
- आगामी एक दिसम्बर से शुरू होने जा रहा है शीतकालीन सत्र
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र विधानसभा को ई-विधान के साथ डिजिटल स्वरूप में संचालित किए जाने के प्रयास विगत मानसून सत्र में हुए थे। लेकिन अब तक टैबलेट खरीदी नहीं हो पाने के कारण आगामी एक दिसम्बर से शुरू होने जा रहे शीतकालीन सत्र में भी यह लागू नहीं हो सकेगा। खरीदी प्रक्रिया चूंकि केन्द्रीय खरीद पोर्टल (जेम) के माध्यम से की जानी है। इसलिए ई-विधान लागू किए जाने की अवधि को लेकर विधानसभा सचिवालय भी असमंजस की स्थिति में है। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के डिजिटल इंडिया अभियान के क्रम में ई-विधान को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसे नेशनल ई-विधान एप्लीकेशन (नेवा) के माध्यम से देशभर की विधानसभाओं में लागू कराया जा रहा है। मप्र विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर के प्रयासों से विधानसभा में में ई-विधान का काम तेजी से शुरू हुआ और विगत जुलाई-अगस्त माह सम्पन्न हुए मानसून सत्र के पहले तक सदन के अंदर ई-विधान की भौतिक तैयारियां पूरी कर ली गईं। इस बीच सदन में विधानसभा अध्यक्ष, सचिव सहित प्रत्येक सदस्य की टेबिल और सदस्यों को घर के लिए देने हेतु खरीदे जाने वाले टैबलेट की निविदा भी आमंत्रित किए जाने एवं इनके निरस्त होने की भी सूचना आई। सचिवालय ने जेम के माध्यम से पुन: निविदा आमंत्रण प्रस्ताव भेजा है।
निविदा में देरी हुई तो बजट सत्र भी अधर में! शीतकालीन सत्र के बाद भी, जैम पर
हैं जल्द निविदा स्वीकृत नहीं होती तो ई-विधान प्रक्रिया बजट सत्र के बादे तक खिंच सकती है। सफल निविदेकार फर्म/कंपनी द्वारा टैबलेट प्रदाय किए जाने के बाद इन्हें सदन में टेबलों पर लगाने, विधानसभा के केन्द्रीय सरबर सहित उसे ऑनलाइन जोडक़र उसका परीक्षण करने एवं सभी विधायकों के ई-विधान संबंधी प्रशिक्षण में भी समय लगेगा।
इनका कहना है
टैबलेट की खरीदी प्रक्रिया जेम के माध्यम से होनी है। विधानसभा की तैयारियां पूरी हैं। हालांकि शीतकालीन सत्र तक ई-विधान लागू होना संभव नहीं है।
– अरविंद शर्मा, प्रमुख सचिव, मप्र विधानसभा
प्रश्नों से सरकार को घेरने की तैयारी में विपक्ष
मप्र विधानसभा के कुल चार बैठकों वाले पांच दिवसीय शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार को घेरने के लिए विपक्ष का कोई ठोस मुद्दा तो सामने नहीं आया है। हालांकि प्रश्नों के माध्यम से सरकार को घेरने की तैयारी शुरू हो गई है। उच्च शिक्षा, खाद्य, कृषि, खेल एवं पंचायत सहित दर्जनभर से अधिक विभागों से संबंधित प्रश्न विगत दो दिनों में लगाए जा चुके हैं। जबकि मुख्यमंत्री के विभागों से संबंधित प्रश्न आगामी दो दिनों में 5 एवं 6 नवम्बर को लगाए जाएंगे। इसके अलावा दो दर्जन से अधिक विभागों से संबंधित प्रश्न 6 एवं 7 नवम्बर को एक-एक दिन क्रमश: ऑनलाइन और ऑफलाइन लगाए जाएंगे। पिछले सत्र की तरह इस बार भी विपक्ष किसान कर्जमाफी, बेरोजगारी, जनजातीय अधिका महिला सुरक्षा, बिजली संकट और भ्रष्टाचार के अलावा ओबीसी आरक्षण जैसे मुद्दों को विशेष रूप से सदन में उठाने की तैयारी में है।
