नेशनल पार्क में भोजन का होगा भरपूर बंदोबस्त

नेशनल पार्क
  • चीतों को कूनो के बाहर जाने से रोकने की कवायद

विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। देश में चीतों के घर कूनो नेशनल पार्क से शिकार के लिए बार-बार ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचने वाले चीतों को अब पार्क में ही भरपूर शिकार का बंदोबस्त किया जाएगा। इसके लिए अब प्रदेश के अन्य क्षेत्रों से नीलगाय और काले हिरणों को हेलीकॉप्टर की मदद से हांका लगाकर कंटेनर में भरा जाएगा और कूनो नेशनल पार्क पहुंचाया जाएगा। अफ्रीका के विशेषज्ञों की टीम इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम देगी। देश में ऐसा पहली बार होगा। दरअसल, चीतों के रहवास कूनो में इन दिनों शाकाहारी वन्यप्राणियों की कमी होने से चीते आए दिन आबादी क्षेत्र में घुस रहे हैं। इससे चीतों की सुरक्षा पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं। इसे देखते हुए अब आगर मालवा से 100 नीलगाय एवं 400 काले हिरण यहां लाए जाएंगे। इन्हें पकडऩे में हेलीकाप्टर की सहायता भी ली जाएगी। हेलीकाप्टर से हांका लगाया जाएगा, क्योंकि उसकी आवाज से हिरण व नीलगाय भागते हैं। इस तरह इन्हें एक दिशा में हांकते हुए छोटे बाड़े में एकत्र कर लिया जाएगा। इसके बाद इन्हें सड़क मार्ग से कूनो में चीतों के आहार यानि प्रे-बेस के लिए पहुंचाया जाएगा।  बता दें कि वन विभाग आगर-मालवा क्षेत्र में इसके लिए अभियान चलाने वाला है। वहां काले हिरण और नीलगाय की संख्या बहुत अधिक हो चुकी है। इन दोनों वन्यजीवों की वजह से इस जिले के किसान भी बहुत परेशान हैं। वे फसलों को बहुत नुकसान पहुंचा रहे हैं। इससे जहां किसानों को राहत मिलेगी, वहीं चीतों के लिए भोजन सुलभ हो जाएगा।  
बोमा तकनीक का उपयोग
बोमा तकनीक से हिरण और नील गाय स्थानांतरित किए जाएंगे। हेलीकाप्टर से वन्यजीवों को हांका लगाया जाएगा और बोमा तकनीक से बने एक बाड़े में उन्हें एकत्र किया जाएगा। बाद में सडक़ मार्ग से इन्हें कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा जाएगा।  बोमा तकनीकी में वन्यजीव की ना तो हैंड हैंडलिंग की जाती है और ना ही ट्रैक्युलाइज किया जाता है। वन्यजीव को सिर्फ पकडक़र एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित किया जाता है। इससे उन्हें किसी भी तरह का कोई खतरा नहीं होता। हाथ लगाने और बेहोश करने की प्रक्रिया की वजह से उनकी जान जाने का खतरा बना रहता है। मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक भोपाल सुभरंजन सेन का कहना है कि आगर मालवा क्षेत्र में नील गाय और काले हिरण अधिक संख्या में हैं। पालपुर कूनो स्थानांतरित किया जाएगा। कुछ हिरणों को गांधी सागर अभयारण्य में भी स्थानांतरित करने की योजना है। द. अफ्रीका के वन्यजीव विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी। दक्षिण अफ्रीका में काले हिरण पाए जाते हैं। उन्हें हेलीकाप्टर से वन्यजीवों को स्थानांतरित करने का लंबा अनुभव है।
राबिंसन हेलीकाप्टर किराए पर लेगा विभाग
हिरण व नीलगाय को हांका लगाने के लिए वन विभाग तीन लाख रुपये प्रतिघंटा की दर से राबिंसन हेलीकाप्टर किराए पर लेगा। विभाग ने हेलीकाप्टर से हांका लगाने के लिए 50 घंटे के किराये का आकलन किया है।  वन विभाग ने विमानन विभाग से यह हेलीकाप्टर उपलब्ध कराने का  आग्रह किया था। इस पर विमानन विभाग ने निविदा जारी की थी। निविदा पर नई दिल्ली की कंपनी मेसर्स जेट सर्व एयरलाइन प्रालि ने तीन लाख रुपये प्रति घंटा का आफर दिया है। अब इसी दर को स्वीकृत कर कंपनी से विमानन विभाग ने अनुबंध कर लिया है। यह दर वन विभाग को भेजी जाएगी। किराये की राशि का भुगतान वन विभाग ही करेगा। राबिसन हेलीकाप्टर संचालन में आसान है। रखरखाव की सामर्थ्य, असाधारण सुरक्षा, और प्रति घंटे सबसे कम लागत पर काम पूरा करने की क्षमता रखता है। विश्व में राबिंसन हेलीकाप्टर का उपयोग वन्यजीवों के प्रबंधन एवं सामूहिक कैप्चर के लिए किया जाता है। राबिसन अमेरिका की एक हेलीकाप्टर निर्माता कंपनी है।

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