- बसपा बिगाड़ेगी ग्वालियर -चंबल अंचल में समीकरण
- गौरव चौहान

मप्र ऐसा राज्य है, जहां पर लगातार कांग्रेस व भाजपा के बीच ही मुख्य रूप से चुनावी मुकाबला होता आया है, लेकिन इस बार चुनाव में कई जगहों पर दिग्गजों के लिए तीसरा प्रत्याशी भारी मुश्किल बन गया है। इस तीसरे प्रत्याशी के रूप में कहीं बसपा तो कहीं पर निर्दलीय प्रत्याशी न केवल मैदान में है, बल्कि वह मुख्य मुकाबले में भी भारी पड़ता नजर आ रहा है। इसमें फिर चाहे भाजपा के दिग्गज नेता और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की सीट हो या फिर सांसद रीती पाठक का क्षेत्र। यह बात अलग है कि इस बार भी 230 में से 196 सीटों पर भाजपा-कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला हो रहा है। जबकि करीब 32 सीटें ऐसी हैं, जहां पर तीसरे दल या निर्दलीय प्रतिद्वंदी की वजह से हार जीत के सारे समीकरण पूरी तरह से बिगड़ चुके हैं। इनमें से कई सीटों पर त्रिकोणीय और कुछ चुनिंदा सीटों पर बहुकोणीय मुकाबले की स्थिति बनी हुई है। यही वजह है कि कई सीटों पर बेहद बड़ा सियासी रसूख व धमक रखने वाले नेताओं की चिंताएं मतदान शुरु होने के बाद भी मिटने का नाम नहीं ले रही हैं। इसमें सबसे अहम सीट है मुरैना जिले की दिमनी । इस सीट पर बसपा ने कांग्रेस के अलावा केन्द्रीय मंत्री तोमर को भी मुश्किल में डाल रखा है। इस सीट पर तोमर भाजपा से हैं, जबकि कांग्रेस से मौजूदा विधायक रविंद्र तोमर प्रत्याशी हैं। इन दोनों के मुकाबले के बीच बसपा से बलवीर दंडोतिया ने जातिगत समीकरणों के हिसाब से मुकाबला त्रिकोणीय बना रखा है। बुरहानपुर में भाजपा से पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस, कांग्रेस से निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा मैदान में हैं। इनके समीकरणों को भाजपा से बागी मैदान में उतरे हर्ष चौहान ने उलझा दिया है। वे पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्व. नंदकुमार सिंह चौहान के पुत्र हैं। चौहान की वजह से इस सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प बना हुआ है। इसी तरह से सीधी में भाजपा ने विधायक केदार शुक्ला का टिकट काटकर सांसद रीति पाठक को प्रत्याशी बनाया है। इससे नाराज होकर केदार शुक्ल निर्दलीय मैदान में ताल ठोक रहे हैं। इसकी वजह से पूरे समीकरण ही उलट पुलट हो गए हैं। यहां पर कांग्रेस के बतौर प्रत्याशी ज्ञान सिंह हैं। इसी तरह की सीटों में चाचौड़ा भी शामिल है। इस सीट पर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह कांग्रेस प्रत्याशी हैं। वे अभी विधायक हैं। भाजपा ने प्रियंका मीणा को टिकट दिया है, जिससे नाराज होकर भाजपा की पूर्व विधायक ममता मीणा बागी होकर आम आदमी पार्टी के टिकट पर मैदान में उतर गईं। इसकी वजह से समीकरण ही बदल गए हैं। लगभग यही स्थिति मैहर में भी बनी हुई है। इस सीट पर भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी चुनौती बन गए हैं। नारायण अलग-अलग पार्टी से रहकर भी चुनाव जीत चुके हैं। भाजपा ने उनका टिकट काटकर श्रीकांत चतुर्वेदी को उतारा है तो नारायण विंध्य जनता पार्टी बना चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस से धर्मेश घई मैदान में उतरे हैं।
तीसरे दल भी दिखा रहे ताकत
प्रदेश में कई सीटों पर तीसरे दल भी अपनी ताकत दिखा रहै हैं। इनमें बसपा, आम आदमी पार्टी और सपा शामिल हैं। इन दलों द्वारा ग्वालियर-चंबल, विंध्य और महाकोशल में जोर लगाया गया है। तीनों के स्टार प्रचारकों के ज्यादातर दौरे इन्हीं इलाकों में हुए हैं। आम आदमी पार्टी को अरविंद केजरीवाल को अपनी दस गारंटियों से जीत की उम्मीद है। 2018 में पार्टी ने 208 पर प्रत्याशी उतारे थे। 207 पर जमानत जब्त हो गई थी। पार्टी को केवल 0.66 मत मिले थे। इसी तरह से सपा को बीते चुनाव में एक सीट मिली थी। वह भी बाद में दलबदल कर भाजपाई बन गया था। इस बार सपा ने अपनी ताकत लगाई है। यही वजह है कि पूर्व के चुनावों की अपेक्षा सपा प्रमुख ने कई गुना अधिक सभाएं की हैं। लगभग सही स्थिति इस बार बसपा में भी देखी गई है। ग्वालियर-चंबल, विंध्य और बुंदेलखंड की 40 सीटों पर बसपा की भूमिका हर बार निर्णायक रही है। पार्टी का प्रत्याशी भले ही जीत ना पाए, लेकिन वह कांग्रेस-भाजपा के हार का कारण बनती रही है। बसपा का यहां दलित, ओबीसी के साथ सामान्य वोट पर भी भरोसा है।
इन प्रमुख सीटों पर भी त्रिकोणीय मुकाबला
प्रदेश की जिन सीटों पर त्रिकोणीय या फिर बीुकोणिीय मुकाबले की स्थिति बनी हुई है, उनमें डिंडोरी,जतारा, बिछिया, मुरैना, सेवढ़ा, पथरिया, धार, होशंगाबाद, लहार, अटेर, भिण्ड, पोहरी, देवतालाब, सुमावली, नागौद, परसवाड़ा, सिंगरौली, गुढ़, महाराजपुर, सिवनी मालवा, देपालपुर, गोटेगांव, बहोरीबंद, मुड़वारा, सिहोरा और बरगी शामिल है।
इन सीटों पर भी बिगड़े समीकरण
भोपाल उत्तर से विधायक आरिफ अकील के बेटे आतिफ कांग्रेस प्रत्याशी हैं। इससे नाराज आतिफ के चाचा आमिर निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं। यही नहीं कांग्रेस के एक और बागी नासिर इस्लाम भी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी पूर्व महापौर आलोक शर्मा हैं। लगभग यही स्थिति सागर जिले की बंडा सीट पर कांग्रेस से तरवर सिंह लोधी और भाजपा से वीरेन्द्र सिंह का है। इस सीट पर आम आदमी पार्टी के सुधीर यादव एवं बसपा के रंजोर सिंह बुंदेला ने मैदान में उतरकर मुकाबले को चतुष्कोणीय बना रखा है।