वही ढॉक के तीन पॉत

  • हजारों गांव नल-जल विहीन
  • गौरव चौहान

प्रदेश में ऐसे सैकड़ों गांव हैं, जिनमें लोगों को प्रेयजल संकट का सामना अरसे से करना पड़ रहा है, लेकिन उनके इस संकट का समाधान सरकार की नलजल योजना भी करने को तैयार नही है। इसकी वजह से इस मामले में वही ढॉक के तीन पांत वाली कहावत पूरी तरह से सिद्ध होती दिख रही है। दरअसल सूबे के सरकारी अमले ने मान लिया है कि सैकड़ों गांवो में नलों से पानी सप्लाई किया जाना संभव ही नहीं है। शायद यही वजह है कि इन गांवों के लिए कोई योजना तक नहीं बनाई जा रही है। इसकी वजह से सरकार की मंशा पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। दरअसल प्रदेश में वैसे तो जलस्रोत विहीन 10 हजार 855 गांव हैं, लेकिन सरकारी अमले ने इनमें से 489 गांवो को लेकर अब तक कोई योजना तक तैयार नहीं की है। यह हाल तब है, जबकि सरकार ने सूबे के सभी गांवों में नलों से पानी सप्लाई करने का लक्ष्य तय किया हुआ है। इसकी वजह है इसी साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होना। फिलहाल विभाग द्वारा प्रदेश के करीब साढ़े दस हजार गांवों में पानी उलब्ध कराने के लिए पाइप लाइन बिछाने सहित अन्य कार्यों के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरु कर दी है। इसी हफ्ते में टेंडर जारी करने का काम पूरा होने की संभावना है। इस मामले में पीएचई के अधिकारियों का कहना है कि वर्ष 2024 तक प्रदेश के अन्य गांवों की तरह इन साढ़े दस हजार गांवों में भी नल से जल की सप्लाई शुरू हो जाएगी। दरअसल, जल जीवन मिशन में प्रदेश में 51 हजार 548 गांवों के 1.20 करोड़ घरों में पाइप लाइन बिछाकर पेयजल की सप्लाई की जाना है। यह काम वर्ष 2024 तक पूरा किए जाने का लक्ष्य है। इनमें से करीब 10 हजार 855 गांव ऐसे हैं, जहां किसी तरह का जलस्रोत नहीं है। इन गांवों में नल से जल की सप्लाई करना बड़ी चुनौती बनी हुई है। इन गांवों में घरों की संख्या 14 लाख 76 हजार है। पीएचई विभाग के अधिकारियों द्वारा जलस्रोत विहीन 10 हजार गांवों में पानी पहुंचाने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया है। इसके तहत जो गांव नर्मदा या फिर उसकी नहरों से 4 से 5 किलोमीटर की दूरी पर है, वहां पानी पहुंचाने के लिए पाइपलाइन डाली जाएगी। जिन गांवों में नए जलस्रोत बनाए गए हैं, वहां से भी पेयजल उपलब्ध कराने की योजना है। इन दस हजार गांवों में से 2894 गांवों के लिए टेंडर जारी कर दिए गए हैं। इन गांवों में घरों की संख्या 5.74 लाख है। इसके अलावा बकाया 6999 गांवों में से 2659 गांवों में मल्टी विलेज स्कीम में और 4340 गांवों में सिंगल विलेज स्कीम में पानी पहुंचाया जाएगा। इन गांवों में घरों की संख्या 7.85 लाख है। इन सभी गांवों के लिए पाइप लाइन बिछाने समेत अन्य कार्यों के लिए 10 मार्च तक टैंडर जारी कर दिए जाएंगे इन 10 हजार 855 गांवों के सर्वे में सिर्फ 489 गांव ऐसे सामने आए, जिनमें पानी सप्लाई संभव नहीं है। इसकी वजह यह है कि ये गांव सुदूर जंगल के अंदर हैं। इस कारण इन गांवों में नल से पानी की सप्लाई के लिए कोई कवायद नहीं की जा रही है। ऐसे ही 473 गांव ऐसे सामने आए हैं, जिनमें अन्य किसी योजना में पहले से ही नल से पानी सप्लाई के लिए कवायद की जा रही है।
पानी सप्लाई के खर्च में वृद्धि
जल जीवन मिशन के तहत हर गांव के हर घर में नल से जल पहुंचाने में अनुमानित खर्च 50 हजार करोड़ रुपए आंका गया था। सरकार एक परिवार में पानी पहुंचाने का खर्च करीब 40 हजार रुपए मानकर चल रही है, लेकिन जलस्रोत विहीन 10 हजार गांवों में यह खर्च 50 हजार रुपए प्रति परिवार तक पहुंच सकता है। मौजूदा औसत लागत के आधार पर इन गांवों में पानी पहुंचाने का खर्च करीब 9,828 करोड़ रुपए होना था, लेकिन बढ़ी लागत से यह खर्च 12,250 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा। यानी 2,422 करोड़ अधिक खर्च करना होगा।

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