
– कारखानों में काम आने वाले मेथेनॉल और औद्योगिक एल्कोहल से बन रही जहरीली शराब!
– 64 से अधिक लोगों की मौत के बाद भी कलेक्टरों ने ड्रग स्टॉक की जांच करने सर्च वारंट जारी नहीं किया
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। दवा कंपनियों और अन्य कारखानों में उपयोग होने वाले रसायन मेथेनॉल और औद्योगिक अल्कोहल (स्पिरिट) के दुरुपयोग से जिलों के कलेक्टर पूरी तरह अनभिज्ञ हैं। इन रासायनिक पदार्थों से बनी जहरीली शराब ने प्रदेश में 64 से अधिक लोगों की जान ले ली है। जांच में पाया गया है कि जानलेवा शराब में घातक रासायनिक द्रव्य मेथेनॉल पाया गया था। मेथेनॉल और स्पिरिट यह दोनों केमिकल मानव स्वास्थ्य के लिए घातक होने के बावजूद नशे का कारोबार करने वाले इससे शराब बनाने की हिमाकत कर रहे हैं। जहरीली और नकली शराब से होने वाली मौतों के बावजूद मेथेनॉल और स्पिरिट के दुरुपयोग पर नकेल नहीं कसी गई है।
गौरतलब है कि मुरैना समेत प्रदेश में एक साल के भीतर जहरीली शराब 64 लोगों को जान ले चुकी है। जांच में जहरीले मिथेनाल और औद्योगिक एल्कोहल (स्पिरिट)के इस्तेमाल की बात सामने आ चुकी है। लेकिन इसी तरह से अवैध शराब का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है।
जहरीले रसायन से बनी शराब
विधानसभा में वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने जो जानकारी दी, उसमें उज्जैन में 14 अक्टूबर को शराब पीने से 12 लोगों की मौत की वजह जहरीला रसायन ही माना गया। बताया गया कि इन लोगों ने नकली शराब नहीं पी, बल्कि जहरीला रसायन पीया था। मुरैना और भिंड में भी इसी साल जनवरी में नकली शराब से 27 जानें गई थीं।
जहरीले रसायन से बनी शराब
सरकार ने जहरीले रसायन के अवैध इस्तेमाल पर नियंत्रण का अधिकार कलेक्टर को दिया है। लेकिन प्रदेश में किसी कलेक्टर ने इसके लिए ड्रग स्टॉक की जांच करने सर्च वारंट जारी नहीं किया। मुरैना, रतलाम, उज्जैन जैसे जिलों के कलेक्टर ने इस पर गंभीरता नहीं दिखाई जहां जहरीली शराब से कई लोगों की जान जा चुकी है। जिंदगी लीलने वाली मेथेनॉल से बनी शराब पर अंकुश लगाने सरकार ने हर मामले की जांच एसआईटी से कराई। एसआईटी की सिफारिशों पर आबकारी विभाग को निर्देश जारी किए साथ ही कानून में भी बदलाव की तैयारी भी की है। इस बीच गृह विभाग ने कलेक्टरों को सर्च वारंट जारी करने का अधिकार दे दिया। इस निर्देश के अनुसार अब स्टॉक की जांच पुलिस के सहायक उप निरीक्षक और नायब तहसीलदार स्तर के अधिकारी भी कर सकते हैं, जबकि पहले डीएसपी और एसडीएम स्तर के अधिकारी को ही जांच करने का अधिकार था।
कमाई के लिए जहरीले रसायन का उपयोग
प्रदेशभर में जहरीली शराब से अभी तक जितनी मौतें हुई हैं उसमें यह तथ्य सामने आया है की शराब बनाने के लिए जहरीले रसायनों का उपयोग हुआ है। मुरैना में 26 लोगों की जान जहरीली शराब पीने से गई थी। फोरेंसिक जांच में सामने आया कि शराब माफिया कमाई के चक्कर में थिनर (मिथाइल) से शराब बनाई गई थी। मृतकों की विसरा जांच में जहरीला तत्व मिला था। दरअसल, शराब माफिया सस्ती शराब बनाने इस तरह के केमिकल मिलाता है। इस सस्ती शराब के लालच में लोग इसे खरीद लेते हैं।
एक साल में जहरीली शराब से मौतें
– 25 जुलाई 2021 को मंदसौर के खखराई गांव में 3 मौतें
– 30 जून 2021 को उज्जैन में 12 मौतें
– 7 जनवरी 2021: खरगोन के देवला गांव में 2 मौतें
– 11 जनवरी 2021: मुरैना में 25 मौतें
– 13 जनवरी 2021: भिंड में 2 मौतें
– 2 मई 2020: रतलाम के पचेड़, भड़वासा गांव में 4 मौतें
– 6 सितंबर 2020: दिवानिया गांव में 2 मौतें
– 15 अक्टूबर 2020: उज्जैन में 14 मजदूरों की मौत
थम नहीं रहे नकली शराब बनाने के मामले
शासन और प्रशासन की सतर्कता और कठोर कानून के बावजुद प्रदेश में नकली और जहरीली शराब बनाने और बेचने के मामले कम नहीं हो रहे हैं। बीते 3 माह नकली शराब के कई मामले सामने आ चुके हैं। रतलाम में अवैध शराब फैक्ट्री पकड़ी गई। यहां नोसादर और यूरिया के साथ स्प्रिट मिलाकर शराब बनाई जा रही थी। मुरैना के सिकरोदा में नकली शराब पकड़ी गई, यहां इथाइल एल्कोहल से अवैध रूप से शराब बनाकर सप्लाई हो रही थी। मंदसौर के खखराई गांव में नकली शराब पीने से मौतें हुई थीं, इसकी जांच भी सरकार ने एसआईटी से कराई थी।