आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय हड़पने वालों पर गिरेगी गाज

आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं
  • मध्य प्रदेश के 14 जिलों में हुए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मानदेय घोटाले की जांच अब तक पूरी नहीं …

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश के 14 जिलों में हुए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मानदेय घोटाले की जांच अब तक पूरी नहीं हुई है। 8 अधिकारियों और दो बाबुओं को सस्पेंड किया गया था लेकिन उसके बाद डिपार्टमेंटल इंक्वायरी पूरी नहीं की गई। मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने घोटाले की जांच रिपोर्ट तलब की है। अगले एक-दो दिन में महिला एवं बाल विकास विभाग मुख्यमंत्री सचिवालय को रिपोर्ट सौंप सकता है। इसके बाद घोटाले में शामिल अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर निर्णय होगा।
    गौरतलब है कि राजधानी से लेकर 14 जिलों में हुए इस घोटाले में संबंधितों ने सरकारी खजाने से करीब 26 करोड़ रुपए गलत तरीके से निकाले हैं। इनमें से साढ़े छह करोड़ रुपए राजधानी की आठ बाल विकास परियोजनाओं में कार्यरत कार्यकर्ता-सहायिकाओं के नाम से निकाले गए हैं। ये अधिकारी एवं कर्मचारी वर्ष 2014 से गड़बड़ी कर रहे थे। लगातार मामला उठने के बाद मुख्यमंत्री ने संज्ञान लिया और विभाग के अधिकारियों से घोटाले से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
    अभी तक जांच पूरी नहीं
     तीन साल पहले खुले इस मामले में विभाग के आला अधिकारी अब तक जांच पूरी नहीं कर पाए हैं। बल्कि जिन परियोजना अधिकारियों को राजधानी की आठ बाल विकास परियोजनाओं में गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार पाया गया है। उनसे विभाग के आला अधिकारियों को सहानुभूति रही है। करीब डेढ़ साल पहले इन अधिकारियों को बहाल करने की तैयारी थी। मामले में आठों अधिकारी एवं दो लिपिक निलंबित हैं।
    छोटे कर्मचारियों के खाते में जमा कराते थे राशि
    उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता-सहायिकाओं का मानदेय बाल विकास परियोजनाओं से आहरित करने पर रोक लगाई गई है। मानदेय की जिम्मेदारी जिला परियोजना अधिकारी को सौंपी थी। फिर भी ये अधिकारी ग्लोबल बजट से राशि निकालते रहे और दस्तावेजों में कार्यकर्ता-सहायिकाओं को मानदेय का भुगतान बताते रहे। जबकि मानदेय का भुगतान जिला कार्यालय से किया जा रहा था। आरोपित ये राशि चपरासी, कंप्यूटर आॅपरेटर और दोस्तों के बैंक खातों में जमा करा रहे थे। जिनसे वे बाद में लेते थे। इसके लिए राशि से कुछ फीसदी उन्हें भी दिया जाता था।
    तीन की जांच चल रही है
    राजधानी में मानदेय घोटाले में फंसे आठ बाल विकास परियोजना अधिकारियों में से चार राहुल चंदेल, कीर्ति अग्रवाल, सुमेधा त्रिपाठी और कृष्णा बैरागी की जांच पूरी हो गई है। जबकि अर्चना भटनागर और लिपिक दिलीप जेठानी एवं बीना भदौरिया की जांच अभी चल रही है। घोटाले में शामिल बाल विकास परियोजना अधिकारी मीना मिंज, बबीता मेहरा और नईम खान के मामलों की जांच अभी अधूरी है। दरअसल, संबंधितों ने हाई कोर्ट से स्थगन लिया है। उनका तर्क है कि मामले में उनके खिलाफ एफआईआर या विभागीय कार्रवाई दोनों में से कोई एक कार्रवाई की जाए।

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