायरस (आरएसवी) यह वायरस बच्चों के फेफड़ों को प्रभावित करता है, जिससे तेज खांसी, सांस लेने में दिक्कत और बुखार की समस्या बढ़ जाती है। इन्फ्लुएंजा वायरस- इससे तेज बुखार, सिरदर्द और शरीर में दर्द के लक्षण दिखते है। संक्रमण, आंखों में लालिमा और डायरिया जैसी दिक्कते देता है। मौसम बदलते ही मरीजों की संख्या बढ़ रही है। डॉक्टरों को निर्देश दिए है कि हर मरीज को पर्याप्त समय दें और उन्हें विस्तार से समझाएं कि बीमारी से कैसे बचा जा सकता है।