- पूरी क्षमता से नहीं कर पाते बिजली का उत्पादन
- विनोद उपाध्याय

मप्र के लगभग सभी ताप विद्युत गृह सफेद हाथी साबित हो रहे हैं। यानी इन ताप विद्युत गृहों की कोई न कोई इकाई खराब होने के कारण बंद रहती है। वहीं बूढ़ी हो चुकी इकाईयों का मेंटेनेंस मंहगा पड़ रहा है। इस कारण लगभग सभी ताप विद्युत गृहों में बिजली का उत्पादन क्षमता से आधा भी नहीं हो रहा है। जबकि बिजली उत्पादन का खर्च वहीं पड़ रहा है। इससे सरकार को रोजाना करोड़ों रूपए की चपत लग रही है। गौरतलब है कि प्रदेश में कुल बिजली उत्पादन क्षमता 22,730 मेगावाट है। मप्र जनरेटिंक कंपनी के ताप विद्युत ग्रह से 5400 मेगावाट, मप्र जनरेटिंक कंपनी के जल विद्युत ग्रह से 921.58 मेगावाट,संयुक्त क्षेत्र के जल विद्युत गृह और अन्य से 2484.13 मेगावाट, केंद्रीय क्षेत्र के ताप विद्युत गृह 5251.74 मेगावाट, दामोदर घाटी विकास निगम के ताप विद्युत गृह 3401.5 मेगावाट और नवकरणीय ऊर्जा स्रोत 5171 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। वर्तमान समय में प्रदेश में बिजली की डिमांड 14 से 15 हजार मेगावाट है। इस तरह प्रदेश में 8 से 9 हजार मेगावाट सरप्लास बिजली है।
यह है ताप विद्युत गृहों की स्थिति
सतपुड़ा ताप विद्युत गृह की बिजली उत्पादन क्षमता करीब 1200 मेगावॉट है। यहां बिजली का उत्पादन सिर्फ 428 मेगावॉट हो रहा है। इस विद्युत केंद्र में भी आधे से ज्यादा बिजली उत्पादन ठप है। संजय गांधी ताप विद्युत गृह की स्थिति ज्यादा खराब है। अधिकारियों की लापरवाही से यहां की एक यूनिट का बायलर ट्यूब पूरी तरह से जल गया है। इससे इस यूनिट को 60 दिन के लिए बंद कर दिया है। इस यूनिट को सुधरने में ही करोड़ों रुपए का ही खर्च आएगा। एक यूनिट यहां पहले से ही बंद है। संजय गांधी ताप विद्युत गृह की बिजली उत्पादन क्षमता 1340 मेगावॉट है। इस ताप विद्युत केंद्र से शाम की स्थिति में बिजली उत्पादन 742 मेगावॉट हो रहा है। श्री सिंगाजी ताप विद्युत गृह की 660 मेगावॉट की 3 नंबर यूनिट बंद है। इससे बिजली उत्पादन नहीं हो पा रहा है। वहीं इतने ही उत्पादन क्षमता की दूसरी यूनिट से 378 मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो रहा है। संजय गांधी ताप विद्युत गृह के चीफ इंजीनियर शशिकांत मालवीय का कहना है कि एक यूनिट बायलर ट्यूब फट जाने से से 60 दिन के लिए बंद है। दूसरी यूनिट 7 सितंबर को चालू हो जाएगी। अभी बिजली की ज्यादा डिमांड नही है। इससे यूनिट बंद होने से ज्यादा दिक्कत नहीं है।
बिजली उत्पादन में बड़े पैमाने पर लापरवाही
जानकारी के अनुसार प्रदेश के ताप विद्युत गृहों से बिजली उत्पादन में बड़े पैमाने पर लापरवाही की जा रही है। बिजली उत्पादन यूनिटें आए दिन खराब हो जाती हैं। फिर इन यूनिट को सुधारने में महीनों लग जाते हैं। इससे करोड़ों रुपए का नुकसान बिजली कंपनियों को होता है। कुछ दिन पहले संजय गांधी ताप विद्युत गृह की एक यूनिट बायलर ट्यूब में खराबी आ जाने से बंद हो गई है। इससे इस यूनिट से बिजली उत्पादन ठप हो गया है। संजय गांधी ताप विद्युत गृह की एक और यूनिट पहले से ही बंद पड़ी है। इस तरह से अकेले संजय गांधी ताप विद्युत गृह से ही रोजाना 1 करोड़ यूनिट बिजली उत्पादन कम हो गया है। इससे हर दिन कंपनी को 5 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। इसी तरह सतपुड़ा, श्री सिंगाजी और अमरकंटक ताप विद्युत गृहों से भी पूरी क्षमता से बिजली का उत्पादन नहीं हो पा रहा है। प्रदेश के ताप विद्युत गृहों से बिजली उत्पादन अमरकंटक ताप विद्युत गृह अमरकंटक ताप विद्युत गृह की बिजली उत्पादन क्षमता 210 मेगावॉट है। इस यूनिट से अभी बिजली उत्पादन बंद है।
रोजाना करोड़ों का नुकसान
प्रदेश बिजली के उत्पादन में आत्मनिर्भर है। लेकिन प्रदेश के ताप विद्युत गृह सरकार के लिए परेशानी का सबब बने गए हैं। प्रदेश के ताप विद्युत गृहों से 50 फीसदी से कम बिजली उत्पादन हो रहा है। इससे बिजली कंपनी को रोजाना करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है। संजय गांधी ताप विद्युत गृह की दो यूनिट पिछले कई दिनों से बंद हैं। प्रदेश के सभी ताप विद्युत गृहों की बिजली उत्पादन क्षमता 5400 मेगावॉट है। इनसे 1783 मेगावॉट बिजली का उत्पादन हुआ। ग्रिड में बिजली 1667 मेगावॉट पहुंची। यानी उत्पादन 50 फीसदी से कम हो गया है। इससे पॉवर जनरेशन कंपनी को करोड़ों रुपए का घाटा हो रहा है।