शीतकालीन सत्र में विधायकों पर रहेगी सख्ती

विधानसभा
  • सदन में जनहित के विषयों पर कराई जाएगी ज्यादा चर्चा

    भोपाल/हरीश फतेह चंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र विधानसभा के लगभग हर सत्र में सदन का कामकाज लगातार प्रभावित हो रहा है। इसको देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने 20 दिसंबर से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र में ऐसी व्यवस्था शुरू करने जा रहे हैं ताकि सदन में जनहित के मुद्दों पर अधिक से अधिक काम हो सके। इसके लिए विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विधायकों के लिए आचार संहिता लागू की जा रही है।
    जानकारी के अनुसार, विधानसभा अध्यक्ष की पहल पर यह प्रयास शुरू किया जा रहा है कि सदन में अधिक से अधिक काम हो सके। इसके लिए विधायकों को सवाल दोहराने की अनुमति नहीं होगी। चाहें तो पूरक प्रश्न पूछ सकेंगे। इसके लिए विधानसभा सचिवालय ने तैयारी शुरू कर दी है। गिरीश गौतम का कहना है कि हमारा प्रयास है कि सदन में जनहित के विषयों पर ज्यादा चर्चा हो, इसलिए तय किया है कि विधायक लिखित सवाल न दोहराएं। उससे जुड़े पूरक प्रश्न पूछ लें। इससे समय बचेगा। बचे हुए समय में अन्य विधायकों को सवाल पूछने का मौका मिलेगा।

    प्रश्नकाल में सभी 25 सवालों पर होगी चर्चा
    विधानसभा के शीतकालीन सत्र में प्रयास है कि प्रश्नकाल में ज्यादा से ज्यादा सवालों को लिया जाए और पर चर्चा हो सके। जनहित से जुड़े सवालों के जवाब मिल सके। एक घंटे के प्रश्नकाल में चर्चा के लिए 25 सवालों को शामिल किया जाता है। चयन लॉटरी के जरिए होता है। सवालों पर लंबी चर्चा या हंगामा, शोर-शराबा के कारण सवाल अधूरे रह जाते हैं, इसलिए विधानसभा अध्यक्ष टाइम मैनेजमेंट में जुटे हैं। ऐसे में तय किया गया है कि विधायक लिखित सवाल न दोहराएं, क्योंकि ये सवाल तो पहले से ही संबंधित विभाग के मंत्री के पास मौजूद हैं। जवाब भी लिखित में है। यदि कोई विधायक इसी विषय से जुड़ा सवाल पूछना चाहता है तो आजादी होगी, लेकिन पूरक प्रश्न ज्यादा नहीं होगा इससे समय बचेगा और इस बचे हुए समय में शेष सवालों को शामिल किया जा सकेगा। प्रश्नकाल में ज्यादा से ज्यादा विधायकों के सवाल शामिल किए जा सकेंगे।

    अधिकांश सवालों पर नहीं हो पाती चर्चा
    पिछले कुछ साल से विधानसभा में हंगामें के कारण कामकाज प्रभावित हो रहे हैं। प्रश्नकाल के दौरान आमतौर पर 25 में से 15-16 सवालों पर चर्चा हो पाती है। ऐसे मौके बहुत कम आते हैं जब सभी 25 सवाल पूछे जा सके हों, जब-जब ऐसा हुआ तब-तब संसदीय कार्य मंत्री या फिर अन्य विधायकों की ओर से आसंदी को धन्यवाद दिया गया। सदन में कई बार हंगामा और शोर- शराबा के चलते महत्वपूर्ण विधेयक बिना चर्चा के पारित हो गए। राज्य का बजट भी कई बार बिना चर्चा के पारित हो गया। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम का कहना है कि निर्धारित किए गए दिन में प्रश्नकाल के दौरान सिर्फ नए विधायकों को सवाल पूछने का मौका दिया जाएगा। संशोधित नियम के तहत यदि किसी सदस्य ने विधायक के तौर पर सवाल पूछे और इस बीच वह मंत्री या विधानसभा अध्यक्ष या उपाध्यक्ष बन जाता है तो उसके लिखित सवाल निरस्त कर दिए जाएंगे या निरस्त माना जाएगा। सरकार की ओर से इनके जवाब भी नहीं दिए जाएंगे।

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