शहर की कई आंगनबाड़ी केन्द्रों पर ताले डलने की नौबत

आंगनबाड़ी
  • किराया भुगतान नहीं करने पर मकान मालिक दे रहे खाली करने की धमकियां

भोपाल/गौरव चौहान /बिच्छू डॉट कॉम। महिला बाल विकास विभाग द्वारा संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों का कई माह से किराया भुगतान ही नहीं किया गया है। इसकी वजह से अब इनमें ताला डलने की नौबत आ चुकी है। हालात यह है कि अब तो मकान मािलक उन्हें खोलने तक से मना करने लगे हैं। यह हाल राजधानी में हैं तो प्रदेश के दूरदराज इलाकों की हालत समझी जा सकी है।
लगातार शिकायत किए जाने के बाद भी जिम्मेदार अफसर मस्त हैं और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता त्रस्त हैं। किराया भुगतान नहीं किए जाने से हालात इतने खराब हो चुके हैं कि कई कार्यकर्ताओं को तो आंगनबाड़ी केन्द्र तक का स्थान बदलना पड़ चुका है। शहर की अधिकांश आंगनबाड़ी केन्द्रों का किराया तीन से लेकर छह माह तक का भुगतान नहीं किया गया है। किराया भुगतान न होने की शिकायतें लगातार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा सुपरवाइजर से लेकर परियोजना अधिकारियों तक से की जा रही है , लेकिन फिर भी कोई कुछ नहीं कर रहा है। शहर में किराया भुगतान न होने की सर्वाधिक शिकायतें बरखेड़ी परियोजना की है। यहां 40 से अधिक आंगनबाड़ियों के किराए का भुगतान अटका हुआ है, लिहाजा मकान मालिकों ने अब संबंधित आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मकान खाली करने तक का अल्टीमेटम दे दिया है। गौरतलब हैकि भोपाल में ग्रामीण और शहरी इलाकों में कुल मिलकार 1872 आंगनबाड़ी केन्द्र हैं, इनमें से 921 आंगनबाड़ी किराए के मकानों में संचालित हो रही हैं। इस मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों का कहना है कि तकनीकी कारणों से कुछ परेशानी बनी हुई है। जिसकी वजह से कई मकान मालिकों के खाते में किराए की राशि नहीं पहुंच सकी है। इस समस्या का गंभीरता से समाधान करने का प्रयास किया जा रहा है। उनका कहना है कि फिलहाल  अभी तीन माह बाद नवंबर महीने की राशि के भुगतान की प्रक्रिया चल रही है।

कितना किया जाता है भुगतान
विभाग द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिए अलग -अलग किराया तय है। इनमें ग्रामीण इलाकों के लिए जहां सात सौ पचास रुपए तय है तो वहीं शहरी इलाकों के लिए कारपेट एरिया के हिसाब से किराए का भुगतान किया जाता है, लेकिन उसके लिए अधिकतम राशि 3 हजार रुपए तय है। बरखेड़ी में सर्वाधिक शिकायतों की वजह है वहां पर कारपेट एरिया के हिसाब से निर्धारण किया गया है। उसके हिसाब से मकान नहीं मिल रहे, जो मिल रहे वहां विभाग के द्वारा तय मापदंड से अधिक किराया है। कारपेट एरिया के हिसाब से भी अधिकतम किराया तीन हजार रुपए है, जो नाकाफी है। वहीं, ग्रामीण इलाके अधिकतम राशि 750 रुपए फिक्स है, जो इस महंगाई के दौर में नाकाफी है।
एमआईएस लॉक होने का तर्क : किराया भुगतान न होने की शिकायतों पर विभाग के अफसरों का कहना है कि किराए का भुगतान सीधे मकान मालिक के खाते में किया जाता है। कई मकान मालिकों  का किराया एमआईएस लॉक होने की वजह से उनके खातों में में नहीं पहुंच पा रहा है। इसे सुधारने के प्रयास किए जा रहे हैं।

Related Articles