
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में एक बार फिर से भ्रष्ट अफसरों के रिकॉर्ड को खंगालने काम शुरू कर दिया गया है। इनमें आर्थिक अनियमितताओं में दोषी पाए जाने वाले अफसरों का रिकॉर्ड विशेष रूप से खंगाला जा रहा है। सरकार की मंशा ऐसे अफसरों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाने का है। पूर्व में भी सरकार इस तरह के मामलों में आधा दर्जन आला अफसरों को बाहर का रास्ता दिखा चुकी है।
यह बात अलग है कि प्रदेश की अफसरशाही अपने भ्रष्ट साथियों को बचाने के लिए उनका रिकार्ड ही दबा लेती है और उसे सरकार तक भेजती ही नहीं है। अगर विभागों द्वारा सभी भ्रष्ट अफसरों के नाम सरकार को भेज दिए गए तो दर्जनों की संख्या में अफसरों को सरकारी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। सरकार के स्थाई आदेश होने के बाद भी विभागों द्वारा स्वयं से इस तरह के अफसरों के नाम कार्रवाई के लिए नहीं भेजे जाते हैं, लिहाजा सरकार को अब फिर नए सिरे से ऐसे अफसरों के नाम मांगने पड़ रहे हैं। इसके लिए हाल ही में जीएडी ने भ्रष्ट अधिकारियों, कर्मचारियों के नाम विभागों से अगले माह तक भेजने को कहा है। दरअसल कई ऐसे अफसर हैं, जिनके खिलाफ लगातार पद के दुरुपयोग अथवा आर्थिक अनियमितताओं की गंभीर शिकायतें मिलती रहती हैंं, अब उनकी सेवा जारी रखना है या नहीं इस पर सरकार फैसला करेगी। इसके तहत 20 साल की सेवा और 50 साल की आयु पूरी करने वाले अयोग्य अधिकारियों की सेवा समाप्त की जाएगी। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पूर्व में भी कलेक्ट्रर-कमिश्नर, आइजी-एसपी कॉन्फ्रेंस में अधिकारियों को निर्देश दे चुके हैं कि ऐसे अधिकारी-कर्मचारी, जो अपने दायित्व सही ढंग से नहीं निभाते हैं और पद का दुरुपयोग करते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। इसके बाद भी जब यह अफसर सक्रिय नहीं दिखे तो अब सामान्य प्रशासन विभाग को 20 साल की सेवा और 50 साल की आयु पूरी करने वाले अधिकारियों तथा कर्मचारियों के सेवा अभिलेखों की पड़ताल करने के लिए सभी विभागों को कहना पड़ रहा है। आईएएस, राज्य प्रशासनिक सेवा और मंत्रालयीन सेवा के अधिकारियों-कर्मचारियों के सेवा अभिलेखों की पड़ताल खुद सामान्य प्रशासन को करना है। इसी तरह से गृह विभाग आईपीएस, राज्य पुलिस सेवा, वन विभाग आईएफएस और राज्य वन सेवा के अधिकारियों के अभिलेखों की जांच कर रिपोर्ट तैयार करेगेंं। कहा तो यह भी जा रहा है कि इसके दायरे में वे कर्मचारी आएंगे , जिनके खिलाफ लगातार शिकायतें मिल रही हैं और उनका सर्विस रिकॉर्ड (सीआर) भी खराब है। यही नहीं वे भी इस दायरे में आएंगे जो पद के दुरुपयोग या आर्थिक अनियमितता के दोषी पाए जा चुके हैं।
अब तक इन पर गिर चुकी है गाज
बीते कुछ सालों में इस नियम के तहत कुछ आला अफसरों पर गाज गिर चुकी है। इनमें आर्थिक अनियमितता के आरोपों में घिरे आईएएस अधिकारी एमके सिंह, आईपीएस डॉ. मयंक जैन और आईएफएस देवेश कोहली की सेवाएं राज्य सरकार की अनुशंसा पर केंद्र सरकार समाप्त कर चुका है। इसी तरह से राज्य सरकार द्वारा भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे जिला खनिज अधिकारी प्रदीप खन्ना को भी नौकरी से बाहर किया जा चुका है। इसके पहले आयकर छापे में करोड़ों की संपत्ति उजागर होने के बाद आईएएस अफसर अरविंद-टीनू जोशी सहित एक अन्य मामले में फंसी शशि कर्णावत को भी सेवा से बर्खास्त किया जा चुका है।
महिला बाल विकास में कई कर्मचारी निशाने पर
सूत्रों की माने तो महिला एवं बाल विकास विभाग में हुए मानदेय घोटाले में शामिल अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ भी सरकार ने सख्त कार्रवाई करने की तैयारी शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि इसके आधार पर सर्वाधिक कर्मचारी इस विभाग के ही प्रभावित होंगे। इसके बाद नगरीय प्रशासन विभाग के कर्मचारी भी बड़ी संख्या में इसके दायरे में आ सकते हैं।