…तो क्या बंद हो जाएंगे प्रदेश के पॉवर प्लांट

पॉवर प्लांट

-कोयले की कमी से जूझ रहे पॉवर प्लांटों से बीना स्थित जेपी का एक पॉवर प्लांट बंद हो चुका है

भोपाल/ प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम।
गर्मी के बीच लगातार बढ़  रही बिजली की मांग में अब बड़ा रोड़ा खड़ा होता दिख रहा है। अगर ऐसा हुआ तो प्रदेश में बिजली के लिए हाहाकार मच जाएगा। दरअसल इसकी वजह है प्रदेश के पॉवर प्लांट पर कोयले की कमी होना। हालात यह हो गई है कि कोयले के अभाव में प्रदेश के निजी पॉवर प्लांट तक बंद होना शुरू हो गए हैं। हालत यह है कि अब प्रदेश के पॉवर प्लांट में महज पांच दिन का ही कोयला शेष रह गया है। अगर जल्द ही कोयला की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हुई तो यह प्लांट बंद हो जाएंगे। हालत यह है कि प्रदेश के पॉवर प्लांट में अभी महज तीन लाख टन कोयला का ही भंडारण रह गया है जबकि हर दिन 60 हजार टन कोयले की आवश्यकता होती है। दरअसल इस स्थिति के बनने की वजह है मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी द्वारा कोल कंपनियों का 1200 करोड़ रुपए का भुगतान न करना। अब कोल कंपनियां अपना बकाया पैसा चाहती हैं, लेकिन मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी के पास इतना पैसा नही है कि वह कोल कंपनियों का एक साथ भुगतान कर सकें। दरअसल कोरोना काल में बिलों की वसूली अटकी हुई है तो प्रदेश सरकार से मिलने वाला पैसा भी कंपनी को नहीं मिला है। बकाया राशि का भुगतान न होने की वजह से हालत यह है कि कोल कंपनियों ने कोयले की आपूर्ति बेहद कम कर दी है। यही वजह है कि अब इन प्लांटों पर कोयले का स्टॉक लगातार कम होता जा रहा है। उधर कोल कंपनियों का भी कोरोना के चलते कामकाज प्रभावित हुआ है। इसकी वजह से कोयला की लोडिंग और अनलोडिंग का काम भी प्रभावित हुआ है। जिसकी वजह से भी कोयले की आपूर्ति प्रभावित हो रही है। ऐसे में अब कोल कंपनियों द्वारा उन प्रदेशों में कोयला आपूर्ति पर जोर दिया जा रहा है जिनका भुगतान समय पर प्राप्त हो रहा है। खास बात यह है कि इन हालातों के बाद भी जेनको कंपनी द्वारा अपने आंकड़ों को छिपाया जा रहा है। यह बात अलग है कि आंकड़ों की हकीकत को केन्द्र की बेबसाइट सामने ला देती है।

हो चुकी हैं एक इकाई बंद
प्रदेश में कोयला की कमी की वजह से बीना में लगे पॉवर प्लांट की एक इकाई में उत्पादन पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। यही नहीं प्रदेश के सरकारी पावर प्लांट में भी हालत यह है कि 60 हजार टन कोयले की हर दिन खपत होती है जबकि उपलब्ध तीन लाख टन कोयला ही है। खास बात यह है कि बीते साल इन दिनों में प्लांटों पर 15 लाख टन कोयले का भंडार था। यही नहीं प्रदेश के प्रमुख पावर प्लांटों में शामिल श्री सिंगाजी पॉवर प्लांट की भी दो इकाइयों को तकनीकी कारण बताकर बंद किया जा चुका है। इन दोनों ही इकाईयों से 1200 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता था। उधर सेन्ट्रल इलेक्ट्रिक अथॉरिटी द्वारा दी जा रही दैनिक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि बकाया राशि का भुगतान न किए जाने की वजह से मप्र को कोयले की आपूर्ति कम कर दी गई है।

यह है कोयला स्टॉक का नियम
बिजली उत्पादन करने वाले कोयला प्लांटों में कोयला स्टॉक के लिए गाइड लाइन बनी हुई है जिसके मुताबिक हर हाल में 14 से लेकर 21 दिनों का कोयला स्टॉक होना चाहिए। गाइडलाइन के मुताबिक अगर कोयला का स्टॉक सात दिनों का रह जाता है तो उसके बेहद गंभीर स्थिति वाला माना जाता है। इसके इतर मप्र में महज पांच दिनों का ही कोल स्टॉक रह गया है।

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