तबादलों पर नहीं पड़ेगा प्रतिबंध का कोई असर

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आयोग के निर्देश पर हटाना ही होगा… अफसरों व कर्मचारियों को, 31 जुलाई की समय सीमा तय

अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार तबादलों पर से प्रतिबंध हटाए या नहीं , लेकिन तबादले तो होना ही है। तबादलों को लेकर राज्य सरकार की मजबूरी है उन अफसरों को हटाना जो एक ही जगह पर बीते तीन सालों से पदस्थ हैं। इसकी वजह है निर्वाचन आयोग का वह आदेश जिसमें अगले दो माह में उन्हें हटाने को कहा गया है। यानी की यह दो माह कर्मचारियों के लिए पदस्थापना को लेकर बेहद महत्वपूर्ण रहने वाले हैं। इसकी वजह से अब यह तय माना जा रहा है कि सरकार भी जल्द ही तबादलों पर लगा प्रतिबंध हटाने की तैयारी कर रही है। वजह भी है, अगर प्रतिबंध नहीं हटाया जाता है तो फिर कार्यकर्ताओं की मांग के हिसाब से नए सिरे से पदस्थापनाएं नहीं कर सकेंगे, जिसकी वजह से कार्यकर्ताओं और नेताओं में नाराजगी और बढ़ेगी। गौरतलब है कि बीते लंबे समय से मंत्रियों द्वारा भी चुनावी साल होने की वजतह से प्रदेश में तबादलों पर से प्रतिबंध हटाने की मांग मुख्यमंत्री से लगातार की जा रही है।
आयोग के निर्देश के बाद अब प्रदेश में नायब तहसीलदार से लेकर संभाग आयुक्त तक और सब इंस्पेक्टर से लेकर रेंज में आईजी के रूप में पदस्थ एडीजी स्तर तक के सभी अफसरों की नए सिर से पदस्थापना की जाएंगी। चुनाव आयोग के आदेश पर चुनाव कार्य से सीधा संबंध रखने वाले आईएएस, आईपीएस राज्य प्रशासनिक और राज्य पुलिस सेवा के अफसरों के थोक तबादले इसी माह से राज्य सरकार करेगी। भारत निर्वाचन आयोग ने मुख्य सचिव और मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से चुनाव कार्य से सीधा संबंध रखने वाले अधिकारियों के तबादले 31 जुलाई तक करने के बाद रिपोर्ट देने को कहा है। इसके बाद चुनाव आयोग अगले महीने में चुनाव संबंधी गतिविधियों में वृद्वि करेगी। दरअसल प्रदेश में अब विधानसभा चुनाव के लिए महज पांच माह का ही समय रह गया है। इस बार माना जा रहा है कि  अगले दो माह में करीब 50 हजार अफसरों व कर्मचारियों के तबादले किए जाएंगे। गौरतलब है कि पिछले साल 17 सितंबर से 5 अक्टूबर तब तबादले हुए थे। जबकि 2021 में 1 जुलाई से 31 जुलाई के बीच तबादलों पर से बैन हटाया गया था।
तैयार हो चुकी है तबादला नीति
तबादलों के प्रस्तावित ड्राफ्ट के मुताबिक, राज्य संवर्ग के अंतर्गत विभागाध्यक्ष तथा उपक्रमों में पदस्थ प्रथम श्रेणी के अफसर का तबादला समन्वय में मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद होगा। विभागों में पदस्थ प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी अधिकारियों के ट्रांसफर विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव जारी करेंगे। जिला संवर्ग में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों का ट्रांसफर प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के बाद होगा। इनके आदेश विभागीय जिला अधिकारी जारी करेंगे। यदि विभाग अपनी आवश्यकताओं के संबंध में अलग से तबादला नीति बनाना चाहेंगे तो उन्हें सामान्य प्रशासन विभाग से अनुमति लेनी होगी। फिलहाल स्कूल शिक्षा विभाग और गृह विभाग में तबादलों के लिए पुलिस स्थापना बोर्ड बना हुआ है। यहां तबादलों की ऑन लाइन व्यवस्था ही रहेगी।
मंत्री भी बना रहे लगातार दबाव  
मंत्री भी चुनावी साल में ताबदले चाहते हैं। यही वजह है कि उनके द्वारा लगातार प्रतिबंध हटाने को लेकर दबाव बनाया जा रहा है। हाल ही में हुई अनौपचारिक बैठक में एक दर्जन मंत्रियों द्वारा कम समय के लिए तबादलों से प्रतिबंध हटाए जाने की मांग की जा चुकी है। मुख्यमंत्री ने इस पर विचार करने का आश्वासन भी दिया था। पिछली बार भी कैबिनेट बैठक के बाद अनौपचारिक चर्चा में ही मंत्रियों ने मुख्यमंत्री के समक्ष जरूरी तबादलों के लिए प्रतिबंध हटाने की मांग की थी। मांग करने वालों में मंत्री अरविंद भदौरिया, गोविंद सिंह राजपूत, गोपाल भार्गव, महेंद्र सिंह सिसोदिया, कमल पटेल, भूपेंद्र सिंह,  हरदीप सिंह डंग सहित एक दर्जन मंत्रियों शामिल थे। मंत्रियों का कहना था कि प्रभारी मंत्रियों को जिलों में और विभागीय मंत्रियों के विभागों में विचारधारा से जुड़े परिवारों की जरूरत के आधार पर तबादले किए जाने चाहिए मंत्रियों का कहना था कि भले ही कम समय के लिए प्रतिबंध खुले , लेकिन खुलना चाहिए।
गृह जिले में नहीं रह पाएगा कोई कर्मचारी
मध्य प्रदेश में नई विधानसभा के गठन की कार्यवाही 6 जनवरी 2024 तक करनी है। अधिकारियों की पदस्थापना को लेकर  दिए निर्देश में कहा गया है कि कोई भी महिला या पुरुष अधिकारी गृह जिले में पदस्थ नहीं होना चाहिए। यदि कोई अधिकारी  30 जनवरी 2024 की स्थिति में पिछले चार सालों में 3 साल की अवधि जिले में पूरा करता है तो उसे स्थानांतरित कर दिया जाए। इसमें अधिकारी के प्रमोशन के बाद एक जिले में उसकी पदस्थापना के 3 साल भी जोड़े जाएंगे।
यह अधिकारी आएंगे दायरे में
चुनाव आयोग ने कहा कि यह निर्देश ना सिर्फ जिला निर्वाचन अधिकारी, उप जिला निर्वाचन अधिकारी, रिटर्निंग अधिकारी, सहायक रिटर्निग अधिकारी पर लागू होगा बल्कि सभी एसडीएम, एडीएम ,डिप्टी कलेक्टर ,संयुक्त कलेक्टर ,तहसीलदार ,ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर या चुनाव से सीधे संबंध रखने वाले अधिकारी भी इसके दायरे में आएंगे। आयोग ने पुलिस विभाग के रेंज आईजी, डीआईजी, एसएएफ के कमांडेंट, एसएसपी, एसपी, एडिशनल एसपी, सीएसपी, डीएसपी, एसडीओपी, थाना प्रभारी, सब इंस्पेक्टर, रक्षित निरीक्षक, सारजेंट मेजर या समकक्ष पदों पर कार्यरत अधिकारी जिनका चुनाव से सीधा संबंध रहेगा, उनके लिए भी यह निर्देश लागू किए हैं। सब इंस्पेक्टर गृह जिले में पदस्थ नहीं रहेंगे। सब इंस्पेक्टर 3 साल की अवधि पूरी करने पर दूसरे पुलिस सब डिवीजन में ट्रांसफर किए जाएंगे।

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