- ताकि सरकार किसी भी दल की हो बना रहे रसूख
- गौरव चौहान

मध्यप्रदेश में ऐसे कई राजनैतिक परिवार हैं, जिनके सदस्य अलग-अलग राजनैतिक दल में पूरी तरह से सक्रिय है। इसकी वजह है इन परिवारों को अपना रसूख बनाए रखने के लिए दोनों हाथों में राजनैतिक लड्डू पसंद हैं। इसका उदाहरण कई दशकों से प्रदेश की राजनीति में बना हुआ है। इसका सबसे नया उदाहरण यादवेंद्र सिंह यादव और उनका परिवार है। अब इस परिवार के एक सदस्य भाजपा में तो स्वयं यादवेंद्र का कांग्रेस में रसूख बन चुका है। अभी भाजपा की सरकार है सो रसूख पुराना है, लेकिन अगर इस साल होने वाले विस चुनाव में कहीं सत्ता बदली तो भी परिवार का रसूख कायम रहेगा। दरअसल यह परिवार अशोकनगर जिले की मुंगावली विधानसभा सीट से विधायक रहे राव देशराज सिंह यादव का है। यादवेंद्र सिंह यादव के कांग्रेस में शामिल होने से पहले तक यह पूरा परिवार पूरी तरह से भाजपाई था।
यादवेंद्र अब कांग्रेसी हो चुके हैं तो उनके भाई अजय यादव अब भी भाजपा सरकार में मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम के उपाध्यक्ष हैं। उन्हें सरकार ने मंत्री पद का दर्जा दे रखा है। दरअसल अपने इलाके में मतदाताओं पर मजबूत पकड़ रखने वाले परिवारों को अपने साथ लाने में राजनैतिक दल भी लगातार लगे रहते हैं। इसका फायदा ऐसे परिवारों को मिलता है। इनमें से ही एक परिवार राव देशराज सिंह यादव का है। स्वयं राव देशराज सिंह मुंगावली विधानसभा सीट से तीन बार भाजपा के विधायक रहे हैं। उनके परिवार के अन्य सदस्य भी न केवल पूर्व में कई अन्य पदों पर निर्वाचित हो चुके हैं, बल्कि अभी भी जिला पंचायत सदस्य हैं। पारिवारिक तौर पर राजनीति में अलग विचारधारा चुनने वालों में बड़ा नाम सतीश सिंह सिकरवार का भी है। गजराज सिंह सिकरवार भाजपा से विधायक रहे हैं। उन्हें ग्वालियर-चंबल इलाके के जनाधार वाले नेताओं में माना जाता है। करीब दो साल पहले राज्य की 28 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव के समय सतीश ने भाजपा का साथ छोड़ दिया था और वे कांग्रेसी हो गए थे। इसके बाद उनके भाई सत्यपाल सिंह सिकरवार उर्फ नीटू को भाजपा ने निष्कासित कर दिया था। नीटू भी भाजपा से पूर्व में विधायक रहे चुके हैं। उनके पिता गजराज सिंह अभी भी भाजपा में ही हैं। कांग्रेस में जाने के बाद उन्हें प्रत्याशी बनाया गया और वे जीतकर विधायक भी बन गए। यही नहीं इसके बाद हुए निकाय चुनावों में उनकी पत्नी शोभा सिंह सिकरवार ग्वालियर की महापौर निर्वाचित हो गईं। यह बात अलग है कि सतीश को कांग्रेस में जाने का श्रेय भाजपा के ही एक नेता को जाता है, जिनकी जिद की वजह से उनका टिकट काट दिया गया था। इसी तरह से एक और नाम है मेहगांव से कांग्रेस विधायक रहे चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी का। राकेश फिलहाल कांग्रेस नेता हैं। उनके भाई चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी भाजपा विधायक रहने के बाद अभी भी पार्टी में प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। राजनीतिक तौर पर चतुर्वेदी परिवार की गिनती भी जनाधार वाले नेताओं में होती है। इसके पहले सबसे बड़ा इस तरह का सिायाी परिवार सिंधिया घराना भी रह चुका है। एक समय ऐसा था, जब श्रीमंत कांग्रेस में थे, जबकि उनकी बुआ यशोधरा राजे सिंधिया और वसुंधरा राजे सिंधिया भाजपा में थीं। अब श्रीमंत भी भाजपा में आ चुके हैं। इससे पहले ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव भी कांग्रेस में रह चुके हैं जबकि उनकी मां राजमाता भाजपा की शीर्ष नेता थीं।
अब तक तीस बढ़े नेता बन चुके हैं भाजपाई
मध्यप्रदेश में बीते तीन साल सियासत के लिए बेहद उठापटक वाले रहे हैं। इस दौरान सबसे बड़ा झटका कांग्रेस को लगा है। इसकी वजह है कांग्रेस के विधायकों द्वारा एक के बाद एक कांगे्रस छोडक़र भाजपा में शामिल होना। इस दौरान भी कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका तब लगा थे जब पार्टी डेढ़ दशक बाद सत्ता में लौटी थी, लेकिन महज पंद्रह महीने बाद दलबदल के चलते सत्ता से बाहर होने पर मजबूर हो गई थी। उस समय श्रीमंत सहित 22 विधायक दस मार्च 2020 को भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद यह क्रम बीते साल तक बना ही रहा। इस तरह से कांग्रेस के करीब तीस से ज्यादा बड़े चेहरे भाजपाई बन चुके हैं। इसी तरह से कुछ भाजपा में भी हुआ है। भाजपा के भी कई बड़े चेहरे पार्टी छोडक़र कांग्रेस में शामिल हुए हैं। इनमें छिंदवाड़ा जिला पंचायत अध्यक्ष संजय पुन्नार , पूर्व सांसद माखन सिंह सोलंकी और मुलताई नगर पालिका की अध्यक्ष नीतू प्रहलाद परमार भाजपा को अलविदा कहकर कांग्रेस में शामिल हो गए। अब तो इस साल विधानसभा के चुनाव होने हैं ऐसे में दलबदल का खेल तेज होना तय माना जा रहा है।
भाजपा में शामिल होने वाले कांग्रेस के नेता
प्रद्युम्न सिंह तोमर, रघुराज सिंह कसाना, कमलेश जाटव, रक्षा संतराम सिरौनिया, जजपाल सिंह जज्जी, इमरती देवी, प्रभुराम चौधरी, तुलसी सिलावट, सुरेश धाकड़, महेंद्र सिंह सिसोदिया, ओपीएस भदौरिया, रणवीर जाटव, गिर्राज दंडोतिया, जसवंत जाटव, गोविंद सिंह राजपूत, हरदीप सिंह डंग, मुन्नालाल गोयल, ब्रिजेंद्र सिंह यादव, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, बिसाहूलाल सिंह, ऐदल सिंह कसाना, मनोज चौधरी, राहुल लोधी, प्रद्युन्न सिंह लोधी, सुमित्रा कास्डेकर, सचिन बिड़ला, पंकज चतुर्वेदी, नरेंद्र सिंह सलूजा और
कांग्रेस में शामिल होने वाले भाजपा के नेता
सतीश सिंह सिकरवार, शोभा सिंह सिकरवार, यादवेंद्र सिंह यादव, माखन सिंह सोलंकी, संजय पुन्नार, नीतू प्रहलाद परमार शामिल हैं। बसपा, सपा और कुछ निर्दलीय तौर पर विधानसभा और पंचायतों का चुनाव जीतने वाले नेता भी भाजपा-कांग्रेस में शामिल हुए हैं।