विधानसभा में नहीं हुई जनता की बात, माननीय भी हालाकान

विधानसभा
  • विस की घटती महिमा को लेकर स्पीकर भी चिंतित

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। देश की संसद और राज्यों के विधानमंडलों में अगर जनता से जुड़े मुद्दे पर विचार-विमर्श करने, समस्याओं का हल निकालने और जनहित में नीतियां बनाने के क्रम में जनप्रतिनिधियों के बीच तीखी बहसें भी होती हैं, तो यह स्वाभाविक और जरूरी है। लेकिन मप्र विधानसभा में पिछले कई सत्र से यह देखने को मिल रहा है ,कि गैर जरूरी मुद्दे को लकीर बनाकर सत्ता पक्ष और विपक्ष उसी को पीटने में लगे रहते हैं और दो-चार दिन में ही सत्र का समापन कर दिया जाता है। ऐसा ही कुछ मानसून सत्र में भी देखने को मिला। पांच दिवसीय सत्र तीन दिन में पांच घंटे ही चला। इस दौरान पोषण आहार घोटाले को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे। जनता से संबंधित मुद्दों और समस्याओं पर कोई चर्चा नहीं हो पाई। अब सत्र समाप्त होने के बाद माननीयों को मलाल है की सदन में वे जनता की आवाज नहीं उठा पाए।
विधायकों के अलावा विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम भी विधानसभा में जनता की बात नहीं होने पर दुखी हैं। हर बार की तरह इस बार भी विधानसभा का मानसून सत्र सिर्फ खानापूर्ति तक सीमित रहा। छोटे होते सत्र और जनहित के मुद्दों पर सदन में चर्चा नहीं होने से विधानसभा की गरिमा भी घट रही है। अब तंत्र में विधानसभा सत्र का पहले जैसा खौफ नहीं रहा है। इसको लेकर विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि विधानसभा चलने की टाइमिंग फिक्स होनी चाहिए। विधानसभा रूपी मंदिर का पुजारी यानि विधायक गड़बड़ होंगे, तो मंदिर पर तो आंच आएगी ही।
एक-दूसरे पर मढ़ रहे दोष
मानसून सत्र समाप्त होने के बाद अब माननीय इस बात पर अफसोस जता रहे हैं की सदन में वे अपने क्षेत्र की जनता की आवाज नहीं उठा सके। सभी विधायक चाहते हैं कि उनका सवाल चर्चा में आए। विपक्ष के विधायक सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं तो, सत्ता पक्ष के विधायक विपक्ष को घेर रहे हैं। खरगोन से कांग्रेस विधायक रवि रमेशचंद्र जोशी ने नांगलवाड़ी लिफ्ट इरिगेशन योजना और बिस्टान लिफ्ट इरिगेशन योजना के कार्य पूर्ण कब होगा का मुद्दा उठाया था। वे कहते हैं कि हम क्षेत्र की आवाज उठाने के लिए ही सदन में आते हैं। लेकिन सत्ता पक्ष के लोग नहीं चाहते कि हमारे काम हों। वहीं दमोह विधायक अजय कुमार टंडन ने दमोह जिले में जल जीवन मिशन के अंतर्गत कितने गांवों में घर-घर नल कनेक्शन हुए। कितने काम वास्तव में अधूरे हैं का मुद्दा उठाया था। उनका कहना है कि प्रश्न का जवाब लेने के लिए बहुत तैयारी करना पड़ती है। इस बार तो सत्ता पक्ष ने ही सदन नहीं चलने के कारण पैदा किए। सरदारपुर विधायक प्रताप ग्रेवाल ने आदिवासी से गैर आदिवासी को जमीन बेचने के नियम क्या हैं? इंदौर, उज्जैन में 8000 आदिवासी भूमिहीन हो गए का मुद्दा उठाया था। उनका कहना है कि हमारे सवाल से बड़े सवाल पोषण आहार, यूरिया, लहसुन के भाव नहीं मिलना थे। अगले सत्र में फिर प्रश्न लगाएंगे। डबरा विधायक सुरेश राजे ने सवाल पूछा था कि ग्राम जिगनिया- बारकरी से बिलौआ तक कृषि क्षेत्र के खेतों में सिंचाई हेतु पाइप लाइन का प्रोजेक्ट कब पूरा होगा?  उनका कहना है कि सत्ता पक्ष के उमाकांत शर्मा ने सदन को चलने ही नहीं दिया। कोई विधायक क्यों चाहेगा कि उनके सवाल का उत्तर नहीं मिले। धार विधायक नीना वर्मा का कहना है कि हमने मुद्दा उठाया था कि मांडव उद्वहन सिंचाई योजना चार दशक से मंजूरी के लिए लंबित पड़ी है। इससे धार, बड़नगर, देपालपुर और आसपास के किसानों का बड़ा नुकसान हो रहा है। 4 दशक से यह मामला लंबित है, बड़े सौभाग्य से लॉटरी में सवाल लगा लेकिन, हंगामे के चलते इस पर सीएम और मंत्री से सदन में चर्चा नहीं कर पाई। अपनी बात रखने का मौका नहीं मिल पाया।
इस संबंध में विपक्षी सदस्यों को भी विचार करना चाहिए। मंदसौर विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने मुद्दा उठाया  था कि कोविड के दौरान जिले में बंद हुए निजी स्कूलों के कारण आरटीई के तहत जिन बच्चों का एडमिशन मिला था व, शिक्षा से वंचित हो गए। ऐसे बच्चों की संख्या मंदसौर में ही 146 है, सरकार उनके लिए क्या सोच रही है?  उनका कहना है कि मुझे बड़ी वेदना है कि तारांकित प्रश्न किस्मत से ही चयनित होते हैं और गरीब बच्चों की शिक्षा के अधिकार से जुड़े व्यापक जनहित के मुद्दे पर सदन में चर्चा नहीं हो पाई। मेरा मानना है कि सदन में सीएम, स्पीकर और सभी के सामने जब समस्या के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा होती है तो उसका समाधान निकलता है। आवेदन लगाने से वह बात नहीं बनती। सिरोंज विधायक उमाकांत शर्मा लटेरी विकासखंड में मनरेगा के तहत जो गड़बड़िय़ां हुई, उसमें सरपंचों, अधिकारियों और तकनीकी विशेषज्ञों पर क्या कार्रवाई हुई का मद्दा उठाया था।  उनका कहना है कि बड़ी मुश्किल से तो क्षेत्र का मुद्दा सदन की चर्चा में आया लेकिन विभागीय मंत्री से रूबरू चर्चा नहीं हो पाई। विभाग सवाल के संदर्भ में रिकॉर्ड नहीं दे पा रहा। विपक्षी सदस्यों के हंगामे के चलते विकास से जुड़े मुद्दों पर सरकार का ध्यान नहीं दिला पाया। इसका मुझे काफी दुख है।
कागजी साबित हो रहे नवाचार
मानसून सत्र समाप्त होने के बाद माननीय इस बात पर चिंता जता रहे हैं कि सदन में वे जनता की आवाज नहीं उठा सके। दरअसल, विधानसभा सत्र के दौरान हर विधायक चाहता है कि उसका सवाल चर्चा में आए। माननीय अपने क्षेत्र में जाएं तो लोगों को बता सकें कि उन्होंने आपकी आवाज सदन में उठाई है। विपक्ष के सदस्यों को ज्यादा उम्मीद रहती है कि सरकार को घेरने से विकास के कार्य संभव होंगे या फिर भ्रष्टाचार के मामले में दोषियों पर कार्रवाई के निर्देश होंगे। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम भी नवाचार कर रहे हैं जिससे कि हर विधायक को अपनी बात रखने का मौका मिले। कभी महिलाओं को ही प्रश्न पूछने का मौका दिया जा रहा है तो कभी पहली बार के विधायकों को आगे लाया जा रहा है। बावजूद, लगभग हर सत्र के दौरान हंगामा और नारेबाजी का ही बोलबाला रहा। सदन की कार्यवाही के दौरान हंगामे के अलावा कुछ नहीं हो रहा है। यानी जितने भी नवाचार किए जा रहे हैं वे कागजी साबित हो रहे हैं।
पवित्रता बचाने की जिम्मेदारी सबकी
स्पीकर गिरीश गौतम का कहना है कि जनता हमें जिस अपेक्षा से चुनकर भेजती है। कोई विधायक ये नहीं कहता कि हम विधानसभा का अपमान करेंगे। हर विधायक ये कहता है कि विधानसभा लोकतंत्र का मंदिर है, तो इस मंदिर की रक्षा कौन करेगा। विधायक इस मंदिर का पुजारी है, जब पुजारी गड़बड़ होगा, तो मंदिर पर आंच तो आएगी। इस मंदिर के प्रति लोगों की आस्था खत्म होगी। किसी मंदिर का पुजारी ठीक नहीं होगा, तो कौन उस मंदिर में दर्शन करने जाएगा। हम सबकी जिम्मेदारी है कि जिस पवित्रता के साथ संकल्प लेते हैं, उसकी पवित्रता बचाने की जिम्मेदारी सबकी है।

Related Articles