एम्स भोपाल के अध्ययन को विश्व ने स्वीकारा

एम्स भोपाल
  • कोरोना वायरस  हॉर्ट, पेनक्रियाज, आंखें  और स्वसन तंत्र को भी करता है प्रभावित  …

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। अभी भी पूरा विश्व कोरोना वायरस के तिलिस्म को समझ नहीं पा रहा है। ऐसे में एम्स भोपाल ने अपने शोध में पाया है कि कोरोना वायरस ने सबसे ज्यादा लिवर और किडनी को नुकसान पहुंचाया है। इसी वजह से ज्यादातर मरीजों की मौत भी हुई है। एम्स भोपाल के इस अध्ययन को विश्व ने भी स्वीकार किया है। कोविड-19 वायरस की घातकता पर किए गए एम्स भोपाल के अध्ययन को अंतत: विश्व ने स्वीकार कर लिया है। गत मार्च में एम्स भोपाल के इस रिसर्च पेपर को अंतर्राष्ट्रीय मेडिकल जनरल में प्रकाशित किया गया है।
एम्स भोपाल में रिसर्च टीम के संरक्षक रहे डॉक्टर प्रोफेसर सरवन सिंह ने बताया कि कोविड वायरस सिर्फ लिवर किडनी तक सीमित नहीं है बल्कि यह हॉर्ट, पेनक्रियाज ,आंखें और श्वसन  तंत्र को भी प्रभावित करता है। इस अध्ययन से पता चलता है कि कोविड-19 वायरस से मानव शरीर के लिवर और किडनी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। रिसर्च करने वालों में डॉ. जयंती यादव, डॉ. गरिमा गोयल, डॉ. शशांक पुरवार, डॉ. सौरभ सहगल, अश्विनी टंडन, अंकुर जोशी, श्रवण जेएस, महालक्ष्मी एस, जितेंद्र सिंह, प्रेम शंकर, अर्नीत अरोड़ा, प्रोफेसर सरमन सिंह और नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल से बृंदा पटेल शामिल हैं।
21 शवों का परीक्षण
एम्स भोपाल की रिसर्च टीम ने अगस्त 2020 से अक्टूबर 2020 के बीच कोरोना से मरने वालों पर यह अध्ययन किया है। उस दौरान एम्स में कुल 134 लोगों की मौत कोरोना से हुई थी। इन सभी के परिजनों से रिसर्च टीम ने शवों के अटोप्सी परीक्षण की अनुमति मांगी। जिसमें से 21 परिवारों से सहमति मिली। इन 21 शवों में 15 पुरुष और 6 महिलाओं के शव शामिल हैं। रिसर्च पेपर से मिले आंकड़ों के अनुसार अध्ययन में शामिल कुल मृतकों में 66 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जिनकी किडनी को कोविड-19 वायरस ने न सिर्फ प्रभावित किया बल्कि मौत का कारण भी रहा। जबकि 57 प्रतिशत केस में मरीज का लिवर वायरस से संक्रमित पाया गया। रिसर्च टीम ने यह भी बताया कि कोविड-19 वायरस संक्रमित व्यक्ति के रक्त के माध्यम से लिवर व किडनी तक पहुंचा था।
वायरस शरीर के कई अंगों में पाया गया
कोरोना संक्रमण के चलते लोगों कि डायबिटीज अन कंट्रोल हो रही है। फेफड़ों के बाद कोरोना का सबसे ज्यादा संक्रमण मरीजों में ब्रेन वास मिला है। एक केस ऐसा भी था जिसके मरीज के मरने के 20 घंटे बाद भी उसके शरीर में कोरोना वायरस मिला है। रिसर्च टीम की हेड और प्रिंसिपल इंवेस्टीगेटर डॉ. जयंती यादव ने बताया कि हमने 21 शवों का पीएम किया था। इसमें हमने पाया कि कोरोना वायरस मृत शरीर में भी 20 घंटे तक जीवित रहा। इतना ही नहीं वायरस शरीर के कई अंगों में पाया गया। जैसे किडनी, लिवर, ब्रेन, पेंक्रियाज आदि। डॉ. जयंती यादव के अनुसार रिसर्च पर अभी और काम होगा। लेकिन इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि आने वाले दिनों में कोरोना के लिए जो स्टेंडर्ड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल निर्धारित किया जाएगा, उसमें इस रिसर्च का अहम रोल होगा।

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