एक साल में 38 से 108 मामले हुए हेट स्पीच के

हेट स्पीच
  • प्रदेश में जहरीली जुबान बोलने का बढ़ रहा है चलन

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। शांति का टापू कहे जाने वाले मप्र में भी अब अब लोगों में जहरीली जुबान बोलने का चलन बढ़ता जा रहा है। यह चलन प्रदेश के लोगों में किस कदर से बढ़ रहा है इससे समझा जा सकता है कि एक साल में ही इस तरह के मामले पुलिस रिकॉर्ड में तीन गुना तक बढ़ गए हैं।
इसे प्रदेश की शांत फिजा के लिए अच्छा नहीं माना जा रहा है। यह खुलासा तो बीते साल के आंकड़ों से हुआ है, जबकि अभी इस साल के आंकड़ें आना शेष है। हाल ही में जारी नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट में बताया गया है कि, मप्र में वर्ष 2021 में हेट स्पीच धारा-153 ए, के तहत दर्ज अपराधों की संख्या मात्र 38 थी,जो एक साल में तीन गुना तेजी से बढक़र 108 के आंकड़ें तक पहुंच गए। इसके पीछे की बड़ी वजह बताई जा रही है धर्म, जाति, भाषा, समुदाय के आधार पर समूहों में दुश्मनी में वृद्धि होना। इस मामले में कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह आंकड़ें चिंताजनक हैं। इस तरह की भाषा पर  लगाम लगाने के लिए सख्त कार्रवाई और प्रभावी कानून की अब बेहद जरूरत है। दरअसल भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153 धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और सद्भाव बिगाड़ने के मामले में लगाई जाती है।
इस तरह के मामले सामने आने के बाद आरोपियों के दोषी साबित होने पर तीन साल तक के कारावास, जुर्माना, या दोनों का प्रावधान है। इसे 1898 में अधिनियमित किया गया था।
उत्तर प्रदेश भी नहीं है पीछे
मध्यप्रदेश में भले ही ऐसे अपराधों की संख्या में तीन गुना वृद्धि हुई हो, लेकिन सांप्रदायिक घटनाओं के लिए बदनाम यूपी में यह आंकड़े साल 2021 के मुकाबले 2022 में दोगुने हुए हैं। क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में 2021 में 108 केस दर्ज हुए, जबकि 2022 में 217 केस सामने आए। महाराष्ट्र में 75 से 178 हुए। राजस्थान में 83 से 191 हुए। गुजरात में 11 से 40 अपराधों तक वृद्धि हुई।
देश में भी हुई वृद्धि
एमपी ही नहीं देश में भी हेड स्पीच के मामलों में 31.25 फीसदी की दर से वृद्धि हुई है। देशभर में साल 2022 में करीब 1500 से अधिक मामले दर्ज हुए, जो वर्ष 2021 की तुलना में 31.25 प्रतिशत अधिक हैं। हालांकि साल 2020 के मुकाबले साल 2022 की तुलना में 15.57 प्रतिशत इस तरह के अपराध कम हैं।
चुनावी साल में अधिक होती है वृद्धि  
दिल्ली में 2022 में 26, 2021 में 17 और 2020 में 36 मामले आईपीसी 153-ए के तहत दर्ज हुए। जम्मू और कश्मीर में 2022 में 16, 2021 में 28 और 2020 में 22 ऐसे अपराध हुए। असम ने 2020 में धारा 153 ए के तहत 147 आपराधिक मामले दर्ज किए थे, लेकिन 2021 में इस तरह के 75 मामले दर्ज किए गए। वहीं 2022 में यह आंकड़ा घटकर 44 हो गया।

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